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अनजान
चंदा की चंचल किरणें चंद पल ही आती है। सहला के सन्नाटे तारों में रम जाती है, कर नभ को चमकीला चांद में समा जाती है चंदा की चंचल किरणें चंद पल ही आती है।। ©अनजान #chaand चंचल किरणें
Om Mishra Furkat
Bhagirath Singh
पूछो क्यों मुस्करा रहे हो। रोशनी तुम्हारी भी कम होगी फिरभी चमकते ही जा रहे हो। तुम भी खो जाओगे गम की अंधेरी रात में फिर भी मुस्करा रहे हो ©Bhagirath Singh सूरज की मुस्कराती किरणें
Dr. Bhagwan Sahay Meena
दोहा -- किरण शोभित है नूतन किरण, सदा गगन के भाल। उषा बनकर मल्लिका, चमक रही है लाल। केसर किरण उजास से, पोषित हो नव भोर। हर्षित हो खग चहकते, नाच रहे वन मोर। स्वर्णिम किरणें वैभवी, कंचन केसर भोर। शीतल मन्द पवन चली, वसुधा के हर छोर। आस किरण ना छोड़ना, संकट होगा दूर। राम गये वनवास में, समय करें मजबूर। छिटकी किरण मयंक से, धरा थाम ली हाथ। नागर लगती चांदनी, नव उमंग के साथ। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani सुहावनी सुबह की किरणें