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JALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, आज जब पुरानी किताबों को बेचने के लिए पलट रहा था तो तुम्हारा दिया गुलाब मिला।बिल्कुल मुरझाया हुआ सा था मेरी तरह।मेरी आंखो में वो आखिरी रोज डे चित्रित होने लगा जो मैंने तुम्हारे साथ बिताया था।तुम्हारे दिए ग्रीटिंग कार्ड हो या पेन, मैंने सदैव सभी को सम्भाल के रखा था और मैं हर वो हर चीज संभालना चाहता था जिसे तुम्हारा स्नेह मिला था। 7 Feb की उस कड़कड़ाती ठंड में ,मैंने तुम्हारे लिए नहाया था।दादी बोलती थी कि कुछ अच्छा करने से पहले नहा लिया जाए तो वो कार्य अच्छे से पूर्ण होता है।उस रोज अपनी पॉकेट मनी के 20 रुपए बचा कर लिया था,तुम्हारे लिए वो पन्नी और हरी पत्तियों वाला गुलाब।बात पैसों की थीं और नहीं भी।सच बात तो ये है कि हम मध्यम वर्गीय परिवार के लड़के प्रेम बेहिसाब करते हैं पर प्रेम में थोड़ा हिसाब भी रखते हैं।हम लड़के होते ही ऐसे हैं सपने तो स्विट्जरलैंड के देखते हैं पर जा पाते हैं मनाली तक भी नही।जब क्लास में तुम्हे देखा तो सोचा दे दूं सबके सामने ये गुलाब तुम्हें।लेकिन तभी मेरे अंदर से आवाज आई" अपनी नहीं तो उसकी इज्जत का ख्याल रख"। मैं थम गया था उस वक्त और सपनों के संसार से निकाल कर वास्तविकता के समक्ष खड़ा था।मेरी उदासी को भांपते हुए जब तुमने आंखो से इशारे कर "क्या हुआ " पूछा तो थोड़ी हिम्मत आयी थी।छुट्टी होने के बाद मैंने तुम्हे वो गुलाब का फूल दिया तो तुमने भी मुझे गुलाब का फूल देकर ,मुस्कराते हुए कहा था "माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा कभी पढ़ना"।उस दिन से लेकर आज तक मैंने हजारों कविताएं और किताबे पढ़ी पर सदैव यही अफसोस था कि मैं कभी तुम्हारी आंखे नहीं पढ़ पाया।पता नहीं उनमें मेरे लिए क्या था।खैर जो भी था एक सुकुं देता था ।...#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड, आज जब पुरानी किताबों को बेचने के लिए पलट रहा था तो तुम्हारा दिया गुलाब मिला।बिल्कुल मुरझाया हुआ सा था मेरी तरह।मेरी आंखो में वो
Aditya Divedi
अजीब पागल लड़की है वो, हर पल मुझे सताती है, अजीबो गरीब सवाल पुछती है, कि तुम मुझे याद करते हो ना? मैं तुम्हें याद आती हूं ना? मेरी बातें तुम्हें याद आती है ना?? मेरी यादी तुम्हें रात भर जगाती हैं ना? मेरी आंखें तुम्हें अब भी मदहोश करती हैं??, मेरी जुल्फें अब भी रास आती हैं ना? अच्छा तुम अब भी मुझसे सपनों में मिला करते हो? बसंत की सुनहरी धूप में आज भी मेरी याद में छत पर टहला करते हो? शीत की कड़कड़ाती ठंड में आज भी मेरे जिस्म की गर्मी को महसूस करते हो? रात के खुले आसमां में आज भी सितारों से मेरी बातें किया करते हो? उन वीरान रास्तों से अब भी कभी गुजरा करते हो? उस सावन की बारिश में आज भी बेख़ौफ़ नहाने जाते हो? अच्छा उन सुनसान पगदंडियों पर अब भी घुमने जाते हो? वो उस दुकान पर आज भी जाते हो? क्या मेरी याद अभी भी तुम्हें आती है? क्या आज भी मुझे खोने से डरते हो? क्या आज भी भी मुझे खोने भर के डर से तुम्हारी आंखें भर आती हैं? क्या मेरे दूर होने पर अब भी मेरी यादें सताती हैं? अजीब पागल सी लड़की है वो, ऐसे ना जाने कितने सवाल करती है, इन सारे सवालों का जबाव यही जाना कुछ दिन एक दुसरे से दूर होना हमेशा की जुदाई थोड़े होती है, कैसे समझाऊं तुझे भला जिस्म से जान जुदा रह सकती है, पंचतत्वों से बने इस शरीर में तु श्वास बनकर बहती है, अंजाने में छोड़ जान बुझ के ना भूल सकूंगा तुझे मेरी हर धड़कन में तु रहती है।।। "एक हम ही हैं जो देखते हैं तुझको, बाकी सब घुरते है तुमको, हंसती खिलखिलाती रहा करो अच्छी लगती हो, ये हंसी के रंग जंचते हैं तुमको।।❤️ ©Aditya Divedi अजीब पागल लड़की है वो, हर पल मुझे सताती है, अजीबो गरीब सवाल पुछती है, कि तुम मुझे याद करते हो ना? मैं तुम्हें याद आती हूं ना? मेरी बातें तुम
Mamta kumari
ठंड ही ठंड ठंड ने ढाया क़हर कोहरे, ओले से धुंध भरी शहर जिनसे जन-जीवन हो रहे अस्तव्यस्त ठंड से अलाव भी हो रहे है बेअसर ©Mamta kumari #Winter ठंड ही ठंड।
Nilesh
न girl friend है न लुगाई है ठंड ऐसी की सूरज भी मांगता दुहाई है पकौड़े,चाय सब उन लोगों के लिए है, हम तो है जिसके भरोसे वो रज़ाई है. ✒️नीलेश सिंह ©Nilesh #ठंड
Shahab
देखो ठंड बढ़ रही है इसीलिए जिंदगी में आग लगाने वाले रिश्तेदार और पड़ोसी ही काम आएंगे उनसे संबंध बनाए रखें... ©Shahab #ठंड