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Ek villain

#अल्पसंख्यक वर्गों की पहचान में खामी #drowning #Society

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बदले अल्पसंख्यक निर्धारण का पैमाना शीर्षक से लेख में आलेख में हरेंद्र प्रताप ने सुझाव दिया है कि अल्पसंख्यक और की पहचान अब राज्य है या जिला नहीं बल्कि इससे भी सूक्ष्म स्तर पर यानि प्रखंड सब डिवीजन और सरकारी स्तर पर की जानी चाहिए देश में अल्पसंख्यक कौन है इसका निर्धारण किस तरह किया जाए इसको लंबे समय से बहस चल रही है आरंभ में कांग्रेसी राजनीति पार्टियों की दृष्टि करण की नीति के चलते मुस्लिमों और ईसाइयों को पूरे देश की आबादी को पैमाना मानकर अल्पसंख्यक होने का सबसे ज्यादा फायदा दिया तत्कालिक सरकारों से मिली सहेलियों के चलते धीरे-धीरे देश के 9 राज्यों से 100 अधिक जिलों में इनकी संख्या हिंदुओं से अधिक हो गई है अब हिंदुओं की संख्या कम हो गई है यानी एक तरह से अल्पसंख्यक हो गए हैं लेकिन अल्पसंख्यक होने के चलते यदि फायदा नहीं मिल रहे हैं बल्कि उन क्षेत्रों में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को मिल रहा है इसके चलते रहने वाले हिंदुओं की स्थिति खराब होती जा रही है घटना सामने आती है उन्हें सुरक्षा की भावना बढ़ रही है उन्हें करने पर मजबूर होना पड़ रहा है और उनकी मदद करें तभी होगा जब क्षेत्रों में हिंदुओं के मिलेंगे जो सार्वजनिक तौर पर उपस्थित होते हैं

©Ek villain #अल्पसंख्यक वर्गों की पहचान में खामी

#drowning

परवाज़ हाज़िर ........

#Minorities_Rights_Day_in_India #अल्पसंख्यक भारत के संविधान की धारा 15 व धारा 16 में मौलिक अधिकारों के वर्ग में साफ लिखा हुआ है कि जो सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं उनके विकास के लिए विशेष कोशिशें की जाएं. यह कोशिश सरकार करती है. संविधान में कहा गया है कि ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा. किंतु इस तरह के प्रावधान किसी भी रूप में धार्मिक आधार पर किसी रियायत की वकालत नहीं करते हैं. #Thoughts

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India quotes  अगर इन अल्पसंखयकों में से कोई जाति या समुदाय पिछड़ा या असहाय है 
तो उन्हें आरक्षण देने में कोई बुराई नहीं है 
लेकिन धर्म के आधार पर किसी को पिछड़ा घोषित करना 
अपरिपक्वता या स्वार्थ ही दर्शाता है.
 यह सच है कि भारत की कुछ जातियां 
या जनजातियां पूरी तरह पिछड़ी और दमित हैं 
लेकिन धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या के आधार पर
 आरक्षण जैसा अधिकार देना  "
एक नई और गंभीर बहस छेड़ सकता है  "

©G0V!ND DHAkAD #Minorities_Rights_Day_in_India

#अल्पसंख्यक


भारत के संविधान की धारा 15 व धारा 16 में मौलिक अधिकारों के वर्ग में साफ लिखा हुआ है कि जो सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं उनके विकास के लिए विशेष कोशिशें की जाएं. यह कोशिश सरकार करती है. संविधान में कहा गया है कि ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा. किंतु इस तरह के प्रावधान किसी भी रूप में धार्मिक आधार पर किसी रियायत की वकालत नहीं करते हैं.


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