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Mehfil-e-Mohabbat
ये चाहतों का सिला नहीं है वो देखकर भी रुका नहीं है बहुत हसीं है तुम्हारी आँखें बस एक कमी है हया नहीं है ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ हामिद भूसावली ♥️✍️
Mehfil-e-Mohabbat
कहानी को कोई तो मोड़ दो न बुरे हैं हम तो हमकों छोड़ दो न बहुत बैचैन हो कुछ तोड़ने को ये दिल हाज़िर है इसको तोड़ दो न ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ हामिद भूसावली ♥️✍️
Mehfil-e-Mohabbat
कहानी को कोई तो मोड़ दो न बुरे हैं हम तो हमकों छोड़ दो न बहुत बैचैन हो कुछ तोड़ने को ये दिल हाज़िर है इसको तोड़ दो न ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ हामिद भूसावली ♥️✍️
Mehfil-e-Mohabbat
ज़ख्म लगे तो आँखों से फ़िर अश्कों की बरसात हुई छोड़ो उसको सो भी जाओ देखो कितनी रात हुई मेरे शहर में आके मुझसे मिलने तक न आया वो ऐसी भी क्या मज़बूरी थी ऐसी भी क्या बात हुई ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ हामिद रजा जैदी ♥️✍️
Sarfaraj idrishi
India quotes इधर इस्लाम ख़तरे में उधर है राम ख़तरे में मगर मैं क्या करूँ हैं मेरी सुबह ओ शाम ख़तरे में ये क्या से क्या बना डाला है हम ने मुल्क को अपने कहीं हैरी कहीं हामिद कहीं हरनाम ख़तरे में ! ©Sarfaraj idrishi इधर इस्लाम ख़तरे में उधर है राम ख़तरे में* *मगर मैं क्या करूँ* *हैं मेरी सुबह ओ शाम ख़तरे में* *ये क्या से क्या बना डाला है हम ने मुल्क को अ
JALAJ KUMAR RATHOUR
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि सरकार और समाज को अपनी कलम से गरीबी रेखा से भी नीचे की गरीबी का एहसास कराने वाले, हामिद का उसकी माँ के प्रति प्रेम को दर्शाने वाले, उपन्यास सम्राट और कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी को उनकी जयंती पर नमन.... व धन्यवाद गोदान जैसा महान उपन्यास देने के लिए... हल्कू किसान और झबरा कुत्ता की याद दिलाने के लिए..... ... #जलज कुमार राठौर सरकार और समाज को अपनी कलम से गरीबी रेखा से भी नीचे की गरीबी का एहसास कराने वाले, हामिद का उसकी माँ के प्रति प्रेम को दर्शाने वाले, उपन्यास
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो कॉमरेड, मुझे नही पता व्यक्ति को किस खास उम्र में समझ आती है। लेकिन इतना जरूर पता है कि समझदारी की कोई उम्र नहीं होती। प्रेम हमें समझदार बनाता है। इसी लिए तो ईदगाह कहानी में हामिद अपनी दादी के जलते हाथो को देख लाया था।मेला से, रोटी को पकड़ने वाला "चिमटा"। हामिद को उसके दादी के प्रति प्रेम ने इतना समझदार बना दिया था कि उसने अपनी इच्छाओं का तिरिस्कार कर दिया था।यार मैं अब सच मैं तुम्हारे बिन मुस्कराना सीख गया हूँ। तुम्हारे प्रति असीम प्रेम ने मुझे इतना समझदार बना दिया है कि मैं समझ चुका हूँ।किसी के जीवन मे होने ना होने से किसी का जीवन प्रभावित नहीं होता। हाँ थोडी कसक जरूर होती है और इसका होना लाजिमी भी है। आज कई पुराने दोस्तों से बात हुई। सभी ने तुम्हारा जिक्र किया।जिक्र पराये और फिक्र सिर्फ अपने करते हैं। आज अच्छा लग रहा था। बड़े(अग्रज) और छोटे (अनुज ) सभी ने मेरे प्रति प्रेम भाव प्रकट किया। आज समझ आया किसी से प्रेम मिलना कितना सुखदाई होता है। .... तुम्हारा जलज कुमार #WatchingSunset सुनो कॉमरेड, मुझे नही पता व्यक्ति को किस खास उम्र में समझ आती है। लेकिन इतना जरूर पता है कि समझदारी की कोई उम्र नहीं होती।