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Kulvant Kumar
White ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾 ©Kulvant Kumar #sad_ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾
#sad_ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾
read moreAbhishek jha
*आज़ादी* मुझे वो पंछी नहीं बनना जिसे अपनी आज़ादी के बदले मिले पिंजरे में परोसा हुआ दाना सीखा है मैंने गिरना संभलना फिर उठना, उस पिंजरे में क्या जीना जिसमें रोज का हो वही दाना मैं तहरा कम्बख्त आजादी का दीवाना, शौक मेरा खुले आसमान में उड़ना, जब तक "पर" है मैं यहाँ वहाँ उड़ता रहूँगा जिस दिन "पर" नहीं उस दिन मैं हीं नहीं रहूँगा - ऐसा हो भी हो सकता है लेकिन ऐसा होने नहीं दूंगा "पर" नहीं रहा तो क्या फिर भी कोसिस करूँगा, उड़ नहीं सका तो क्या फिर भी चलूँगा लेकिन पिंजरे मे नहीं रहूँगा. श्री राधे राधे😊🙏 *(पिंजरा = मन के बहकावे में छोटी सोच)* ©Abhishek jha #Freedom #पंछी #मन #बहकावे #मैं #हम #Nojoto #WForWriters #Quotes #Trending मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस
Singer Er Jk nigam
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read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreJitendra Giri Hindu
"1. **यथा वा वदति सदा तद्वदन्तु तत्त्वदर्शिनः।** - "जैसा कोई कहता है, वैसा ही सदैव सच को कहो।" 2. **कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।** - "आपका अधिकार केवल कार्य पर है, फलों पर नहीं।" 3. **सर्वधर्मान्परतित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।** - "सभी धर्मों का त्याग करके केवल मेरी शरण में आओ।" 4. **वक्तव्यं न हि नष्टं न चान्यस्य समृद्धि।** - "किसी के अपमान के लिए शब्दों का अनर्थ नहीं होना चाहिए।" 5. **आगमोऽपि सदा शान्ति यस्तु संकल्पयेत् सदा।** - "जो संकल्प करता है, वह सदा शांति प्राप्त करता है।" 6. **विद्या ददाति विनयं विनयाद्यति पात्रताम्।** - "ज्ञान विनय को देता है, विनय से पात्रता प्राप्त होती है।" 7. **सत्यं वद धर्मं चर।** - "सत्य बोलो और धर्म का पालन करो।" 8. **दृष्ट्वा वा ज्ञात्वा वा परार्थं त्यजेत् स्वार्थम्।** - "दृष्टि से या ज्ञान से, स्वार्थ का त्याग कर देना चाहिए।" ©Jitendra Giri Hindu "संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
"संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
read moreKrishna king
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