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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#ग़ज़ल :- #जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों #शायरी

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#ग़ज़ल :-
#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_
शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा

तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है ।
जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१
खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है ।
तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२
हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के
डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३
करो खूब बेटी सदा नाम जग में ।
यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४
महादेव लाए घड़ी वह सुहानी ।
कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५
कली बाग की तुम हमारी हो पहली ।
तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६
खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा ।
खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७
१४/०८/२०२३    - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #ग़ज़ल :-
#जन्मदिन_की_बहुत_बहुत_बधाई_एंव_शुभकामनाएं_कीर्ति_बेटा

तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है ।
जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१

खिलों

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri ©हमने परिंदो के चमन को उजड़ते देखा,समंदर ए साहिल पे,तिश्नगी में मरते देखा//१ अपने गमजे छुपाकर उसे म #Live #writersofindia #urdupoetry #Rishtey #poetsofindia #shayarilover #shamawritesBebaak

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , #कविता

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दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२

राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३

अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४

सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५

सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६

बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७

ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८

हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस ,

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

nojoto गर है तुम्हे उल्फत,तो उससे *इजहार क्यूं नहीं करते,जाकर उससे रूबरू तुम *इसरार क्यूं नहीं करते//१ *प्रकट करना *आग्रह करना बनके फिरते #Live #Like #writersofindia #poetsofindia #viralvideos #shamawrotesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

shayari खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन ब #shayri #shamawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बि #shamawritesBebaak

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक #शायरी

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ग़ज़ल :-
आर्यावृत संविधान है देखा ।
जनता करती सम्मान है देखा ।।१

तुमने तुर्की जपान है देखा ।
पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२

अपना भारत है इक ऐसा भारत ।
जिसमे नेता महान है देखा ।।३

इस पत्थर दिल की नगरी में हमने ।
बनते उसको इंसान है देखा ।। ४

हिन्दू करता मूरत की पूजा तो ।
पढ़ता मुस्लिम अज़ान है देखा ।।५

उनका ये बढ़ता प्रेम ही जग में ।
हर मुश्किल का निदान है देखा ।।६

होली औ ईद दीवाली पर भी ।
रखते वे सबका ध्यान है देखा ।।७

 २५/०१/२०२४  --   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
आर्यावृत संविधान है देखा ।
जनता करती सम्मान है देखा ।।१

तुमने तुर्की जपान है देखा ।
पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२

अपना भारत है इक

Aparna Pathak

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा #शायरी

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ग़ज़ल :-
उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता ।
लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१

वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो ।
सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३

तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता ।
तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३

ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा ।
पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४

बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा ।
कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५

अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता ।
प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६

प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे ।
यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता ।
लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१

वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो ।
सजा

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । #शायरी

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White ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।
भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३
आप जिनपे किए यकीं बैठे ।
लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४
सच के होते नही नुमाये भी।
इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५
खामियां पा दहेज में अब वह ।
पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६
राम के नाम से यहाँ सब ही ।
पा रहे आज सब  उजाले हैं ।।७
राम का नाम ही भजो सारे ।
क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८
चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी ।
दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।
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