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Bhreegupati Chaturvedy
यह पुरूषों का समाज ,निर्णय को तत्पर रहता चरित्र उछालती बेटिंयॉ ,बेटों को अच्छा कहता! एक घटना की तस्वीर ने गर्भपात पर तंज कसा!! बेटियॉ ठेकेदार इज्जत की बेटा स्वर्ण माणिक से सजा!! भूल न जावो यह समाज एक स्त्री की ही रचना है एक छोटे तुफॉन से ना कभी हमें समूद्र को परखना है!!!! #NojotoQuote बेटियों पर तंज नहीं
बेटियों पर तंज नहीं
read morearpana dubey
सच के साथ सदा होती हैं बेटियां, जीवन भर कष्ट ढोती हैं बेटियां। बेटियों की कीमत कहीं नहीं होती, किंतु साहसी बेटियां कभी नहीं रोती। बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ ही होता है, बेटियों का बाप जिसे मौन होकर ढोता है। कलयुग में कहीं भी सुरक्षित नहीं बेटियां, फिर कैसे करेंगी नाम देश का रोशन बेटियां। हैवानियत की तो हद ही पार हो चुकी है, कौन कहता है कि कलयुग में वह रुकी है। गलत काम करके फिर मार दी जाती हैं बेटियां, रोक दो अब इसे, सदा ही प्यार दे जाती हैं बेटियां। अर्पणा दुबे, अनूपपुर ©arpana dubey बेटियों पर कविता मेरी पढ़े।
बेटियों पर कविता मेरी पढ़े। #समाज
read morekavi mukesh gogdey
कोरोना से बचाव ही उपाय(गीत) कोरोना कोरोना,कोरोना से इतना डरो ना। भीड़भाड़ में तुम इतना फिरो ना,फिरो ना।। मुँह पर हमेशा मास्क रखो ना,मास्क रखो ना। हाथो को भी तुम धोते रहो ना,धोते रहो ना। हाथ किसी से भी मिलाया करो ना,मिलाया करो ना। कोरोना..............................।। छींके अगर कोई दूरी रखो ना,दूरी रखो ना। अफवाहों पर ना ध्यान धरो ना,ध्यान धरो ना। शंका हुई तो डॉक्टर से मिलो ना,मिलो ना। कोरोना..............................।। मुकेश गोगडे कोरोना पर गीत
कोरोना पर गीत
read moreKaleem Ansari
कुछ कहना चाहता हूँ कुछ बताना चाहता हूँ अदवो लिहाज की मिसाल इस ज़माने को दिखाना चाहता हूँ सर पर छत साबुत न हो इस का गम नहीं पर आज भी घर की बेटियो के सर दुपट्टा रखता हूँ बेटियों के सर पर दुपट्टा रखता हूँ
बेटियों के सर पर दुपट्टा रखता हूँ
read moreJamil Khan
गीत- मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम जिसने हमको तलक़ीन दीं हम पर रहा है उनका करम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। जिस ने दिखाईं अच्छी राह हैं मेरे वालिद अज़ीमुश्शान पढा लिखा कर तो वह हमें बनाया इक़ अज़ीम इन्सान शामो - सहर मशक़्क़त कीं कभी नहीं कीं खुद पे शरम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। वालिदा ने ही हम को जना वालिद का साया हमपे रहा वालिदा हमको दूध पिलायी वालिद का पयार हमपे रहा कैसे भूल जाऊँ वालिद को ये कभी नहीं मैं पालूँ भरम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। जब मैं चलने को माजूर था वह हमको चलना सिखाया जब बोलना नहीं आता था तो बोलना भी वह सिखाया वालिद हमेशा सलामत रहे खुदा वालिद पे करना करम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित गीत मो- 9065328412 पिन कोड- 847401 ©Jamil Khan पिताजी पर गीत #Trees
पिताजी पर गीत #Trees
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