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SONU SUTHAR
पुष्प पौधों पर हो तो खिलखिलाते है। अलग होकर मुरझाते है। गुँथी माला से गले की शोभा बढ़ाते है। टूट जाए तो बिखर जाते है। ©SONU SUTHAR पुष्प
पुष्प #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।। फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो । जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।। गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल । जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।। प्रकृति रही है खेल , सभी से अब के बी सी । कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।। कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी । किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस
गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस #कविता
read moreRimpi chaube
White गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर, सो देना कैसा होता है? बिना लक्ष्य के अर्थहीन–सा, जीवन के जैसा होता है।। किसी को पाकर अपना बनाकर, खो देना कैसा होता है? मुट्ठी मे स्वपन–सी सिमटी हुई, वो रेत के जैसा होता है।। ©Rimpi chaube #खोदेनाकैसाहोताहै गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर,
#खोदेनाकैसाहोताहै गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर, #Poetry
read moreShivkumar बेजुबान शायर
White // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार... अपना सर्वस्व त्याग कर करती उपकार ! माॅ हर क्षण साथ तुम्हारा हो... गहन तिमिर में तुम उजियारा हो! जीवन की धवल चाॅंदनी का... केवल तुम ही हो सुखद अहसास ! ईश्वर भक्ति में तल्लीन यह संसार.... मगर मातृभक्ति से बड़ा न कोई सुख आगार ! माॅ संसार रचाती हर विपदा से बचाती... पालन - पोषण कर,सद संस्कार प्रदान करती ! माॅं प्रेरणास्रोत - शिक्षा दात्री होती.. जिनके स्पर्श मात्र से बनती नव कृति! जिनकी खुशबू से जीवन बगिया महकती.... वो महकता हुआ पुष्प " माॅं " ही होती ! इसलिए तो माॅं " हृदय स्पंदन " होती ! विश्व की सभी माॅं को "मातृदिवस" पर...मेरा वंदन - अभिनन्दन बारंबार !! ©Shivkumar #mothers_day #motherlove #motherDay #mother❤️ #Mother #mother_Love #motherdayspecial // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार.
#mothers_day #motherlove #motherDay #Mother❤️ #Mother #mother_Love #motherdayspecial // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार. #अहसास #शायरी #संसार #संस्कार #mother❤️
read moreDevesh Dixit
कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इससे काँपते, होती सम तलवार। एक बार की चोट में, घायल कई हजार।। उत्तम लेखन भी करे, सबको होती आस। यही कलम की जिंदगी, है सबकी यह खास।। बिना कलम के जिंदगी, है बिलकुल वीरान। इससे ही रचना बने, और करे ऐलान।। शब्दों से मन मोहती, यह इसकी पहचान। अकसर देती है खुशी, करती भी हैरान।। यही कलम औजार भी, और पुष्प की माल। कहती है सद्भावना, करती बड़ा कमाल।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इ
#कलम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इ #Poetry #sandiprohila
read moreSangeeta Kalbhor
White श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आये आये तुफान या कोई बवंड़र क्यूँ ना आये श्रीराम जी का नाम जपने से सारे संकट दूर भाग जाये मर्यादाओं में जीना हो तो शिश झुकाओ श्रीराम के आगे भाई भाई में जहाँ प्रेम है दुश्मन दुम दबाकर भागे अपनेपन के जहाँ खिलते है पुष्प श्रीराम ऐसी श्रद्धा है जिसने भी पुजा की श्रीराम की मिटी उसकी द्विधा है नाम जपो श्रीरामजी का अनंत पुण्य मिल जायेंगे श्रीराम ,श्रीराम कहने से हिंदू , हिंदू से मिल पायेंगे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #ramnavmi श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आ
Expressive ladki
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
holikadahan होलीholinojotohindipoetryसाहित्यछंद चित्रपदा छंद विध
read moreDevesh Dixit
बचपन बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है बचपन में हुई उनकी हर बातें मन को बहुत भाती हैं बचपन की मीठी सी आवाजें श्रवणों को सुहाती हैं बचपन का हंसना खिल-खिलाना सबको प्रफुल्लित करता है बचपन में मां-बाप से लिपटना मां बाप को सुखी करता है ईश्वर की प्यारी देन है ये ईश्वर के ही समान है सच्चा प्यारा जीवन है ये ये ही पुष्प समान है बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है ................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #bachpan #nojotohindi #nojotohindipoetry बचपन बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है
#bachpan #nojotohindi #nojotohindipoetry बचपन बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है #Poetry #sandiprohila
read moreHintsOfHeart.
"हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर, लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं !" ©HintsOfHeart. #राष्ट्रीय_पुष्प_दिवस। #पुष्प #बिस्मिल_सईदी
राष्ट्रीय_पुष्प_दिवस। #पुष्प #बिस्मिल_सईदी
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