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Marutishankar Udasi
ज्ञान से कीव अनेक है जीवन जीने की कला बस एक है हार से आघात जब सब होत है तो काहे के ज्ञानी खुद को सब कहेत है ©Marutishankar Udasi होत है
AJAY VERMA
रात चल रही है धीरे धीरे चांदनी पिगल रहा है धीरे धीरे तेरे यांदे सता रही हैं धीरे धीरे तेरे लिए हम मर रहे है धीरे धीरे रात चल रही है धीरे धीरे चांदनी पिगल रहा है धीरे धीरे तेरे यांदे सता रही हैं धीरे धीरे तेरे लिए हम मर रहे है धीरे धीरे
Hi you
लगता है जैसे दिमाग की एक नस खटक रही हैं जिसका सीधा कनेक्शन दिल से हैं। ©Hi you लगता है धीरे - धीरे #प्यार हो रहा है।
deewana ajeet ke alfaj
धीरे -धीरे सूरज निकल रहा है। अंधेरा राहों से छ्ट रहा है।। पंछी गीत गाते फिजाँ में चहक रहे ।। फिर गीत, गजलो से फिजाँ महक रहे।। कोयल!पेड़ की डाल पर बैठ कर, राह तक रही अपने साजन की।। नही कटती जिन्दगी तन्हा अब,, अबकी वरस तो आ सावन की।। देख फिजाओं से सूरज निकल रहा है।। deewa ajeet धीरे धीरे सूरज निकल रहा है।।
Uma Sailar
का कारज मोहे रिझात क्यों बादल धरती पे आत क्यों ठंडी तू पवन लात क्यों बदरी तू जोर आत उपवन काहे तू खिलात चकोर काहे रोए गात डोलन को मनुज रातबिरात बौरात बेहरात और अकुलात तेरी कारी कारी बदरी देख जियरा हमार मोहित हेय जात उह बात इहई फिर याद आत काहे हाथों में तू ना समात लागे है के जैसे तू मोको समुझावत उमा मान बात काहे को तू मोहे सतात अंधियारे आत जात काहे ध्वनि फिर चेन खात काहे धीर ना बंधे बंधात काहे जियरा फिर लहे ग्रास इह घर्षण का खातिर होए जात देर दूर हम सोचे काल काहे इह कलम ना हाथ आत तुमसे कहने को लाख बात बतावें केसन बूझे ना बुझात लेके हमार इह दोई हाथ खुदको उमा धीरज बंधात आइयो कबहुं तुम फिर करन घात लखियों रागी को ये प्यारो साथ रहे देत है हमरी बात और बाकी दिन में कहें बात लेत विदाई अभी हम जात मिलहिं खातिर हमका से तुम्हई को परे आन तात ।। उमा सेलर : उमा लिखती है ©Uma Sailar का कारज #umasailar #a_likhti_hai #kakaraj