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Parul Sharma
अमृत बरसा दे अमृत बहा दे अमृत शिव मेरे अमृत हो तुम । पारुल शर्मा आप सभी को सावन के आगमन की बधाईयाँ पहले अमृत का अर्थ है सुधा, दूसरे अमृत का अर्थ जल, तीसरे अमृत का अर्थ अमर तथा चौथे अमृत का अर्थ सुंदर से
Paras Jain Aadishwar
स्वर्णिमभारतस्यायम्, स्वतंत्रस्यामृतोत्सव:। सर्वदा मंगलं भूयात्, सर्वभारतवासिनाम्।। स्वर्णमण्यादिभि: भूमि:, यस्य देशस्य भासते । भारते मम जन्माभूत्, तस्मिन् देशे गर्वाम्यहम्।। अनेकांतेव वस्तुषु, वसन्ति सर्वधार्मिका:। परस्परं मिलित्वास्मिन्, प्रशंसनीयभारते।। ©Paras Jain Aadishwar आजादी का अमृत उत्सव
Suresh Kumar Chaturvedi
अपनी धरती अपना आसमान अपना देश अपना स्वाभिमान आओ तिरंगा लहराएं तिरंगा है मेरी पहचान हुए पचहत्तर बर्ष आज किया था अमृत पान अक्षुण्ण बनाए रखूंगा आजादी आजादी है मेरा गान वंदेमातरम् और तिरंगा वीर शहीदों का वलिदान नहीं भूल सकते हम सब जब तक है इस तन में जान वंदेमातरम् जयहिंद ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
Suresh Kumar Chaturvedi
जब अंग्रेजी सत्ता ने, भारत में जड़ें जमा लीं थीं गुलाम हुए भारत वासी, में भारत माता थी कैद हुआ था आसमान,हर ओर फिजाएं काली थीं अत्याचारों का दौर था वो, सत्ता मद में मतवाली थी जब सारे झंडे पस्त हुए,राज सभी के ध्वस्त हुए कैद हुई सोने की चिड़िया, अंग्रेज लूट में मस्त हुए तब तिरंगा सामने आया था,सोया स्वाभिमान जगाया था मातृभूमि की आजादी को,जन जन में जोश जगाया था थाम तिरंगा वंदे मातरम,कफन बांध कर गाया था मातृभूमि के लिए समर्पित, सीने पर गोलियां खाते थे नहीं तिरंगा झुकने देते थे,चाहे जान गंवाते थे ढेरों यातनाएं सहकर भी, वंदेमातरम गाते थे सन १८५७ से १९४७ तक, लगातार संघर्ष चले मातृभूमि की वलिवेदी पर, असंख्य वीरों के शीश चढ़े आखिर जन जन का प्यारा तिरंगा,लाल किले पर लहराया खत्म हुआ गुलामी का साया,देश ने जस्न मनाया आओ मिलकर मातृभूमि के, चरणों में शीश झुकाएं श्रद्धा से अपने घर पर,आज तिरंगा फहराएं आजादी के अमृत महोत्सव पर, शहीदों को शीश नवाएं जय हिन्द 🙏 ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
सर्वज्ञ ठाकुर
हम बढे सफलता की उस राह में जहाँ वर्चस्व हमारा हो,,वसुधैव कुटुंबकम का नारा हो विश्वगुरु भारत हमारा हो!! 🖋️बउवा सिंह ©thakur sarwagya pratap singh urf bauva singh singh आजादी का अमृत महोत्सव