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PRIYA SINHA

Ghumnam Gautam

Poonam

कहते है महाजन को
मूल से ज्यादा सूद प्यारा होता है
वैसे ही संतान से भी ज्यादा
संतान की संतान
घर के बुजुर्गो को
प्यारी होती है

©Poonam #महाजन
#मूल #सूद #संतान #बुजुर्गों

jayanti Shailendra bajpai

मैं जीवन किस मूल रहूँ,
कब तक जीवन शूल सहूँ,
तन-मन पीड़ा इन शूलों से;
किसको इसकी मैं भूल कहूँ,
मैं जीवन किस मूल रहूँ,
पग-पग बढ़ती चलती हूँ मैं;
गिरती-पड़ती उठती हूँ मैं;
अब कितना संग मैं धूल चलूँ,
मैं जीवन किस मूल रहूँ,
 हर भाव जगत में कथ्य नहीं,
हरियाली ही तो सत्य नहीं,
पर काँटो को कैसे फूल कहूँ,
मैं जीवन किस मूल रहूँ,
कब तक जीवन शूल सहूँ, #मैंजीवनकिसमूलरहूँ

DKJaroriya

# चरणों की धूल

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चरणों की धूल मैंने तो खिलाएं तेरी राहों में फूल लेकिन
 तूने तो समझा मुझे अपने चरणों की धूल
तुम समझ नहीं पाए मेरे होने का मूल 
ताउम्र तुमने समझा मुझे अपने चरणों की धूल
हमेशा मेरी बातें तुम्हें चुभती जैसे कोई शूल 
कभी ध्यान दिया होता तो जान पाते मेरे शब्दों का मूल 
खिल जाता तुम्हारा जीवन भी जैसे कोई फूल
अगर तुम नहीं करते इतनी बड़ी भूल
 नहीं समझते मुझे अपने चरणों की धूल # चरणों की धूल

'मनु' poetry -ek-khayaal

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'सत्य' और 'विवेक' जीवन के  दो बिल्कुल भिन्न पहलू, अलग तथ्यात्मक परिस्थितियां हैं.… 
सत्य का अनुकरण आपके सामाजिक सम्मान एवं उन्नति के मार्ग को कठिन बनाएगा... बाधाओं परेशानियों को न्योता देगा, सत्य की सहज अभिव्यक्ति अति दुष्कर है,
आप सत्यानुकरण के पश्चात भी पूर्ण सत्य अभिव्यक्त नही कर सकेंगे, पूर्ण सत्य नग्न है और हमारे  समाज मे नग्नता पर निषेध है फिर वो सत्य की ही क्यों न हो ।
विवेक आपको सत्य पर अल्पारोपण कर मूल से भिन्न किन्तु मूल के समतुल्य ही अभिव्यक्ति का एक मार्ग देता है  विवेक छल का भी सहारा लेता है विवेक कुटिलता लिए हुए भी सहज है किंतु सत्य सात्विक होकर भी सहज स्वीकार्य नहीं, विवेक मुख्यतः मनोनुकूल  कार्य सिद्धि में सहायक है एवम विवेक युक्ति का जन्मदाता भी है..विवेकी व्यक्ति सफलता हेतु अपना ध्येय/ लक्ष्य  हासिल करने को मार्ग में परिवर्तन भी करता है और अंततः लक्ष्य तक मार्ग प्रशस्त कर ही लेता है, सत्यधारक के लिए यह स्वतन्त्रता नही इसलिए सत्य धारण को 'तप' की श्रेणी में रखा गया।
सत्य की अपनी गरिमा है अपना स्थान है किन्तु जीवन को जटिलता से भर देता है और विवेक आपके जीवन को सहज सफल बनाने का माध्यम बनता है 
शायद इसलिए विवेकी व्यक्ति सत्य को दम्भ जानता है जीवन की जटिलता अगर सत्य से बढ़ती हो तो विवेक उत्कृष्ट है सत्य से..
मैं 'सत्य' का विरोधी नहीं अपितु 'सहज जीवनशैली' का समर्थक हूँ...!!!
'मनु'

Nitin Pandey @Raahi

जिंदगी का मोल भाव होने लगा है 
तुम्हारे पास कितनी दौलत है, 
ये सवाल होने लगा है 
बेवक्त की फकीरी में, 
हमने देखे हैं दगा देने वाले हैं
अब तो अपनों के हाथों, 
लहू खंजर यार होने लगा है 
जिंदगी का मूल भाव होने लगा है 
किस चौखट पर जाएं, किसे कहें अपना 
हर दर पर सवार होने लगा है 
मोहब्बत भी देखी, यारी नहीं देखी, 
माखौल उड़ाते लोगों की, 
हंसी और ताली भी देखी 
अब हर तरफ से वार होने लगा है 
जिंदगी का मूल भाव होने लगा है।। #Nojoto #Alfaaz #Hindi_Shayari

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