Find the Latest Status about सरौता कहां भूल गईलू from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सरौता कहां भूल गईलू.
Gokuksingh Rathore
White वो दिन भी क्या जो आपको याद नहीं कीया भूल कर भी आपने हमें याद नहीं कीया ©Gokuksingh Rathore #GoodMorning भूल गये वो दिन जहां आपने हम को पाया था हमें सब याद है वो दिन जहां हम एक साथ खाना खाया था और उस होटल बिल मेने दिया था क्योंकि आप
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
Sadhna Sarkar
Blue Moon आकाश की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश में ज़मीन को छोड़ रहे हैं मनुष्य का चोला पहने इंसान किसी जानवर सा सुलूक कर रहे हैं आधुनिकता की होड़ में अपनी अच्छी परंपराओं को तोड़ रहे हैं फैशन के नाम पर अपने तन पर वस्त्र के कुछ चिथड़े लपेट रहे हैं ज्ञान का है जब भंडार अपने देश में तो क्यों विदेशों में भीख मांग रहे हैं भ्रष्टाचार की गिरफ्त में ख़ुद को फंसा कर तरक्की की बात कर रहे हैं राह चलती किसी स्त्री या बच्ची को यूं लार टपकाएं आंखों से निगल रहे हैं आज़ भी किसी स्त्री या बच्ची को बेखौफ कहीं निकलने में थोड़ा तो झिझकते हैं कहीं पर किसानों की उपजाऊ जमीन कौड़ी के दर से बिक रहे हैं तो कहीं अनुपजाऊ वाली ज़मीन चालाकी से सोने के भाव में बिक रहे हैं एक ही देश एक ही समाज के लोग होने के बाद भी इतने असामाजिक हो रहे हैं क्या करें की अब तो लगभग लोगों के होठों पर चुप्पी के ताले पड़े हुए हैं ©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat मन के विचारों को लिखा है, इसे लिखने में हुई मेरी भूल त्रुटि को क्षमा करें 🙏
Yogi Sonu
hanuman jayanti 2024 किसी ने कहां है भगवान निर्गुण है ऐसा लगता है सच ही तो कहा है निर्गुण यानी निराकार जो अपने आप में ही पूर्ण हो जो समस्त विकारों से दूर हो जो निश्चल हो निर्मल हो जिसका कोई दोष नही हो वही तो निर्गुण का प्रतीक है । ©Yogi Sonu #hanumanjayanti24 किसी ने कहां है भगवान निर्गुण है ऐसा लगता है सच ही तो कहा है निर्गुण यानी निराकार जो अपने आप में ही पूर्ण हो जो समस्त विका
Rameshkumar Mehra Mehra
White रास्ते कहां खतम होते है..... जिन्दगी के सफर में....! मंजिल तो बही है...!! जहां ख्वाहिश थम जाए..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # रास्ते कहां खत्म होते है,जिन्दगी के सफर में,मंजिल तो बही है,जहाँ ख्वाहिशे थम जाए......
Shivkumar
White छोटी छोटी बाते करके बड़े कहां से हो जाओगे । पतली गलियों से निकलो तो सड़क पर आओगे ।। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #nojotohindi #shayri #शायरी छोटी छोटी #बातें करके बड़े कहां से हो जाओगे । पतली #गलियों से निकलो तो #सड़क पर आओगे ।।
Anjali Singhal
paras Dlonelystar
White जाना कहां है,खबर ही नहीं लापता है पल दो पल की ज़िंदगी ना हमसफ़र,ना साथ किसी का मिला ढूंढे कहां,यहां,हर मोड़ अज़नबी ©paras Dlonelystar #parasd #2024year #MidnightMusings #मोड़ #अजनबी #कहां
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
Rameshkumar Mehra Mehra
White बहुत खास थी कभी...... नज़रो में किसी के तुम भी....! नज़रो के तकाजे बदलने में देर कहा लगती है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # बहुत खास थी कभी,नजरो में किसी के तुम भी,मगर नज़रो के तकाजे बदलने में देर कहां लगती है...