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Mahesh Patel
White सहेली..... प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ ईश्वर पर निर्भर है.. और कर्म ऐसे करो जैसे सब कुछ हम पर निर्भर है.... लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... प्रार्थना... लाला...
Ganesh joshi खुद को शिक्षित समझकर भगवान को भूलने की कोशिश मत करना
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की फिर उसी मोड़ पर आकर खड़े हों जाते हैं। कभी कभी तो लगता है अपने हाथ पैर मारना ही छोड़ दे ताकि कुछ पल सुकून के तो मिल सके पर यह भीं इसे मंजूर नहीं होता है, फिर कोई न कोई राह दिखा कर फिर उसी मोड़ पर ले आती है। ना यह चेन से जीने देती है और ना मरने देती है। जब तकलीफ़ का दौर देखा और अपने आप को कोसने लगे तो फिर इसे शख्स को सामने लाकर खड़ा कर देगी। जो हमसे भीं ज्यादा तकलीफ़ मे होगा, उसे देख कर और उनकी तकलीफ़ को सुनकर उनके लिए प्रार्थना करने के लिए अपने आप भगवान के आगे उठ जाते हैं। और आंखो में अश्रु भर जाते हैं। बस और बस केवल उनकी ही पीड़ा मन में रहती है। जब हाथ पकड़ कर कहती हूं सब ठीक हों जायेगा। तो वो जैसे ही ठीक हों जाता था। तो हमे भूल जाता है। और मन में एक ठीस सी उठती है। हमें दुःख किस बात का हुआ वो भूले इस कारण यां उनकी पीड़ा हमारे अंदर आ गई उसके कारण.. समझ नहीं आता की नियति क्या खेल खेलती है। हमारा मन एक कोरा कागज़ है उसपर हर तरह के रंग भर देती है। चाहें हमें पसंद हों यां नहीं। बस भरे जा रहीं हैं, भरे जा रही है। जो देखेगा तो उसका अलग ही मत होगा। कोई अपनी अलग ही राय कायम करेगा। पर इन सब के बीच में पिसता पेपर हैं। अगर रंग अच्छे भरे तो सुंदर चित्र उभर कर आयेगा और उसे साथ ले जायेगा। और किसी को पसंद नहीं आया तो कचरे के डिब्बे में फेका जायेगा, तब वो स्याही भीं ख़राब तो उस पेन की चुबन और वो पेपर भीं ख़राब हों जायेगा। और बाद में हमारी नियति भीं ख़राब बता दी जायेगी क्योंकि सबसे बड़ी कलाकार हमारी नियति है और हम वो प्लेन पेपर है, और दुःख, सुख, शांति, पीड़ा, संघर्ष रूपी कलम सभी हमारी नियति है। और शून्य से बढ़े तो शून्य में ही विलीन हों गए। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #aaina हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की
AwadheshPSRathore_7773
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा" 🙏आदरांजलि🇮🇳💐पुष्पांजलि💐🇮🇳अर्पित🙏 सिर्फ एक बात की टीस है मन में हमारे वो यह की 1857 से 1947 तक देश आजाद होने तक जो शहीदी हमारे देश ने दी और देश को अंग्रेजो की दासता से मुक्ति दिलाई वो विश्व में अखंड एकता आज भी अखंड है अटूट है सौभाग्यशाली है मगर विडंबना यह है की आज के इस स्वार्थी युग में व्यक्ति देश के लिए मरना तो दूर अपने सगे संबंधीयों की भी परवाह एक हद तक ही कर रहा है तब ईन तीनो शहीदों की आत्मा उपर बैठे बैठे अवश्य ही आंसू बहाती होगी की किन लोगों के लिए हाय कुर्बानी अपनी दे डाली। ©AwadheshPSRathore_7773 #shaheeddiwas बहुत सारे लोगों को तो यह नहीं पता की शहीद दिवस क्या होता है,किस युग में जा रहे हैं हम और हमारे बच्चे। बच्चे सिर्फ दो दिन जानते
अदनासा-
Ravendra