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N S Yadav GoldMine
White भगवान श्रीकृष्ण जी के मुख्य नाम:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔸🔸🔹🔹 नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव। बाकी बाद में भक्तों ने रखे जैसे मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine #Thinking भगवान श्रीकृष्ण जी के मुख्य नाम:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔸🔸🔹🔹 नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्व
#Thinking भगवान श्रीकृष्ण जी के मुख्य नाम:- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔸🔸🔹🔹 नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्व
read moreF M POETRY
White मेरी तकलीफ का आलम न पूंछो.. मैं तन्हाँ हूँ मुहब्बत के सफर में.. यूसुफ़ आर खान..... ©F M POETRY #मेरी तकलीफ का आलम..
#मेरी तकलीफ का आलम..
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं.... जार जार होते अल्फ़ाज़ बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कतार अश्क, अलूदा चश्म से आलूदा कजरारी पलके.... वो कुछ बुने हुए ख्वाब कुछ गिले_शिकवे....?जो इब्न_आदम इल्म रखते हुए भी,औरत के अंतर्मन को जानबूझकर बेझिझक उसके द्वारा नजर अंदाज कर देना.... हां मैं लिखती हूं तरतीब से लफ्जों को पिरोकर, तमाम आलमी औरत के अंतर्मन को,उनके मन में चलते शोरगुल करते सांय सांय सन्नाटे को.... गर रही हयात तो मै बहुत कुछ लिखूंगी इन इब्न आदम पर भी .... #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं.... जार जार होते अल्फ़ाज़ बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता
©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं.... जार जार होते अल्फ़ाज़ बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता | लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता | ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता | दिल किसी का टूटे या घर किसी का जल जाए, बेवफ़ा के दिल को ग़म देर तक नहीं रहता | हो सके तो चाहत की चोट से बचे रहना, वर्ना ज़ख़्म पर मरहम देर तक नहीं रहता | क्यों ग़ुरूर करते हो जा के तुम बुलंदी पर, शोहरतों का ये परचम देर तक नहीं रहता | कौन जाने कब किस पर ज़िंदगी ठहर जाए | कोई रुस्तम-ए-आज़म देर तक नहीं रहता || ©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता | लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, प्यार का सफ़र हमदम देर त
हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता | लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, प्यार का सफ़र हमदम देर त
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी। मासूमियत से भर जाती नज़रें, आँखें झुकाती है कभी-कभी। जज़्बातों को बयां किए बिना, बहुत कुछ कह जाती है कभी-कभी। कितनी गर्मजोशी है अदाओं में, वो बिजलियाँ गिराती है कभी-कभी। इशारों में कह जाती है बातें, पास बुलाती है कभी-कभी। वैसे गुस्से में लाल हो जाती, शरमाती भी है कभी-कभी। बातों में अपनी उलझा कर, दिल चुराती है कभी-कभी। इश्क़ का आलम कुछ ऐसा, कि पास बुलाती है कभी-कभी। दिल के करीब रहकर भी, फासले बढ़ा जाती है कभी-कभी। ख्वाबों में छुपा लेती है खुद को, हकीकत में दिख जाती है कभी-कभी। साज़िश सी लगती है ये मोहब्बत, हद से गुजर जाती है कभी-कभी। ©theABHAYSINGH_BIPIN #fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।
#fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।
read moreShivkumar barman
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं, उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं। दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर, दिल भी उसका हो गया, और हम भी अपने रहे नहीं। ©Shivkumar barman इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं, उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं। दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर, दिल भी उसका हो गया, और
इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं, उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं। दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर, दिल भी उसका हो गया, और
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है, बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते है//१ मेरी कुर्बानिओं को भुलाकर अब मुझपे ऊँगली उठाते है, लोगो ये नफरतों के आलम कैसे कैसे मन्सुबे बनाते है//२ बारहा लज्जतें तो उल्फत मे ही बरकरार रही है,हरसु वो खुदको बड़गर बताकर्,दूसरों को कमतर बताते है//३ या रब शादाब रख उनको जो जमीर से ज़िंदा है, ये बेजमीर वाले तो इंसानियत को हद पार रुलाते है//४ देखा है"शमा"ने नफरतों मे फासला ए हिजरतों को, रब्बा वो लोग कहाँ है जो खुलुस से दस्त मिलाते है//५ #Shamawritesbebaak १२/१२/२४ ✍️ ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #traveling #nojoto #life #new #viral #post #trending फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है,बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते
#traveling nojoto life #New #viral #post #Trending फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है,बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते
read moreSumitGaurav2005
White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
read moreRabindra Kumar Ram
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी तलब अब भी ऐसी है जैसे की अभी अभी मुतमास हो ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
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