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Parasram Arora
जीवन कुछ नहीं हैँ बस उसे तो रण चुकाना हैँ इस देह का समय और काल शाश्वत हैँ नश्वर फूल अकेला हैँ इस उपवन का विस्तीर्ण हैँ सागर की सतह तो क्या हुआ आदमी का जीवन तो बस जैसे तिनके का राग रंग और उत्स्व की महिमा हैँ कितनी जब उतरा आँगन मे झोंका उस. महा मृत्यु का हैँ भविष्य कितना बादल पर बैठी उस बूँद का तपी चट्टान पर गिर जब वो बन जाती भाफ क्या कह सकेंगे हम ये पाप था उस नश्वरता का ? नश्वरता........
Arora PR
कहाँ टिक पाता है. सांझ का इंद्रधनुष क्षितिजो पर देर रात होने तक नशवरता का ये सिद्धांत हमें अस्तितव सिखाता है. लेकिन शांशश्वतता की आसक्ति से सममोहित हमारा मन इस नश्वरता को नहीं समझ पाता ©Arora PR नश्वरता
ज्योति ਠਾਕੁਰ
अगर अब भी घमंड है झूठी काया पर, तो एक रोज वहाँ भी जाओ ,जहाँ आज लाइन लगी है । #नश्वरता
Parasram Arora
अमरता भी आज नश्वरता की गलियों मे भटक रही हैँ शाश्वत की अमरबेल जो घर घर उगी थी आज वो भी सड़ने लगी हैँ मरघट मे पुरषार्थ की अर्थी जल रही हैँ बासंती चमन मे क्यों फिर से आज मरुस्थलीय पतझर की घुसपेठ हो रही हैँ जिस दिन से जन्मा हैँ आदमी उसी दिन से मरने की तैयारी चल रही हैँ ये सजी संवरी सी शृंगारित कब्रे बाहे पसारे आलिंगन का आवाहन कर रही हैँ नश्वरता की गलिया........
Parasram Arora
टुकड़ो में बिखरा सपना मेरी जिंदगी की कभी भी सच्चाई क़ो व्यक्त नही कर सकता धरती पर बिखरी एक झरी हुई वृक्ष की पत्ती भी जानती है कि ये उसका अंत है पर मेरा स्वप्न अपनी नश्वरता पर कभी ऊँगली नही उठा पाता ©Parasram Arora स्वपन और नश्वरता....
Surbhi Sneha
प्रभुता की दौड़ में, तू हार को प्रारस्थ कर उपभोक्ता की चाह में, तू जीत को सुनिश्चित कर.... विडम्बनाओं की ढेर में, तू खोल चच्छु बिम्ब को अवधारणाओ की फेर में, तू सत्य को प्रतिबिम्ब कर.... नश्वरता की उलझनो में, तू कर्म पथ निर्माण कर अमरता की सुलझनो में, तू स्वपन को साकार कर.... #अमरता vs नश्वरता....
लेखक ओझा
Autumn अगर व्यक्ति को नश्वरता की चेतना आ जाए तो विकारों की उत्पत्ति पर लगाम और महाभूत का ज्ञान हो जाता है। ©लेखक ओझा #autumn नश्वरता की चेतना
Deep Kushin
नश्वरता ये शब्दों का आलाप ये बेवजह प्रलाप, ये संकट और विचार ये दु:ख से भरा विलाप, सब खत्म हो जाएगा एक दिन धरती नश्वर है, मर जाएगा एक दिन। जीने का मद नित बढ़ रहा भाव यह मौत की ओर ले जाएगा, ताकत, पद, मान, संपत्ति, और धन सब धरा का धरा रह जाएगा। पुरजोर ताकत तुम लगाओगे फिर भी कुछ हाथ में ना आएगा, क्या! अंतस है उपाय तुम्हारे रक्षण का! और अध्यात्म तुम्हें बचाएगा!? ये तो उपाय है उस मौत का जो मोक्ष प्राप्त करवाएगा, नश्वर है शरीर, मरना हीं है फिर कब तक ये बच पाएगा? अध्यात्म का अनुसरण परम आवश्यक है ये जीत है उन सभी भावों का, डर, शोक, संताप का अध्ययन करो और अध्यात्म से उपजे प्रभावों का। मृत्यु अटल सत्य है फिर भाव हो, गात हो, या की समस्या, पैदा हुआ तो नष्ट भी होगा चक्र जानो ना कि हत्या। नश्वरता परम ज्ञान है नश्वर है इंसान, कलुषित भाव और मोह को दूर करेगा ध्यान। जो पैदा हुआ वो मरेगा भी यही ज्ञान है नश्वरता का, सहृदय अपनाना इस सीख को संकेत है इश्वरता का। ये मौत है, स्पर्धा नहीं जो जितना इसे तुम चाहते हो, यह सत्य है, कोई राज्य नहीं जिसपर अधिकार तुम चाहते हो, ये खुशी है कोई गम नहीं जिसे मिटाना तुम चाहते हो, ये सच्चा गरल है, अमृत नहीं जिसे पाना तुम चाहते हो, नश्वर है इच्छा भी तुम्हारी ठीक इस शरीर के समान जिसे बचाना तुम चाहते हो, मरेगा ये इच्छा भी इस शरीर के साथ जिससे नित भय तुम खाते हो, अब समझ जाओ कुछ अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं, भ्रम शायद अब दूर हुआ, मर सकता है जीव, लेकिन नश्वरता नहीं। #नश्वर_शरीर #नश्वर_इच्छाएं #नश्वरता #परम_सत्य
आर्यप्रकाश 'अलिज़ेह'
Trust me रातभर कुछ हिलता रहा अंधेर सायों के दरमियां,, जब नींद टूटी तो जाना ख़ाक हो चुके थें हम।। #रातभर #दरमियां #सायें #ख़ाक #नींद #शायरी #नश्वरता #आर्यप्रकाश
Parasram Arora
असल मे मरघट और महल का फासला उनके लीए ही है जिनके मन मे महल की आकांशा है मरघट और महल मे कोई फासला नही है फासला हमारी आकांक्षाओं मे है हम महल चाहते हैँ... मरघट हम नही चाहते इसीलिए फासला है. जहा महल खड़े हैँ वहा मरघट बहुत बार बन चुके जहाँ.मरघट बने हैँ वहा बहुतपहले महल बन कर गिर चुके हैँ और सब महल अंततः मरघट बन जाते है और सब मरघटोपर महल खडे हौ जाते हैँ फर्क क्या है? फासला क्या है? ©Parasram Arora फर्क क्या है? फासला क्या है?