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Chaurasiya4386
Unsplash दिसंबर की सर्द शाम ... इस साल का ख़त्म होना ... और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में... तुम थे, तुम हो, तुम ही रहोगे ...❤️💔 ©Chaurasiya4386 #दिसंबर की #सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और #तुम्हारा आना सच कहें तो #जाड़ों के #मौसम में #धूप का आना सा लगा… मेरी #शायरी में.
दिसंबर की सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में.
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read moreRAVI PRAKASH
White लगता है आना पड़ेगा पूराने अंदाज में कुछ लोग हल्के में ले रहे है ©RAVI PRAKASH #sad_quotes लगता है आना पड़ेगा पूराने
#sad_quotes लगता है आना पड़ेगा पूराने
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White रोशनी भी कम होने लगी, पर देख अब आस और बड़ने लगी, ये रोशनी फिर आएगी, तुम भी लौट आओगे ना? wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #sad_quotes लौट आओगे ना?
#sad_quotes लौट आओगे ना?
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White खड़ी तो आज भी हु मैं, कल तेरे साथ थीं, आज तेरे इंतजार मै, लौट आओ या ना आओ. wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #GoodNight लौट आओ या ना?
#GoodNight लौट आओ या ना?
read moreSarfaraj idrishi
White कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो ©Sarfaraj idrishi #milan_night कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो Islam gaTTubaba Sethi Ji Ankita Tantuway
#milan_night कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो Islam gaTTubaba Sethi Ji Ankita Tantuway
read moredr.rohit sarswati
White ( घर लौट चलूँ ) मन करता है छोड़ शहर की चका चौंद को घर अपने में लौट चलूँ ! मन करता है तोड़ नौकरी की जंजीरें इस शहर को तनहा छोड़ चलूँ । छोड़ चलूँ इस चँचल मन को इस शहर की भीड़ में रोता बिल्कता ! पीछे मुड़के ना देखूँ में चला जाउँ बस आगे बढ़ता । झुटी दिखावटी इस दुनिया से अब में नाता तोड़ चलूँ ! घर अपने मे लौट चलूँ घर अपने में लौट चलूँ । ©dr.rohit sarswati #घर लौट चलूँ
#घर लौट चलूँ
read moreनवनीत ठाकुर
मुसाफिर हूँ मैं, सफर की कोई मंजिल नहीं, हर मोड़ पे कोई नई दास्तान बाकी है। कदम कदम पर मिलते हैं कुछ हमसफर, मगर इस राह में अकेले चलने का इरादा बाकी है।। वक्त की चाल ने कितने राज़ छुपा रखे हैं, हर लम्हे में एक तजुर्बा बाकी है। बीते वक्त को कभी रोक न सके हम, मगर हर आने वाले लम्हे से मिलना बाकी है।। बरसात में हर बूंद में उसका एहसास बहता है, यादों की बारिश में उसका नाम बाकी है। भीगी ज़मीं पर वो पाँव के निशाँ छोड़ जाए, ऐसे मौसम में उसका आना बाकी है।। खामोशी में भी एक गूंज सी बसी रहती है, हर सन्नाटे में कोई बात बाकी है। ये खामोश लब्ज़ कुछ कहने को हैं आतुर, बस सुनने वाला कोई अजनबी बाकी है।। ©नवनीत ठाकुर #उसका आना बाकी है
#उसका आना बाकी है
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