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Himanshu Prajapati
तोड़ता जा रहा हूं वह बाग-डोर जो मुझे आसमां में ले जाने की जगह मेरे पैरों में फस रहे हैं..! ©Himanshu Prajapati #shadesoflife तोड़ता जा रहा हूं वह बाग-डोर जो मुझे आसमां में ले जाने की जगह मेरे पैरों में फस रहे हैं..! #36gyan #hpstrange
#shadesoflife तोड़ता जा रहा हूं वह बाग-डोर जो मुझे आसमां में ले जाने की जगह मेरे पैरों में फस रहे हैं..! #36gyan #hpstrange
read moreazad satyam
बांधा नहीं तूने किसी डोर से, लेकिन कुछ तो है जो मुझे तुझसे बांधे रखता है 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam बांधा नहीं तूने किसी डोर से, लेकिन कुछ तो है, जो मुझे तुझसे बांधे रखता है...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa
बांधा नहीं तूने किसी डोर से, लेकिन कुछ तो है, जो मुझे तुझसे बांधे रखता है...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa
read moreदीक्षा गुणवंत
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" , ©दीक्षा गुणवंत तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
read moreHimanshu Prajapati
White जिसे चाहा था वह मिला नहीं, जो मिला है वह मुझे चाहता है, इश्कें बाग डोर में अब एक और पतंग कटी नज़र नहीं आने दुंगा..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari जिसे चाहा था वह मिला नहीं, जो मिला है वह मुझे चाहता है, इश्कें बाग डोर में अब एक और पतंग कटी नज़र नहीं आने दुंगा..! #36gyan #
#love_shayari जिसे चाहा था वह मिला नहीं, जो मिला है वह मुझे चाहता है, इश्कें बाग डोर में अब एक और पतंग कटी नज़र नहीं आने दुंगा..! #36gyan #
read moregauranshi chauhan
green-leaves day - 436 शून्य से अनंत की ओर एक डोर है बांधी, मै खुश हूँ क्युकी मेरे रामजी है मुझ पर राज़ी।। ✨✨😌🙆♀️✨✨🚩 मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️ ©gauranshi chauhan #GreenLeaves शून्य से अनंत की ओर एक डोर है बांधी, मै खुश हूँ क्युकी मेरे रामजी है मुझ पर राज़ी।। ✨✨😌🙆♀️✨✨🚩 मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️
#GreenLeaves शून्य से अनंत की ओर एक डोर है बांधी, मै खुश हूँ क्युकी मेरे रामजी है मुझ पर राज़ी।। ✨✨😌🙆♀️✨✨🚩 मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Unsplash आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर, हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर। नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें, प्यार का पतंग संग थामे चलें। हर शिकायत को हवा में बहा दें, हर दूरी को अपने करीब ला दें। आओ फिर से अजनबी हो जाएं, एक नई दास्तां फिर लिख जाएं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्
#lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
New Year 2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती। हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे, तुम्हारे संग चलते हर चाह जैसे। जो तुम सुनती दिल की हलचल मेरी, तो दिलों में ये तन्हाई नहीं होती। बस एक नज़र, बस एक बात होती, शिकवे-गिले सबकी वहीं मात होती। जो तुम समझती दिल के जज़्बात मेरे, तो आज दिलों में ये दूरी नहीं होती। ख़ता अगर थी, तो उसे भूल जाना, मोहब्बत को हर इल्ज़ाम से छुड़ाना। गर रिश्ते की डोर को तुम थाम लेती, तो दिलों में ये वीरानी नहीं होती। जो वक्त थम जाता उस मोड़ पर कहीं, जहाँ खड़ी थी खुशियों की एक जमीं। तुम कदम बढ़ाती अगर साथ मेरे, तो तक़दीर भी यूँ बेवफ़ा नहीं होती। ©theABHAYSINGH_BIPIN #NewYear2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह
#Newyear2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ, वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं। क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर, इशारे में थामो, उड़ान बदलती है। क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से, वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं। क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो, वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं। हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं, हर रिश्ते में वो तड़प रहती है। क्यों हो इतना भी बेकरार तुम, वक्त पर ही नींद सुकून की आती है। जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता, वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है। क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो, वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है। नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों, वक्त पर ही दवा मिलती है। दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ, वक्त पर ही अपने मिलते हैं। क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया, वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं। क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए, वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है। छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे, वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं। वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है, वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर, सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती। हर तरफ धुंध-सी फैली हुई है, हकीकत कभी नजर नहीं आती। आरज़ू में कटती हैं सदियां, पर तमन्ना कभी मर नहीं पाती। सफर भी है और मंज़िल भी है, पर कोई राह समझ नहीं आती। हर कदम पर ख्वाब टूटे यहां, पर आंखों से उम्मीद नहीं जाती। मौत से भी आगे कुछ होगा शायद, वरना ये रूह क्यों डर नहीं पाती। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर, सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती। हर तरफ धुंध-सा फैला हुआ है, हकीकत कभी नजर नहीं आती। आरज़ू में कट
#नवनीतठाकुर ज़िंदगी जैसे एक उलझी हुई डोर, सुलझाते हैं, पर सुलझ नहीं पाती। हर तरफ धुंध-सा फैला हुआ है, हकीकत कभी नजर नहीं आती। आरज़ू में कट
read moreAnjali Singhal
क्या कीमत चुकाते हम उनकी मोहब्बत की. दिल ही था बस हमारे पास डोर उसकी उन्हें सौंप दी #AnjaliSinghal poetry #Shayari nojoto
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