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Tilak Gondavi
आसमान का रंग गहरा नीला होता जा रहा है और ,हरी परिधान में खूबसूरत दिखने वाली धरती , इन दिनों लाल होकर धधक रही है चिताए धूं-धूं करके जल रही है और अपने आप को तथाकथित देश का सेवक कहने वाले ,अपने राजमहल की चारदीवारी को सजाने में मगन है उन्हें परवाह नहीं , लाशों का गिरना उनके लिए महज गिनती है, ऐसी गिनती जो कल उन्हें लाभ पहुंचाएगी, शमशान अपने हाथ-पांव जोड़ चुका है हमे बता रहा है मुझमें इतनी शक्ति नहीं कि मैं इन लाशों को जला सकूं यह राख का ढेर अधजली लकड़िया राख के बीच बची हड्डियां इन हड्डियों को संजो के रखना , क्या पता कौन हुकुमरान , कल इनसे कहे कि आप ताली बजाएं । तब हड्डियों को उठाना और एक मुर्दे की हड्डी दूसरे मुर्दे की हड्डी से लड़ा देना हड्डियों से आवाज आएगी,उस आवाज को सुनकर वो प्रफुल्लित हो जाएंगे, हड्डियां आवाज करती है यह कल चुनाव की बड़ी बड़ी रैलियों में जाएंगी , किसी नेता के समर्थन मेंआवाज करेंगी । आवाज करेंगी कि मैं हिंदू की हड्डी हूं जो अधजली रह गई हूँ। तुम मुझे जिस से लङवाना चाहते थे। वो हड्डियां जमीं के अंदर दफन है आज मैं तुमसे मांग करती हूं उन्हे जमीन से बाहर निकाला जाए ,जिस तरह मैं, अधजली रह गई, क्या वो भी अधगली है ? तिलक गोण्डवी ©गीतकार तिलक गोडवी Heart voice हड्डियां अवाज करती है #covidindia
Karuna Yadav "Tanha"
खुद को किसी का इतना आदि मत बनाओ की तुम उसके बिना जी ही न सको आदि
Aadi
अपनी शायरी में सबके "ख़्वाब" लिखता हूँ.. लोग कहते हैं मैं "लाज़वाब" लिखता हूँ... "आदि".....✍️ आदि
Aadi
वो रब है मेरा ... उसे हक है लिखे तकदीर मेरी... आँसू लिखे या मोहब्बत... अब उससे ही है हर ताबीर मेरी...!! आदि..✍️✍️ आदि
Aadi
तू समंदर है मीठे पानी सा और तुझसे ही "प्यास" है मुझको.. इन हाथों की लकीरों में एक तेरी ही "तलाश" है मुझको.. माना यारा तेरा मिलना शायद "मुमकिन" नही है मुझसे.. मगर तू दुआ है सजदों की मेरी और तेरी ही "आस" है मुझको.. *आदि...✍️✍️* ©Aadi आदि #seaside
Aadi
*हुनरमंद* है ना तू तो चल अपना ये हुनर *आज़मा* कर दिखा... मेरी यादों से तेरे *ख्वाबों* का सिलसिला *मिटाकर* दिखा... *आदि..✍️✍️* ©Aadi आदि #story
GUPTA JI...
आसा नही थी... दासता इनके प्यार की... क्योंकि...स्वयं शिव ने... किया था... इंतज़ार... अपनी आदि –शक्ति का...!! ©GUPTA JI... #आदि–शक्ति