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Poonam Suyal

चाह नहीं चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं किसी गुलदस्ते में बंध #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #rztask248

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चाह नहीं 

(अनुशीर्षक में पढ़ें)— % & चाह नहीं 

चाह नहीं मैं सुरबाला के 
गहनों में गूंथा जाऊँ
चाह नहीं प्रेमी माला में 
बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं किसी गुलदस्ते में बंध

Poonam Suyal

चाह नहीं चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूंथा जाऊं चाह नहीं प्रेमी का बन तोहफ़ा , उसके प्रेम का साक्षी बन जाऊँ चाह नहीं किसी गुलदस् #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #rztask500

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चाह नहीं 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) चाह नहीं 

चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूंथा जाऊं 
चाह नहीं प्रेमी का बन तोहफ़ा ,
उसके प्रेम का साक्षी बन जाऊँ 

चाह नहीं किसी गुलदस्

JALAJ KUMAR RATHOUR

प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-15 फरवरी का महीना शुरू हो चुका था। ये महीना हजारों दिलों के टूटने का बोझ अपने कंधे पर लिए सदियों से जी रहा है, #जलज

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प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-15
फरवरी का महीना शुरू हो चुका था। ये महीना हजारों दिलों के टूटने का बोझ अपने कंधे पर लिए सदियों से जी रहा है,क्युकी इसको पता है कि दिल तोड़ने के साथ साथ ये उन दिलो को जोड़ता भी है, जो समाज में इसकी गरिमा को बनाये रखेंगे, गुलाब की कीमतें इस महीने में आसमान को छू लेती है। क्युकी लोग इसका प्रयोग अपनी अपनी प्रेमिकाओ को , जिन्हें वो अक्सर चाँद कहते है, को लुभाने में करते है, कई गुलाब, ख्वाब पूरे करते है। कई गुलाब ख्वाब तोड देते है,टूटना हमेशा ह्रदय को आघात पहुँचाता है फिर भी ना जाने क्यूँ लोग आसमान टूटते हुए तारों से दुआएं मांगते है, बचपन में दादी कहती थी "स्वप्निल जो व्यक्ति टूट जाता है ना,उसकी हाय और दुआए दोनो असरदार हो जाती है " आज ऐसा ही लगता है। 7 फरवरी की सुबह थी हॉस्टल के बाग में लगे गुलाब गायब हो चुके थे। सात दिन तक चलने वाले इस प्रेम के त्यौहार का आज पहला दिन था। आज गुलाबों  से सजे बुके और खुद को गुलाबों सा निखारती हुई लड़कियां ही नजर आ रही थी सड़को पर और उन गुलाबों की खुबसुरती पर मंडराते भँवरे, 
सड़को पर कई फूल बिखरे हुए थे। मुझे  इस समय फूलो की दुर्दशा देख छायावाद के कवि माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की पंक्तियाँ" चाह नही, मैं सुरबाला के घहनो में गूंथा जाऊँ, चाह नही मैं विधप्यारी को लल चाऊँ" याद आ रही थी, तभी पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा "स्वप्निल, मुझे एहसास हो गया था। कि ये अवनी ही है। मैं पीछे मुड़ा तो देखा गुलाबी ड्रेस में गुलाब लग रही अवनी मेरे सामने खडी थी और मैं भँवरो सा उसके पास खड़ा हुआ था, प्रेम रोग भी ऐडी  की चोट जैसा होता है, जब तक खुद को ना लगे तब तक दूसरे के हालात समझ ही नही आते...
.... #जलज कुमार राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-15
फरवरी का महीना शुरू हो चुका था। ये महीना हजारों दिलों के टूटने का बोझ अपने कंधे पर लिए सदियों से जी रहा है,

JALAJ KUMAR RATHOUR

प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-16 चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से #जलज

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प्लेसमेंट-एक सफल असफलता  (पार्ट-16) 
चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से जड़े झुमके, अवनी और मेरे प्रति उद्दीपन को प्रकट कर रहे थे। तभी अवनी ने कहा, " कहाँ खो गए मिस्टर स्वप्निल, मैंने मन में बड़बडाते हुए कहा, "तुम्हारी आँखो में', अवनी ने शायद पढ लिया था मेरे मन को, वो मुस्करा कर बोली, " तो बताओ कैसी लग रही हूँ मैं, मैंने हँसते हुए कहा ,"कतई जहर" , वो हंसती रही कुछ मिनिटो तक फिर बोली, "तो मिस्टर स्वप्निल मेरे लिए रोज वगैरा नही लाये मैंने अवनी की इस फरमाईश को सुनकर ,उसका हाथ थाम ,उसे डायेरेक्टर ऑफ़िस के सामने वाले बाग में ले गया, जहाँ गुलाब के   फूल खिले हुए थे। अवनी  को उन फूलों का स्पर्श  कराते हुए मैंने उसे छायावाद के कवि माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की पंक्तियाँ" चाह नही, मैं सुरबाला के गहनो में गूंथा जाऊँ, चाह नही मैं विधप्यारी को लल चाऊँ.... हे वनमाली देना मुझे उस पथ पर फेंक,मातृ भूमि पर शीष चढ़ाने जिस पथ पर जावे वीर अनेक",अवनी मुझे देख रही थी और वो खामोश थी । खामोशी किसी भी चीज की अधिकता के पश्चात आती है और अधिकता तो संघर्ष से या संघर्ष के समय मिलती है, परंतु  अवनी खुश थी। शायद उसे पुष्प की अभिलाषा समझ आ गयी थी, जिसके आगे उसकी अभिलाषा बहुत ही छोटी थी। जब हम किसी की ख्वाहिश के लिए अपनी ख्वाहिश को भुला देते है। उस दिन हम माँ और प्रकृति का एक हिस्सा बन जाते है। क्युकी देने की भावना ही तो माँ और प्रकृति है। थोडी देर बाद हम लोग कैंटीन पहुँच गये। आज कैंटीन में केक और लड़को की जेब दोनो  कट रही थी। मगर फिर भी चारों तरफ खुशी का माहौल था। मगर अवनी इन सभी से अलग थी जो रुपयो के मामले मे बिल्कुल निष्पक्ष व्यवहार रखती थी। हमारी इसी बात पर तो झगड़े होते थे कि इस बार बिल मैं पेय करता हूँ पर अवनी अपना हिस्सा नही देने देती थी किसी को, शायद उसे लगता था कि किसी के बिल को चुकाने से हम उसके दिल के करीब हो जाते है, पर अवनी तो मेरे करीब पहले से ही थी, समोसा और पेस्टीज खाने के बाद हम चल दिये, लेक्चर लेने,पर अवनी ने कहा"स्वप्निल चल यार लंका होते हुए,अस्सी घाट चलते है, मैंने सिर हाँ में हिला दिया और हम निकल पड़े अस्सी घाट की ओर..... 
.... #जलज कुमार राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-16
चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से

Aarinita Panchal

 #सुरबाला

Kavi Kumar Ashok

#GoodNight ~ वह एक मंदिर की प्राचीन शिला सी मूक, वह आधी रातों की बातों सी दो टूक वह मेरे मन के मधुशाला की हाला , #hindishayari #hindipoems #hindistory #kavikumarashok #poetkumarashok #writerkumarashok

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शुभ रात्रि मित्रों

©Kavi Kumar Ashok #GoodNight ~

वह एक मंदिर की 
प्राचीन शिला सी मूक, 
वह आधी रातों की 
बातों सी दो टूक 
वह मेरे मन के 
मधुशाला की हाला ,

Sonu Singh Rathor

के के सिंह #nojotovideo

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Kanha star

के के #raatkibaat #poem

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J.P. Sen

के हादसा बन के

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Anuj Ray

# प्रकृति के यौवन के.. #कविता

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