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Rajendra Kumar Ratnesh
पौत्र की व्यथा..... याद हैं वे दिन जब दादाजी , कंधे पर बिठा घुमाते थे। रात में कभी भूतों की, कभी राजा -रानी के, किस्से सुनाते थे। याद हैं वे दिन, जब दादाजी कंधे पर बिठा, नदियां पार कर मेला ले जाते थे। याद हैं वे दिन जब मेले में, खरीद देते थे खिलौने और पकौड़े खिलाते थे। कभी- कभी दादाजी पैसे की लालच देकर, खूब मालिश करवाते थे। कभी -कभी हट्टी से खाने की सौदा लाकर, खूब खिलाते थे। भाग्यशाली हैं हम दादाजी संग खेले थे, सरल जीवन, सादा व्यक्तित्व के वे धनी थे। उनकी यादें दिल में बैठ गए हैं, उनके पालन पोषण के हम ऋणी हैं। -राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh #पौत्र की व्यथा #Papa
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Kuldeep Singh Deep
"A" Meaning of A अ का अर्थ : अवनी ,धरा, मरुधरा । जननी , मां, दुर्गा, शक्तिस्वरूपा , शैल पुत्री कई रुप है । संक्षेप में उर्वरा , भूमि है जिसे माँ कहते हैं। ©Kuldeep Singh Comrade मां : का अर्थ
Parasram Arora
प्रेम मे बांटने का भाव होता हैँ सब कुछ लुटाने का मन होता हैँ निश्चित ही प्रेम मे विरोधाभास भी होता हैँ प्रेम क़े मार्ग मे विकास का अर्थ किसी लक्ष तक पहुंचना नहीं बल्कि चलते जाना हैँ ऊचाईया छूने मे नहीं हैँ अर्थ प्रेम मे तो सिर्फ गहराई पाना हैँ प्रेम का अर्थ......