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Parasram Arora
Unsplash उसकी तारीफ़ भी क़ी और कई बार उसकी शान मे तालिया भी बजाई इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=? ©Parasram Arora तारीफ और तालिया
तारीफ और तालिया
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
read moreParasram Arora
White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये
आदर्श और संवेदनाये
read moreMahesh Patel
White सहेली..... उसे समझने में बहुत देर करदी.. वो खून बहता रहा.. और में कुछ समझ रही थीं... लाला... ©Mahesh Patel सहेली... खून... लाला....
सहेली... खून... लाला....
read moreAshok Verma "Hamdard"
White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
#गांव और शहर
read moresandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
White एक रिश्तें मॆं मोहब्बत है उसपर खून भी... काटकर देखे उन उंगलियोंके नाखून भी... कल मजबूरन घड़ी को कलाई काटनी पड़ी... वक्त ने आज़माएँ है दिसंबर मॆं जून भी..। ये आसमान उडते परिंदे की अमानत है... मिलने आए हो, उसूल भी साथ मॆं कानून भी..। किस्सा ख़त्म हुआ कहानी अधूरी छूट गयी... यूँ समझो कोट कहीं पर दूर है पतलून भी..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 खून
खून
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