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Ankur tiwari
White जब हुआ प्यार इज़हार किया था,मैने भी इकरार किया था किए थे वादे जो कर सकता था ,मैंने झूठा ना करार किया था पर उसने इंकार कर दिया , दिल को मेरे तार तार कर दिया स्वप्न सजाएं थे जो मैंने ,उन स्वप्नों को राख कर दिया फिर भी मैंने पूछा उससे ,कमी क्या हैं मुझको बतलाओ क्यों प्रेम स्वीकार नहीं हैं ,कोई कारण तो समझाओ उसने कहा राम चाहिए मुझे , शादी करके आराम चाहिए मुझे शौक मेरे सब पूरे हो जाए ,ऐसा कोई राजकुमार चाहिए मुझे तुम तो ठहरे सामान्य से लड़के ,ये सब तुम ना कर पाओगे जीवन भर मेहनत करते करते ही,एक दिन यूं ही तुम मार जाओगे फिर क्यों तुम्हें स्वीकार करूं मैं ,क्यों खुद पर धिक्कार धरूं मै मिल जायेगा मुझे कोई रईसजादा,तो फिर तुमसे क्यों प्यार करूं मैं उसकी बातें सुन दिल भर आया था,मैं खुद अंदर ही अंदर मर आया था बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला मैने ,आंखों में आंसू भी भर आया था तबसे ना किसी से प्यार हुआ ,ना कभी कोई इज़हार हुआ मैं जान गया रीत दुनियां की,और खुद से एक इकरार हुआ पैसे की दुनिया हैं तो फिर ,पैसा ही मुझे कमाना है जिस जिस ने भी ठुकराया हैं ,उस उस को एक दिन दिखाना हैं पाया ही सबकुछ नही हैं पर ,दुनियां पीछे इसके पागल है अब नही रही तव्वजो सीरत की ,पैसे और सूरत पर सब घायल हैं ©Ankur tiwari #Night जब हुआ प्यार इज़हार किया था,मैने भी इकरार किया था किए थे वादे जो कर सकता था ,मैंने झूठा ना करार किया था पर उसने इंकार कर दिया , दि
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जनमत :- कुण्डलिया जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप । इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।। मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा । छोड़ रहे सब साथ , दलों का वारा न्यारा ।। ऊब गये थे लोग , देखकर तेरी हरकत । अब तुम देखो स्वप्न , मिले फिर हमको जनमत ।। जनमत का हक आपने , खाकर लिया डकार । कभी पलट बाँटा नही , जनता में वह प्यार ।। जनता में वह प्यार , न थी कोई मजबूरी । रखा स्वार्थ भर चाव , यही कारण है दूरी ।। और बताते आज , यहाँ पर हमको हिकमत । जाओ बाबू आप , फैसला है ये जनमत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जनमत :- जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप । इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।। मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा ।
Ankur tiwari
Black कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बिन बात के न कुछ कर जाओ तुम एक बात से ही तुम रूठ गए इस बात से मर ना जाओ तुम इसलिए तो हमने छोड़ दिया हर रिश्ता नाता तोड़ दिया जीवन की जो मंज़िल तुम थे उस मंज़िल को ही छोड़ दिया जाओ अब जी लो खुल के तुम कुछ नए स्वप्न भी लेना बुन पर अबकी जिससे भी जुड़ना हो केवल दिल से ही जुड़ना तुम ©Ankur tiwari #Morning कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बि
Sagar Bangar
कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत ✍️लेखन:-सागर बांगर ©Sagar Bangar #चारोळी ❤️🥰 कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत❤️ लेखन:-सागर बांगर©® .
Santosh Jangam
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Vishnu Bhagwan दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।। मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै । सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।। विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने । स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।। २९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क
मुसाफिर
इन चिड़ियों के आसमां को अपना क्या कहें। ढूंढ़ता मैं अपने स्वप्न के जहा को मैं स्वयं को भूलते जा रहा हूं। ©मुसाफिर #स्वप्न
Dk Patil