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विलुप्त आवाज़
दिल जो टूटा तो नई बात है क्या? कुछ भी नहीं संग में शीशे की औक़ात है क्या, कुछ भी नहीं क्यों हसीं आँखों को खुल कर नहीं हँसने देते उन के रोने में बड़ी बात है क्या, कुछ भी नहीं इश्क़ आज़ाद है, बहने दो सबा की मानिन्द गुल खिलाना भी बुरी बात है क्या? कुछ भी नहीं #अनीस_अंसारी दिल जो टूटा तो नई बात है क्या? कुछ भी नहीं संग में शीशे की औक़ात है क्या, कुछ भी नहीं क्यों हसीं आँखों को खुल कर नहीं हँसने देते उन के रोने
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सुनों देखने की सज़ा तुम सुना दो । मग़र रूख से पहले लटे ये हटा दो ।।१ वफ़ा का यहाँ है हमें गुल खिलाना । वह दिल की जमीं तुम हमें अब दिला दो ।।२ नहीं और कोई यहां बीच में हो । सभी फासलें दरमियाँ से मिटा दो ।।३ न कोई तमन्ना रहे आज बाकी । सभी ख्वाहिशें तुम दिलों की मिटा दो ।।४ बुझी हसरतों के चिरागों तले तुम । नया आशियाँ ज़िन्दगी का बना दो ।।५ करो तुम शिकायत अगर अब कभी तो । यही की मुझे आप अपना बना दो ।।६ तुम्हारे बिना है सफ़र यह अधूरा । कि आकर मुझे हाथ अपना थमा दो ।।७ जिए जा रहें हैं तेरे वास्तें हम । तुम आकर मेरी आज दुनिया सजा दो ।।८ प्रखर के लिए तुम जमीं आसमाँ हो । यकीं आज उसको चलो तुम दिला दो ।।९ २५/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सुनों देखने की सज़ा तुम सुना दो । मग़र रूख से पहले लटे ये हटा दो ।।१ वफ़ा का यहाँ है हमें गुल खिलाना । वह दिल की जमीं तुम हमें अब दिला दो ।।२
Shashi Bhushan Mishra
मुश्क़िल है मरुथल में फूल खिलाना, गहरी यादों का हर दर्द भुलाना, रहती है आँखों की भी कुछ साज़िश, यूँ ही बनता नहीं कोई दीवाना, मनमर्जी में गँवा दिया श्वासों को, अंत समय में चलता नहीं बहाना, सही समय पर अक्ल कहाँ आती है, "कर लूँगा फिर" रहता राग पुराना, खाली हाथ गए जो उन पर दुनिया, हँसती रहती है दे देकर ताना, संभव है हर चीज समझ आ जाए, मन से अवरोधों को ज़रा हटाना, अनुशासित जीवन ख़ुशियों की चाबी, भरना पड़ सकता बर्ना हर्जाना, बह जाता गर भवसागर में 'गुंजन', तीन लोक में मिलता नहीं ठिकाना, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मुश्क़िल फूल खिलाना#
pramod malakar
मैं हूं हिन्दुस्तान प्रमोद मालाकार नाम है, मैं हू प्रधानमंत्री मोदी जी का परिवार, कमल खिलाना मेरा काम है।। ©pramod malakar # कमल खिलाना मेरा काम है...
Manish Raaj
गुल ------ गुलज़ार के गुल को अक़्सर हर मैदान गुलज़ार ही नज़र आता है मनीष राज ©Manish Raaj #गुल
Mohini Mishra
तू अगर गुल है तो गुलनार हैं हम....! तेरे दिल मे सदा गुलजार हैं हम....!! #गुल#
HANAMANT YADAV (कवीराज)
गुल... ए गुल तू खिलता जा। खुशबू बरसाते जा।... कांटों पे पलना है। खिलकर मुरझाना है। एक दिन की जिंदगी मे, फलना तुझे फुलना है। चंद पल का मुसाफिर तू, सब को बहेलाते जा।... तू न सोच कहां जाना है। ये उस माली का फ़साना है। जाए भगवान की चरनो मे, या आरती को सजाना है। है वक्त का महेमां तू, जहां जाए बहरते जां।... कवीराज गुल...