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Lalit Saxena

ग़ज़ल

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हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena ग़ज़ल

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्

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मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्ते की हर धूल से अपनी आवाज़ कह दीजिए।
ग़म और दर्द अगर न मिले राहत का निशाँ,
तो हर एक क़दम से अपनी दुआ बना दीजिए।

मंज़िल नहीं मिली तो क्या, सफ़र तो है,
राहों की धूल से ही खुद को पहचान दीजिए।
रोशनी मिलेगी अंधेरे के हर कोने से,
वक़्त की चुप्प को अपनी हसरतों से सजा दीजिए।
हमसफ़र नहीं तो क्या, इरादे हैं आसमान जैसे,
हर घड़ी की राह को अपने ख्वाबों से बना दीजिए।

कभी अगर ठोकरें लगे, तो उन्हें दिल से लगा लीजिए,
वहीं छुपा है वो राज़, जो आपको मजबूत बना दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं, अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए। ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं, रातों

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जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों को अपनी रोशनी से सजा दीजिए।

लगे जब भी जीने की राह कठिन,
इरादों से रास्ते अपने बना दीजिए।
हर ख्वाहिश को हासिल करने का रखो हौसला,
खुद में हर मुश्किल को हल दीजिए।

हो गर आसमान की ऊँचाई छूने का इरादा,
तो जमीन से अपनी उड़ान दीजिए।
हो दर्द जो दिल में छुपा गहरा,
अपनी ताकत का हिस्सा उसे बना दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए, जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए। कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए, आपके भीतर छ

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Unsplash हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए,
जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए।
कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए,
आपके भीतर छुपी है एक नई दुनिया, बना दीजिए।

जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं,
अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए।
ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं,
रातों को अपनी रोशनी से सजा दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर एक कांटे को फूल में बदल दीजिए,
जो टूट जाएं सपने, उन्हें फिर से जोड़ दीजिए।
कभी जब भी हो मुश्किल, तो खुद से कहिए,
आपके भीतर छ

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए, अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए। मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई, उन्हें अपनी मेहनत

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Unsplash जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए,
अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए।
मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई,
उन्हें अपनी मेहनत से हल कर दीजिए।

अंधेरों में जो खो जाएं रास्ते कभी,
उन्हें उम्मीद की रौशनी से फिर से बना दीजिए।
जो कदम रुक जाएं थककर इस सफ़र में,
उन्हें अपनी चाहत से आगे बढ़ा दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जब भी हो वक़्त कठिन, तो हौंसले से काम लीजिए,
अपने इरादों को एक नई उड़ान दीजिए।
मुसीबतें हों या उलझनें हो कोई,
उन्हें अपनी मेहनत

SumitGaurav2005

"हालात ए बयां, दर्द ए ग़ज़ल -1 " ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'💔 #BreakUp #Bewafa #Bewafai #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav Life_experie

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dharmendra kumar yadav

ग़ज़ल

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White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था 
मेरा  अज़ीज़  मुझको गिफ्ट में आईना लाया था

वो आसूं  सिर्फ  आसूं नहीं बाग़ी  भी हो  सकते थे
पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था

जिससे  ज्यादातर  नाराज़  ही  रहता  रहा ये दिल
उसको ही  अपने  बुरे दिनों में अपने साथ पाया था

वो  मेरी  जान  से  जिक्र  की  है कि  वो मेरी होती
जो मुझे  उन  दिनों  बर्बाद ओ  बेकार  बताया था

©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल

N S Yadav GoldMine

#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} *`बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।`* एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है, तो सामने वाले को

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
*`बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।`*   

एक दो बार समझाने से यदि कोई 
नहीं समझ रहा है, तो सामने वाले 
को समझाना  *`छोड़ दीजिए`*  

बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय 
लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
     *`छोड़ दीजिए।`*  

गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, 
यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,
       *`छोड़ दीजिए।`*  
जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey}
*`बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।`*   

एक दो बार समझाने से यदि कोई 
नहीं समझ रहा है, तो सामने वाले 
को

Rajesh Arora

जरा ध्यान दीजिए मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी

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©Rajesh Arora जरा ध्यान दीजिए  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी

BenZil (बैंज़िल)

#ग़ज़ल शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी

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White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ 
दिया इक घर में जलता छोड़ आया हूँ 

चला आया हूं घर से तन को बस लेकर
वहीं मन को तड़पता छोड़ आया हूँ 

इसी उम्मीद में कल फिर से निकलेगा
मै सूरज आज ढलता छोड़ आया हूँ 

हमारी आँख से लूटे गए तो क्या ?
हजारों ख़्वाब पलता छोड़ आया हूँ 

सितारा मेरी क़िस्मत का भी चमकेगा
मै इक जुगनू चमकता छोड़ आया हूँ

यहाँ शबनम की बूंदे भी हैं तरसाती
वहाँ सावन बरसता छोड़ आया हूँ 

जो जाता ही नही है गांव तक मेरे 
नगर का वो मै रस्ता छोड़ आया हूँ 

कहीं पथरा न जाएं उनकी वो आँखें 
मै जिनको राह तकता छोड़ आया हूँ 

नही आया अभी तक शेर ए मक्ता है 
ग़ज़ल उसको जो पढ़ता छोड़ आया हूँ

©BenZil (बैंज़िल) #ग़ज़ल  शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी
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