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Anand Tripathi 'रवि'
इतने वर्षों में तुम्हें कितना जाना? तुम्हारे बहाने कितनों को जाना ! #आत्मपरिचय #तुम
shree vasu
सामाजिक आइना कवि होते हैं। ये किसी से दबे नही होते है। ये खरे खरे होते हैं। जवाब भरे होते हैं। जब आईना आप उठावो तो खुद को भी दिखावों। कविताएं बेशक मुकम्मल सार हैं। एक कवि राष्ट्र स्तर पे प्रचार हैं। समाज की हर समस्या कवि सामने लाते हैं। उच्च हो निम्न अच्छे से दिखाते हैं। गर्व हैं शारदा तेरी कला से कोई कमाई नही कमाई। लेकिन तेरी कला देवी आशीष बनकर छाई। ©Harsha Rajendra Wadiya कविता-मुकम्मल-सार-हैं।
Shivam Giri
#OpenPoetry कविता मेरे जीवन का सार है कविता। कवि हूँ मेरा प्यार है कविता।। मन को देती धीर है कविता। गंगा सी पावन नीर है कविता।। ढाल पीडा़ को जो खुद में लेती। कभी लैला कभी हीर है कविता।। कलमकार की शील है कविता। भटको की राहगीर है कविता।। सुन पढ़ जो छू जाये दिल को। साहित्य की वो झील है कविता।। मंचो की रसधार है कविता। प्रेम का आधार है कविता।। मोह माया की दुनिया सारी। अपना अलग संसार है कविता।। ©Shivam Giri मेरे जीवन का सार है कविता। कवि हूँ मेरा प्यार है कविता।। #OpenPoetry
AMAN SRIVASTAVA
बचपन वो प्यार सा वक्त है,जो सब के जीवन में एक बार ज़रूर आता है,फिर चाहे वो अमीर हो या ग़रीब मगर हम चाह कर भी वो लम्हे वापस नहीं ला सकते.... वो बात-बात पर रूठना मनाना बस दो रूपय में खुश हो जाना वो वक्त कहाँ से लाओगे, दिनभर घूमना,गली-गली में शोर मचाना दौड़भाग कर खेल में छुपना,छुपकर दिल का ज़ोर धड़कना वो वक्त कहाँ से लाओगे, खेल-खेल में ज़ोर से गिरना,गिरकर उठना फिर चल देना स्कूल में घर की याद सताना रोना,हंसना फिर मुस्काना घर जाना है,ये कहकर मैम को दिलका हाल बताना वो वक्त कहाँ से लाओगे, भरी दुपहरी साइकिल लेकर खूब चलाना पतंग उड़ाना,इमली खाना,पटरा लेकर गेंद खेलना वो खेल कहाँ से लाओगे, थकहार कर,चोटें खाकर,साँझ-सकारे घर को आना माँ का सर पे हाथ फेरना उनके आँचल में सो जाना वो वक्त कहाँ से लाओगे। #हिन्दी #कविता #आप #के #लिए #मेरे #जीवन #का #सार #धन्यवाद
Sumit Kamboj
अफ़साना "*तू मेरी गज़ल है, क्या उर्दू पढूं मैं हाँ, तुझको पढूं मैं, क्यूँ उर्दू पढूं मैं अल्फाज़ों के सितारे, आ तुझमे जढू मैं क्यूँ पन्ने भरू मैं, आ तेरी मांग भरूँ मैं तू मेरी गज़ल है, क्या उर्दू पढूं मैं हाँ तुझको पढूं मैं, क्यूँ उर्दू पढूं मैं जिन्दगी ये सारी, तेरे नाम करुँ मैं तुझे देख के जियूं, तुझपे ही मरूं मैं तुझसे सुबह शुरु ,खत्म शाम करुँ मैं तुझसे प्यार खुलके, सरेआम करुँ मैं तू मेरी गज़ल है, क्या उर्दं पढूं मैं हाँ तुझको पढूं मैं, क्यूँ उर्दू पढूं मैं 'सार' प्यार #सार #शायरी #कविता #अफसाना