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Ravendra
Ravendra
Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
AwadheshPSRathore_7773
खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे ,कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!! नन्हें के आने की “खबर”“माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” विनय।“फसलों” के खराब होने की वजह...!! कितना कुछ सिमट जाता था एक“नीले से कागज में”... जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती और “अकेले” में आंखो सेआंसू बहाती माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी बच्चों का भविष्य थी और ,गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां” अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं,और अक्सर ही दिल तोड़ता है “मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में ,जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में ! जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में “चूल्हे” सिमट गए गैसों में और इंसान सिमट गए नोटों में!वाह रे कलयुग वाह क्या बात है तेरी वाह....! ©AwadheshPSRathore_7773 "अंखियों का पानी बड़ा बेजुबा दर्द मेरा कह पाए ना , O साथी O साथी O साथी तेरी चिट्ठी पते पर आए ना" प्रसिद्ध पार्श्व गायक के गाए बोल हे यह,पहच
Yogi Sonu
ਸੀਰਿਯਸ jatt
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है, तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके ईष्ट, देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं, उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्व है इसलिये काम को भी लोग पूजा मानते हैं। 🎆 जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है, एक तरीका होता है, उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि पूजा का क्षेत्र भी धर्म के क्षेत्र जितना ही व्यापक है। हर धर्म, हर क्षेत्र की संस्कृति के अनुसार ही वहां की पूजा विधियां भी होती हैं। मसलन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं, तो हिंदू भजन कीर्तन, मंत्रोच्चारण हवन आदि, सिख गुरु ग्रंथ साहब के सामने माथा टेकते हैं, तो ईसाई प्रार्थनाएं करते हैं। इस तरह हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट - देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं, इन्हें ही पूजा-पद्धतियां कहा जाता है। 🎆 जिस प्रकार गलत तरीके से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता, उसी प्रकार गलत विधि से की गई पूजा भी निष्फल होती है। जिस प्रकार वैज्ञानिक प्रयोगों में रसायनों का उचित मात्रा अथवा उचित मेल न किया जाये, तो वह दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं, उसी प्रकार गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत पूजा-पद्धति के प्रयोग से विपरीत प्रभाव भी पड़ते हैं, विशेषकर तंत्र विद्या में तो गलती की माफी नहीं ही मिलती। ये कर्म काण्ड है, और भगवान श्री कृष्ण की मन से की गई भक्ति सर्वोत्तम और सर्वोपरि तथा सर्वसश्रेष्ठ हैं।। ©N S Yadav GoldMine #bachpan {Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अप
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