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Saurabh Veer
एक मछली के बच्चे ने अपनी माँ से पूछा की माँ हम जमीन पर क्यों नही रहते हैं? माँ ने कहा वेटा पानी फिश के लिये ह ओर जमीन सेल्फिश के लिए ह। सेल्फिश
योगेश तिवारी
भूलना तो आसान नहीं उस प्यार को जिसने... दर्द दिया मुस्कुरा कर मेरे दिल को.!! -योगेश तिवारी #सेल्फिश love
Kumar Anu Ojha
मन हुए मतलबी आपके और सुख में हुए स्वार्थी।। दुःख में बने दूरियां, है हम ऐसे विद्यार्थी।। कुमार अनु ओझा #स्वार्थीइंसान #स्वार्थी #सेल्फिश
PANDIT BOSS
🙏✨🙏💐💐👌💪👌💪🔆 स्वार्थी लोग को एक पार्टी में ही रहना चाहिए क्युकी आपके गलत निर्णय से कई लोगो के जीवन का अंत होता है जो आप पर भरोसा करते है ✌️🙏 वैसे ही काम है एक ही करना चाहिए 🌷🌷🌹🌹🥀💖💖🌷🌷🙏🥀🏵️💐👌 ©PANDIT BOSS सेल्फिश लोग #lotus
पथ भुला परदेशी
इस स्वार्थी दुनियां में बहरूपिया बन के घूमता रहा। हर ठोकर पर कुछ न कुछ समझता गया। °पथ भुला परदेशी ©PREM JANGIR #पथ_भूला_परदेशी #यात्री #सेल्फिश #Joker
Manoj Bhatt
(हिन्दी का उद्भव और विकास) हिंदी से मैं पढ़ा लिखा हिंदी की बात बताता हूं, हिंदी है मां मेरी में उसकी गाथा गाता हूं। संस्कृत है जननी उसकी उर्दू कि वो बहन बनी, पांचों को फिर गोद लिया ना जाने कितनों का रूप बनी। तुलसी का वो मानस है सुर-मीरा का गीत बनी, वीरों का वो रासो है जन-जन का संगीत बनी। अ अज्ञानी से शुरू हुई ज्ञ ज्ञानी बना कर छोड़ा है, ऐसी है वो मां हिंदी जिसने सबका दिल जोड़ा है। ऐसी हिंदी की गाथा कैसे तुम्हें बताऊं मैं, चंद शब्दों में कैद कर महिमा कैसे गाऊ में ।। (m.bhatt) ©Manoj Bhatt #हिंदी का विकास
U shivan rajauria
हिंदी दिवस की शुरुआत कैसे हुई? हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में भारत के प्रधानमंत्री पद पर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से हर साल इस दिन को नेशनल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. ©U shivan rajauria #Hindidiwas हिंदी का प्रारम्भ
Amit Singhal "Aseemit"
हिंदी साहित्यिक मंचों का बहुत वृहत है यह संसार, मंचों के सब रचनाकारों का बन गया है एक परिवार। बहुत गुणी और भांति भांति के रचनाकारों से है भरा, जैसे विभिन्न प्रकार के वृक्षों से भरी है हमारी यह धरा। ©Amit Singhal "Aseemit" #हिंदी #साहित्यिक #मंचों #का