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नवनीत ठाकुर
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
read moreParasram Arora
White प्यास लगी हैँ तों पानी हैँ लेकिन प्यास के पहले पानी हैँ भूख लगी हैँ तों भोजन हैँ लेकिन भूख से पहले भोजन हैँ प्रेयसी के लिए उठता हैँ प्रेम तों समझलो प्रेम पहले से मौजूद हैँ अगर प्यास उठी हैँ परमत्मा क़ी तों ये परमाण हैँ इस बात का कि परमात्मा भी अस्तित्व मे पहले से कही मौजूद हैँ ©Parasram Arora भूख और प्यास
भूख और प्यास
read moreParasram Arora
Unsplash भूख और प्यास जो न थकती है कभी और न बुझती है कभी बल्कि प्रति पल बढ़ती जाती है ये भूख प्यास छुप जाती हैं पसीनो क़ी परतो मे कभी या फिर कमर मे बंधे गमछे मे जा लटकती है कभी लेकिन ये उफ़ नहीं करती कभी ©Parasram Arora भूख प्यास
भूख प्यास
read moreसाँस लेती hui lash
गरीबी मे पाले हुए बच्चे कभी भी आसमानों की नहीं सोच ते है वो हमेसा 2 रोटी और क्षत की सोच ते है क्यूँ की जी नौ ने क्षत को टपकते हुए देखा है उन्हों ने आसमान को भी बहुत करीब से देखा है ✍️✍️ ©साँस लेती hui lash #Deep #भूख #गरीबी #true #Lines #poatry #sayari #SAD #Love #Dhoka hindi poetry on life urdu poetry poetry in hindi love poetry for her
neelu
White एक दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की उनको लगना बंद ना हो जाए.. ...... अब वह दौर है जहां अगर दोस्त कहते हैं कि हमें अच्छा नहीं लग रहा है तो उनको उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए.... ..... विचारों में मातभेद हो सकता है ©neelu #sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
#sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
भूख ब्याकुल हो उठता है चेहरा जब लगती है भूख कुम्हलाता है जैसे कोई वृक्ष रहा हो सूख चैन नहीं आता है जबतक क्षुधा शांत न होती क्षुधा शांत होती जब भी मिलते चावल रोटी मगर भूख है कई तरह की शीघ्र नहीं जो मिटती जैसे धन दौलत का भूख जगह जगह है दिखती कोई प्रेम का भूखा है तो हवश का भूखा कोई जिसे शांत ना कर सकती है बेखुद कोई रसोई ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #भूख