Find the Latest Status about पसेरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पसेरी.
Shashi Bhushan Mishra
काम में इतनी देरी क्यों? इतनी हेरा-फेरी क्यों? जब तेरा है कुछ भी नहीं, नाहक मेरा मेरी क्यों? अपना-अपना पक्ष रखो, तर्क से घेरा-घेरी क्यों, नाम से है आजाद मगर, पाँव में इसके बेरी क्यों? आसमान में तारे इतने, फिर भी रात अंधेरी क्यों? सच से हैं वाकिफ दोनों, फिर ये सीना जोरी क्यों? होता इसका हश्र बुरा, बनते लोग नशेडी क्यों? रघुपति कृपा बिना 'गुंजन', सब धन बाइस पसेरी क्यों? --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सब धन बाइस पसेरी क्यों?#
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Abhishek Yadav
आस्तिकता इंसान को सकारात्मकता की ओर ले जाती है। कभी-कभी जब हम टूट जाते हैं तो ऐसे ही मन ही मन बड़बड़ाने लगते हैं, ये जानते हुए भी कि कोई नहीं है सुनने वाला। पर जब आस्तिकता होती है तो लगता है कि शायद थोड़ी देर से ही सही पर भगवान सुन ही लेगा। सबकी अपनी-अपनी श्रद्धा है और सबके अपने-अपने भगवान। छोटी लड़कियों को कृष्ण भगवान बहुत भाते हैं। वो भी खुद को राधा से कम नहीं समझती हैं। थोड़ा-थोड़ा जब बड़ी होती हैं तो रुझान शंकर भगवान की तरफ बढ़ चलता है। शंकर जी जैसा वर पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत कब सोलह से बत्तीस और कभी-कभी तो अड़तालीस तक चला जाता है, पता ही नही चलता। पहले भगवान तो सोलह में ही सुन लेते थे पर अब शंकर भगवान भी करें तो क्या करें? मार्केट में हमारे जैसे ही लड़के भरे हुए हैं। फ्री में ही पसेरी भर मिल जाते हैं। अब योग्य वर कम हो गए हैं और हमारे जैसे किसी को फ्री में भी नहीं चाहिए। टास्क कठिन हो गया है शंकर भगवान के लिए भी! हिंदूवादी सरकार होने के भी सरकार की तरफ से ऐसी कोई भी पहल नहीं हो रही है। हर किसी को तो रितिक ही चाहिए। नवाजुद्दीन की तो बस एक्टिंग से ही प्यार है, शक्ल से नहीं...☹️ फिर! बेचारे लड़के आते हैं। जो हाईस्कूल से ही हनुमान जी के भक्त हो जाते हैं। मंगलवार का व्रत भी रख लेते हैं। हर मंगलवार ११₹ का प्रसाद भी चढ़ाते हैं। हनुमान जी से बल, बुद्धी, विद्या भी माँगते हैं, और तो और कोई कन्या भी पसंद आ जाए तो वो भी माँग लेते हैं। छोटे शहरों में लड़के जब उनसे कहीं नहीं मिल पाते तो हनुमान गढ़ी में ही मिल लेते हैं।🤓😜 लड़कों हनुमान जी से तो कन्या का वरदान कत्तई मत माँगना। नौकरी चाकरी सब मिल जाएगी पर छोकरी का तो सोचना भी मत। भगवान राम को सीता से जरूर मिलवा दिए थे वो पर राम जी उनसे सीनियर थे। और वो हनुमान जी के भगवान थे। अपना तो भूल जाओ।😕😂 खैर! गणेश भगवान से ट्राई कर सकते हो। वैसे भी सारा शुभ काम उन्ही से शुरू किया जाता है। और शंकर भगवान के लड़के होने के कारण उनके पास तुम्हारी अर्जी भी जल्दी पहुँच जाएगी। और शायद सोलह सोमवार वाली जमात में भी आजाओ।😂😍 तुम कितना भी शेर बन लो बेटा। अगर तुम शेर हो तो मोहतरमा! शेरा वाली माई है। केतना भी दहाड़ लो हमेशा काबू में ही रहोगे। और वैसे भी उन्होंने सोलह सोमवार का व्रत रखा हुआ है। तुम उनको तभी मिलोगे जब बीच में उन्होंने चुपके से बिस्कुट खा लिया होगा। वरना! अइसे ही टहलो तुम। आस्तिकता जीवन में जरूरी होती है। इधन होती है। कई बार जब आपके सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो आपको अपने नए रास्ते बनाने में साहस देती है। हम खुद कई बार टूटते हैं, पर ये आस्तिकता ही है कि हर बार किसी ना किसी तरह बाहर निकल ही आते हैं। जरूरत पे भगवान, अल्लाह, इशु या नानक से कुछ ना कुछ माँगना आस्तिकता नही है। ये यकीन से आती है। मंदिर जाके बिना कुछ माँगे आइए तो वो आस्तिकता है। भगवान को भी तो लगे कि ये सिर्फ “हेल्लो” बोलने आया है। अलग इफेक्ट पड़ेगा आप पे और भगवान पे भी।😍 आपके अपने खुद के भी ईश्वर हो सकते हैं। सब किसी को मानने का खेला है। माँ-बाप, गुरु, दोस्त कोई भी आपका भगवान हो सकता है। भगवना वही तो है जो आपको ताकत देता है। सारे रास्ते खोलता है। सही गलत की पहचान बनाता है। कृष्ण, शंकर, हनुमान, अल्लाह, इशु, नानक, माँ बाप या गुरु सब भगवान ही तो हैं। चुन लो अपना अपना भगवान।👍🙏 भगवान हमेशा मजबूत बनाता है मजबूर नहीं। भगवान के नाम पे हो रहे तमाशे से बचिए। क्योंकि भगवान कभी किसी का बुरा चाह ही नही सकते। उनकी फितरत में माफ करना ही है। जो माफ करता है वो ही ईश्वर है। किसान लोग भी ध्यान देदें जरा। जब बारिश-वारिश ना हो तो एक बार मन में बस ये सोच लें कि सुबह होते ही स्वर्ग निकल लेंगे और इन्द्र के सिंघासन पे बईठ जाएँगे। सुबह होने से पहले ही बारिश हो जाएगी। मम्मी-पापा सबकी पूजा करते हैं। उनको बिटिया के बियाह की भी चिंता होती है और रिजल्ट की भी। उनको बेटवा के भविष्य की भी चिन्ता होती है और करियर की भी। उनको अपने माँ-बाप के स्वास्थ्य की भी चिन्ता होती है और उनकी अपेक्षाओं की भी। वो निःस्वार्थ ही होते हैं। सबके माँ बाप निःस्वार्थ! इसीलिए जब किसी ईश्वर में मन ना लगे तो झक मार के माँ बाप के पास आजाइएगा। रास्ता मिलेगा और सुकून भी।।😍😍 अंततः नागपंचमी के इस शुभ-अवसर पर सबको मेरी शुभकामनाएं और भोले बाबा की तरफ से आशीर्वाद।🙏🙏 बाकि! मस्त रहें, मर्यादित रहें सब लोग अपने-अपने जिंदगी में।😍😍 -✍️ अभिषेक यादव आस्तिकता इंसान को सकारात्मकता की ओर ले जाती है। कभी-कभी जब हम टूट जाते हैं तो ऐसे ही मन ही मन बड़बड़ाने लगते हैं, ये जानते हुए भी कि कोई नही