Nojoto: Largest Storytelling Platform

New रेवती नक्षत्र मूल Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about रेवती नक्षत्र मूल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रेवती नक्षत्र मूल.

    LatestPopularVideo

Sarvesh Kumar Maurya

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य जयंती 2024 | Samrat Chandragupta Maurya Jayanti 2024 | मौर्य उत्सव मौर्य बैशाख कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि पुष्य नक्षत् #Motivational

read more

Bharat Bhushan pathak

#GoodMorning अहं का ग्रास बनने पर,मनुज सब भूल जाता है। विवेकी क्षीण होता है,क्षमा ना मूल होता है।। #Motivational

read more

N S Yadav GoldMine

#Emotional {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे सभी वेद व शास्त्र हमें जीवन और जीवन से आगे चलने के सूत्र का अनमोल विद्या से जीना #भक्ति

read more

Shaarang Deepak

Shri Ram Chandra kripalu Bhajman (श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन) shlok [08 with Hindi meaning जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मं #समाज #Rammandir #JaiShreeRam #jaishriram #Ayodhya #shriramstuti #rammandirayodhya #rammandir2024 #ShriRamChandraKripaluBhajman #श्रीरामचंद्रकृपालुभजमन

read more

वंदना ....

#आज महानायक #डॉ_बाबासाहेब_आंबेडकर इनके जयंती निमित्त सबको बहुत-बहुत ..अभिवादन ...🙏🙏🙏 .. मराठी [.शिखा संगठित हुआ संघर्ष करा ] यह उनका मूल #विचार

read more
🙏🙏🙏
🌹🌹🌹

©वंदना ....  #आज महानायक  #डॉ_बाबासाहेब_आंबेडकर  इनके जयंती निमित्त सबको बहुत-बहुत ..अभिवादन ...🙏🙏🙏 .. मराठी [.शिखा संगठित हुआ संघर्ष करा ]
यह उनका मूल

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती #कविता

read more
दोहा :-
अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।
देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।
रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।
सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती पल में घात ।।
रात-रात भर जागकर , रक्षा करे जवान ।
अमन हमारे देश हो , किए प्राण बलिदान ।।
कह दूँ कैसे मैं सजन , अपने मन की बात ।
रजनी मुझको छेड़ती , कह बिरहन की जात ।।
रात-रात करवट लिया , तुम बिन थे बेहाल ।
एक-एक रातें कटी , जैसे पूरा साल ।।
अपने दिल के मैं सभी , दबा रही जज्बात ।
समझाओ आकर सजन , रजनी करे न घात ।।
नींद उड़ी हर रात की , देख फसल को आज ।
करता आज किसान क्या , रुके सभी थे काज ।।
उन पर ही अब चल रहे , सुन शब्दों के बाण ।
रात-रात जो देश हित , त्याग दिए थे प्राण ।।
जो कुछ जीवन में मिला ,  बाबा तेरा प्यार ।
व्यक्त न कर पाऊँ कभी , तेरा वही दुलार ।।
हृदय स्मृतियों में चले ,  बचपन के वह काल ।
हाथ थाम चलते सदा , कहते मेरा लाल ।।
जीते जी भूलूँ नही , कभी आप उपकार ।
कुछ ऐसे हमको दिए , आप यहाँ संस्कार ।।
जीवन में ऐसे नहीं , खिले कभी भी फूल ।
एक परिश्रम ही यहाँ , है ये समझो मूल ।।
बिना परिश्रम इस जगत , मिलते है बस शूल ।
कठिन परिश्रम से यहाँ , खिलते सुंदर फूल ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।

देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।


रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।

सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile