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vishnu prabhakar singh
'पहले वाली बात नहीं' विकल्प की विशेषता है समाधान की सघनता है अधुनिकता का आदर्श है नैतिकता की नीति है शिक्षा की सुविधा है,न कि इतिहास का गौरव मात्र ! विप्रणु #नीति आयोग
Ek villain
सर्वोच्च न्यायालय में देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की गुहार लगाई गई है यह मांगने की की गई है कि राज्य स्तर पर लवसन क्योंकि पहचानो के लिए निर्देश बनाने का निर्देश दिया केंद्र सरकार और दाखिले फिलहाल नाम है से कहा कि राज्य सरकार की सीमा के भीतर धार्मिक भाषाई आधार पर वैसे ही अल्पसंख्यक समुद्र घोषित कर सकती है जैसे कर्नाटक में उर्दू तेलुगू तमिल मलयालम कोडे मराठी गुजराती भाषा को अपनी सीमा में अल्पसंख्यक अधिसूचित किया और महाराष्ट्र को भारत के संविधान में अल्पसंख्यक कौन होगा इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती सर्वप्रथम केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयोग अधिनियम 1992 अक्टूबर में मुस्लिम घोषित किया गया जिसमें हिंदू मुस्लिम की प्रकाशित होती है उन्होंने काम में डाल दिया गया इस राज्य में हिंदू अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए 2011 की बनाया गया जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर लद्दाख ©Ek villain #बदले अल्पसंख्यक निर्धारण का पैमाना #patience
Anant Vijay Saxena
इलेक्शन में 60% से भी कम वोटिगं होने के बाद निर्वाचन आयोग को सलाह देना चाहता हूँ कि ... अगर अखबार और टी वी में इतना प्रचार करने के बाद भी मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है तो... क्यों न एक बार पोलिंग बूथ पर भंडारा लगाकर देख लिया जाए..👈 एक्सपर्ट की राय के अनुसार भंडारों का खर्चा विज्ञापन के खर्चो से भी आधा ही रहेगा.. 🙊 *उँगली दिखाओ खाना खाओ*☝ शाकाहरियों के लिये पूरी, सब्जी, हलवा और खीर। मांसाहारियों के लिये चिकन बिरयानी, रायता और आइसक्रीम। इसका सारा खर्च चुनाव आयोग उठाये। वोट देने के बाद अपनी ऊंगली पर लगी स्याही दिखाकर जितना चाहे खा ले। यह प्रयोग वांछित है क्योंकि इतनी गहरी धूप में वोटिंग करने के बाद महिलाओं को भी खाना नहीं बनाना पड़ेगा तो परिवार भी खुश , महिलाएं भी खुश वोटिंग भी अधिकता में हो जाएगी नोट - *दो चार पैग की भी व्यवस्था अगर हो जाये तो फिर मेरे विचार मे 90% से भी अधिक मतदान हो सकता है*..😉😜 #निर्वाचन आयोग को सलाह 😂
Ek villain
बदले अल्पसंख्यक निर्धारण का पैमाना शीर्षक से लेख में आलेख में हरेंद्र प्रताप ने सुझाव दिया है कि अल्पसंख्यक और की पहचान अब राज्य है या जिला नहीं बल्कि इससे भी सूक्ष्म स्तर पर यानि प्रखंड सब डिवीजन और सरकारी स्तर पर की जानी चाहिए देश में अल्पसंख्यक कौन है इसका निर्धारण किस तरह किया जाए इसको लंबे समय से बहस चल रही है आरंभ में कांग्रेसी राजनीति पार्टियों की दृष्टि करण की नीति के चलते मुस्लिमों और ईसाइयों को पूरे देश की आबादी को पैमाना मानकर अल्पसंख्यक होने का सबसे ज्यादा फायदा दिया तत्कालिक सरकारों से मिली सहेलियों के चलते धीरे-धीरे देश के 9 राज्यों से 100 अधिक जिलों में इनकी संख्या हिंदुओं से अधिक हो गई है अब हिंदुओं की संख्या कम हो गई है यानी एक तरह से अल्पसंख्यक हो गए हैं लेकिन अल्पसंख्यक होने के चलते यदि फायदा नहीं मिल रहे हैं बल्कि उन क्षेत्रों में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को मिल रहा है इसके चलते रहने वाले हिंदुओं की स्थिति खराब होती जा रही है घटना सामने आती है उन्हें सुरक्षा की भावना बढ़ रही है उन्हें करने पर मजबूर होना पड़ रहा है और उनकी मदद करें तभी होगा जब क्षेत्रों में हिंदुओं के मिलेंगे जो सार्वजनिक तौर पर उपस्थित होते हैं ©Ek villain #अल्पसंख्यक वर्गों की पहचान में खामी #drowning
Ek villain
निर्वाचन आयोग अपराधिक छवि वालों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सख्ती बरतने जा रहा है अगर राजनीतिक दल अपराधिक छवि वाले को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं तो उनका चयन क्यों किया गया है इसका ठोस कारण बताना होगा यह तो तृतीय विभिन्न माध्यमों से सार्वजनिक भी करना होगा नियम तो कठोर है पर उसका कितना पालन होगा देखना बाकी है अगर ऐसा हो पाता है तो निश्चय ही चुनाव प्रक्रिया में बड़ा सुधार आने की अपेक्षा की जा सकती है अगर एक स्वैच्छिक राजनीतिक एक मजबूत लोकतंत्र का आधार आधार है और भारत जैसे देश में उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरे विश्व में एक अलग पहचान रखती है उसके लिए तो यह भी आवश्यक है वह जाता है कि चुनाव प्रक्रिया में प्रदर्शित हो और इसे भाग लेने वाले उम्मीदवार साफ-सुथरी छवि रखते हो राजनीतिक दल जीत हार की गणित से ऊपर उठकर भी सोचे कि यह देश भी उनका है यह रहने वाले लोग भी उनके हैं किसी तरह की सरकार देश को देना चाहती है उम्मीदवार जिन लोगों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है उनके चुनाव मैदान में आने से कहीं ना कहीं चुनाव की प्रदर्शनी पर खतरा बना पर लगता है वर्तमान में जिस तरह की स्थितियां हमारे सामने देश की शांति भंग करते हमारे पड़ोसी देश देश के अंदर है कर देश विरोधी काम करने वाली ताकत है इन सब का सामना करने के लिए आवश्यक हो जाते हैं साफ है कि साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवार चुनकर विधानसभा या लोकसभा में पहुंचे इस कार्य को आम जली जनता का काम देश की न्यायपालिका निर्वाचन आयोग मिलकर कर सकते हैं आम मतदाता के पास चुनाव में खड़े उम्मीदवारों की पूरी प्रोफाइल होगी तो वह सही निर्णय कर सकेंगे ©Ek villain # आयोग का प्रशासनिक कदम #worldhindiday
Ek villain
जब से नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सी आई ओ को बदल गया है तब से संसद मार्ग स्थित इस के कार्यालय में एक चिंता बढ़ गई आयोग के सदस्यों को यह आशंका सता रही है कि उन्हें भी बदला जा सकता है दरअसल आयोग के तीन सदस्य काफी लंबे समय से संस्था में बने हुए और पहली मौजूदा 3 सदस्यों की जगह नए सदस्यों को लाने की चर्चा हो रही है खासतौर पर कोविड-19 रान मीडिया में सबसे ज्यादा दिखने वाले भी की पालकी नजदीकी ज्यादा परेशानी है उन्हें डर है कि एक मूल संस्था एम्स में उनकी वापसी हो सकती है वह कुछ लोग तो पूछे कि दरवाजे से राज्यसभा की राह में देख रहे हैं ©Ek villain #अब किसकी बारी नीति आयोग #Top
Ek villain
एक बंद निर्देश राष्ट्र के रूप में भारत ने सदैव सभी विश्वासों के प्रति सहनशीलता दर्शाने वाले उत्तर वादी सिद्धांतों को महत्व दिया यही उदारवादी सिद्धांत भारत की विविध संस्कृति और उसके अखंडता का प्रदर्शन भी करते हैं और इसी अखंडता को बनाए रखने में सहायक रहे लेकिन हालांकि देश के व्यक्तिगत मनोवृति के उभरने और उसके परिवार की तरह अवसरों पर अंतर संस्कृति संघर्ष को बल मिला और ऐसी स्थिति को आलोचकों ने कई बार छोड़ दो कि एक संस्कृति भी कहा है धन्यवाद होकर भारत का संविधान प्रतीक रूप से प्रतिष्ठा और अवसर की समानता का प्रावधान करता है बंधु तत्व के सिद्धांत और व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करता है इसके बावजूद कई बीमारियों से प्रभावित होकर व्यक्तियों की राजनीतिक लाभ लेने की मंशा में भारत और बेचने का प्रयास करते हैं इसके लिए समाज के कार्यकर्ताओं की भावना विकसित होती है सभी व्यक्तियों को समान रूप से दिया जाता है ©Ek villain #भारत में अल्पसंख्यक और परी संघीय सिद्धांत #LostInSky
Ek villain
इन दिनों जम्मू कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन को लेकर परिश्रम आचार्य आयोग में चर्चा हुई आयोग के सदस्य राज्य के दल और धार्मिक धार्मिक संगठन को सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों के साथ चला कर कर यह देखने की कोशिश करेंगे पूरी तरह नहीं संगत होंगी और नए परिसीमन के बाद राज्य में लोकतंत्र कैसे सुधार के लिए साथ उनकी जड़ें गहरी होंगे लेकिन उनके पाकिस्तान में गैरकानूनी कब्जे वाले हिस्से से जुड़े लोगों के ऊपर हाथ खड़े कर दिए पीको जी के नाम से विधानसभा में खाली छोड़ी गई सीटों पर मैं बता कर क्यों नहीं होगा आयोग के पत्र में कहा गया है कि द्वारा जारी हो जाएगा भोपाल ©Ek villain #अवसर गवाता परिसीमन आयोग #Joker