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Avinash atal
हम रहें ना रहें रहे वतन ये मेरा ऐ वतन तेरी बुलंदियों पर मिट जाए तन ये मेरा इन जात-पात के झगड़ों ने किया बेड़ा गर्क तेरा इन धर्म के दंगों ने । किया धूमिल आंचल तेरा तेरी सुनहली धरती पे अब आग उपज रही है नेताओं के करतूतों से अग्नि बरस रही है देख के तेरी दुर्दशा दुःखी है मन ये मेरा तेरी बुलंदियों पे मिट जाए तन ये मेरा फिर से जनों माँ भारती क़ोई किशन कन्हैया जो रख ले लाज़ तेरी मेरी सुनो ओ मैया हो रहा है चीर हरण तेरी द्रौपदी का बने हैं मुक् दर्शक मेंरे देश के ये नेता सत्ता के मद् मे उनकी मती गई है मारी कर दे उद्धार उनकी मेरी सुनो ओ मैया तेरी बुलंदियों पे मिट जाए तन ये मेरा! तेरी बुलंदियों पेमि भारती की दुर्दशा
भारती की दुर्दशा
read moreLalit Tiwari
फूल फूलते आज चमन मैं, जिसको सींचा कुर्बानी नेॽ लहू दिया था किसने इसको ॽ किसने दिया हवा और पानीॽ किसने छाया बन सहलाया ॽ किसने कांटों से तड़पाया ॽ किसने छांटा इसके कद को ॽ किसने बांटा आज इसी को ॽ मज़हब की गाली देकर के, आज खड़ा रोता इसका तन, अपने कटते भागों पर, अरे मत काटो,अरे मत बांटो, मेरे लाल बिछुड़ जाएंगे, लहू गिराकर हमें संवारा, हम क्या उन्हें भूल पाएंगे ॽ गहरी थकन लड़ाई से जो सोए हैं चिर निद्रा में, जागते होते आज वही जो, तो क्या। मेरा हाल ये होता, न ही पाक अलग हो पाता, न तिब्बत का हाल ये होता, काबुल भी सीमान्तर होता , चीन भी अपनी हद में रहता, लेकिन ओछी राजनीति ने, बंटवारे का बीज उगाया, ईर्ष्या और और द्वेष में भरकर, भाई भाई का लहू बहाया, बंटवारे का दंश अभी तक, निकला नहीं शियाओं से, अलगाववाद, आतंकवाद और नफरत मिली दुआओं से, जो नफरत के व्यवसायी थे वो देश के पहरेदार बने, नारदान में बहने वाले कंगूरे की ईंट बने, राष्ट्र नमन करता है उसको जो एक सूत्र में बांध सके पिता वही होता है काबिल जो आचरणों में ढाल सके। । वन्दे मातरम् चमन की दुर्दशा
चमन की दुर्दशा
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खड़े हो गये वे हठ कौरवो जैसी करते है सत्ता की बदौलत उपहास जनता का करते है विपरीत धारा में चलकर समय को चुनौती है अभिमन्यु जैसी जनता को चक्रव्यूह में फँसाकर सौ सौ तरह की मौते देते है द्रौपदी के चीरहरण पर ठहाके देते है जुआ समझ राष्ट धरोहर दाँव पर लगा देते है त्राही त्राही करे प्रजा को महँगाई की भेंट चढ़ा देते है महामारी की दुर्दशा पर कोरे आश्वासन है श्मशान की अंतिम यात्रा का हक भी अब छीन बैठे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" महामारी की दुर्दशा पर कोरे आश्वासन है #SavingTime
महामारी की दुर्दशा पर कोरे आश्वासन है #SavingTime
read moreAnita Najrubhai
छोटे-छोटे बच्चों को महेनत करते देखा है हाथ में नोट बुक और पेन से लिखते हुए नहीं पर उसी पेन को सड़कों पर बेचते हुए देखा है ©Anita Najrubhai #snow # सड़कों पर
Geeta Sharma
1.बार - 2 टूटती है , गड्ढों को सहती है..... कहाँ रूक पाती है, बेचारी चलती रहती हैं , हो जाता है जब कोई एक्सीडेंट , वो इल्ज़ाम भी सहती हैं ..... भ्रष्टाचारियों की तरफ़ कहाँ किसी की नज़र रहती है, उनकी घपलेबाजी तो चलती ही रहती है , 2.कभी-कभी लोकल सड़कों की किस्मत संवरती है, जब किसी नेता की गाड़ी वहाँ से गुजरती है , जोड़ लगाकर उन गड्ढों को भरा जाता है , आनन- फानन में तारकोल डाला जाता है , 2 दिन बाद फिर वही स्थिति होती है , सड़कें अपनी हालात पर फिर से रोती हैं , लेकिन.... अपना फर्ज वो टूटकर भी निभाती हैं , हम सबको अपनी मंजिल तक पहुँचाती हैं । ©Geeta Sharma ### सड़कों की बदहाली ।
### सड़कों की बदहाली ।
read moreSaurabh Baurai
ढल रही है यह धरा घनघोर तम की छाव से। ओझल सि लिपटी कोई बेड़ी जकड़े मनुज को पाव से।। सत्य अब जख्मी सा होकर कैद होने है लगा। चंद सिक्कों की लालसा में डकैत अब होने लगा।। मच रहा है शोर हर क्षण झूठ की हर जीत का। उल्लास में है हर प्राणी इस अनोखी रीत का।। गिर रहा है श्वेत पंछी धूर्त रण की बाह से। बह रही है रुधिर तटिनी असुर युग के प्रभाव से।। हो रहा नरसंहार हरदिन मौनता और धीर से । अंजान होकर जन है सोया विवश बंध जंजीर से ।। दुर्दशा इस जग की ।
दुर्दशा इस जग की । #कविता
read moreKumar Chandan
🙊🙊शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा🙊🙊 --------------------------------------------------- शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा, इसका रक्षक हीं आज इसका पैकार हो रहा, हर रास्ते पर इसकी दुकान है लगी, आज हर मानव इसका तलबगार हो रहा, शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा-------।। रो रहें हैं हर गली में इसके रखवाले, अपने हीं लोगों ने लगाए हैं इसके मुख पर ताले, कल तक जाने से लोग जहाँ रहे थे लोग घबरा, आज वही जगह इसका बाजार हो रहा, शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा ------- रो-रो माँग रही है अपनी अस्मत की भीख, कब सुनेंगे इसके बच्चे इसके दर्द भरी चीख" तड़प-तड़प कर दम तोड़ती जा रही है ये, क्योंकि इसका अपना हीं जन्मा आज बेकार हो रहा शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा ----------।। पाला था इसने बड़े हीं जतन से जिसको, सींचा था अपने हीं खून से उसको, पाकर हुई थी वो अपने किस्मत पर निहाल, वो हीं कर रहे अपनी जननी का ये हाल, करके भरोसा सौंपा था जिसके हाथों मे अपनी अस्मत, उन्हों ने हीं लूट लिया इसके जीवन की किस्मत, इसका अपना हीं जना आज देखो मक्कार हो रहा, शिक्षा का आज बलात्कार हो रहा --------------।। 🙏चन्दन कुमार 🙏 बेसिक प्रखण्ड शिक्षक, मध्य विद्यालय गोनावाँ,हरनौत (नालन्दा ) 🙊शिक्षा की दुर्दशा🙊
🙊शिक्षा की दुर्दशा🙊 #कविता
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