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||स्वयं लेखन||

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा। #navratri #विचार

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दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

©Gunjan Rajput दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
#navratri

Divyanshu Pathak

तेजोअसि तेजो मयि धेहि।वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि। बलमसि बलं मयि धेहि।ओजोअस्योजो मयि धेहि। मन्युरसि मन्युं मयि धेहि।सहोअसि सहो मयि धेहि। यजुर् #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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यां मेधां देवगणाः पितृश्चोपासते।
तया मामद्य मेधयाअग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा।।

(यजुर्वेद अ.- 32 मंत्र-14)

जिस बुद्धि की उपासना देवता और हमारे पूर्वजों ने की है उसी ज्ञानरूप अग्नि को हमें देकर मुझे विद्वान बनाओ। तेजोअसि तेजो मयि धेहि।वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि।
बलमसि बलं मयि धेहि।ओजोअस्योजो मयि धेहि।
मन्युरसि मन्युं मयि धेहि।सहोअसि सहो मयि धेहि।

यजुर्

Shravan Goud

आभार: विकीपीडिया ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।। दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || या देवी सर्वभू‍

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ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।।
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु। 
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। 
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ 
ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै 
नमस्तस्यै नमो नम:।। 🌹🌹🙏🙏 आभार: विकीपीडिया
ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।।
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | 
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || 
या देवी सर्वभू‍

Divyanshu Pathak

2. अष्टम ( 8 ) अंक- आठ देवी शैलपुत्री के बारे में हमने कल नव ( 9 ) अंक से जीवन के आरंभ से अनन्त की यात्रा के बारे में जाना।वे नदियों के रूप #yqdidi #yqhindi #नवरात्रि #yqsahitya #ब्रह्मचारिणी #पाठकपुराण

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2. अष्टम ( 8 )  अंक- आठ
देवी शैलपुत्री के बारे में हमने कल नव ( 9 ) अंक से जीवन के आरंभ से अनन्त की यात्रा के बारे में जाना।वे नदियों के रूप में हमारे समक्ष सदैव उपस्थित रहती हैं।आज मैया ब्रह्मचारिणी का दिन है और इन्हें हम ( 8 ) अंक के रूप में देखते हैं। जीवन के पहले आठ साल हम अपने माता पिता और परिवार के सानिध्य में ही रहते हैं। देवताओं में वसुओं (पृथ्वी, अग्नि, वायु, अंतरिक्ष, आकाश, ध्रुव, चंद्रमा, और सूर्य ) की संख्या भी आठ ही है। सिद्धियों की संख्या भी आठ है, योग के भी आठ अंग अष्टाङ्ग योग कहलाते हैं।भावनात्मक समझ और भाषा की बूझ का प्रथम सोपान 8 वर्ष की आयु में प्रकट होता है।जीवन चेतना और उसकी उन्नति के लिए आवश्यक शक्ति के इस स्वरूप का नाम ही ब्रह्मचारिणी' है। हम गौरी' माता के इस रूप को नमन करते हैं। 2. अष्टम ( 8 )  अंक- आठ
देवी शैलपुत्री के बारे में हमने कल नव ( 9 ) अंक से जीवन के आरंभ से अनन्त की यात्रा के बारे में जाना।वे नदियों के रूप

Vikas Sharma Shivaaya'

🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल #समाज

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🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩
 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें...,
  

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

      मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप:             मां ब्रह्मचारिणी

इस देवी ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी- इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया...,

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है-यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है- मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है-इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है,ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली।?-देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है-इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं...,

पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी- इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया-एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया...कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे- तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं-इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए-कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं-पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया.. ,

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा -हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की-यह तुम्हीं से ही संभव थी-तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे-अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ-जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं... ,

मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है- दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है-इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए.. 

श्लोक:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

ध्यान मंत्र
 
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
 गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
 परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

Affirmations:
56.कोई भी हाथ जो हमें स्पर्श करता है वह एक रोग मुक्त करने वाला हाथ है...,
57.मैं अपने शरीर के संदेशों को सुनता हूँ...,
58.मेरा शरीर, मन और आत्मा एक स्वस्थ टीम हैं...,
59.मै वह स्वीकार कर लेता हूं, जो मेरे लिए सर्वोत्तम है...,
60.मेरा घर एक शांतिपूर्ण जगह है...,

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩
 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें...,
  

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल

lalitha sai

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भू #myworld #lalithasai

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माँ.. तू सर्व जगत जननी..
माँ.. तू सर्वांतर्यामी..❤️❤️ अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। 
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भू

अशेष_शून्य

अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भ #yqquotes #अशेष_शून्य

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..... अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भ
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