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Writer Abhishek Anand 96
शाख के सुखे पत्ते सा बिखर गया कोई ,किसी के निगाह से देखो उतर गया कोई , लिखा जो खत मैं ने तुम्हारे खातिर अब वो मेरे खत तुम्हे मेरी कब्र पर रखी किताबों मे मिलेंगे, तुमसे हकीकत में नही अब हम ख्वाबों में तुमसे फिर हर रोज मिलेंगें ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd अब हर रोज.....
DEVENDRA KUMAR
मुझे अब हरपल मुझे अब हरपल हर जगह, तू ही दिखाई देती है, मेरे तो हर कण - कण में, तू ही समाई बैठी है । है तेरी वफ़ा में वो दम, जो मैं भी हो गया हूँ तेरा कायल, इन जुल्फों के साये में तू अपना, चेहरा क्यूँ छुपाए बैठी है । हर लड़की जो किसी से, सच्चा प्यार करती है, अपने हाथ में एक, चाबुक थमाये बैठी है । कहीं लड़का भटक ना जाए, किसी कारण से, इसलिए उसके ऊपर, आधिपत्य जमाए बैठी है । शादी के बाद लड़कियाँ, अपनी जिम्मेदारी समझती हैं, अपने साथी के साथ में रहना ही, अच्छा समझती हैं। ये उन्हें पता चल जाता है की, अब घर को संभालना है, इसलिए वो बड़ों की आज्ञा का हमेशा पालन करती हैं । अब तो मैं भी अपने लिए तुमसे, बस यही उम्मीद करता हूँ, तुम्हारे अच्छे स्वभाव की हमेशा मैं, घर में तारीफ करता हूँ । तुम मुझसे और मेरे परिवार वालों से, कितना प्रेम करती हो, मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूँ और तुम्हारा सम्मान भी करता हूँ । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # मुझे अब हरपल
Ashutosh Wankhade
माना आंख नम होने से , दिल को थोड़ी तसली मिल ती है। पर दर्द अब सहन नहीं हो पाता , शायद तु पास होती तो हर दर्द कम लगता। " तेरी कमी अब हर पल है "
punit singh tomar
Alone इश्क में टूट कर कुछ इस तरह से अपना दर्द बयां करने लगा, ना चाहते हुए भी लोगों को मैं दर्द- ए -शायर लगने लगा!! अब हर रोज टूटने लगा हूं
Apna Timezone
अब हर रोज़ ये कहां होता है, कि पहली वारी का उसको देखना, वो रोज़ कहां होता है, उसका झगड़ना, उसका खिल जाना उसके उलझने पर उसको सुलझाना ये अब रोज़ कहां होता है.. कि उसके आने से हवाओं को असर, उसके चलने से बहारों को खबर.. वो रेत की छुअन सा, वो सर्द में तपन सा.. हर रोज़ कहां होता है .. जो दिल की लगी में शबनम की नमी सा.. वो बूंद सा टपकता.. गुलाबी ओस का पत्ता.. अब हर रोज कहां होता है.. जो पहली बारी का इसको देखना वो हर रोज़ कहां होता है.. ©Apna Timezone #Rose अब हर रोज़ कहां होता है
Nirankar Trivedi
मेरी उम्मीद ही मुझको अब हरदम जगाती है #