Find the Latest Status about तपी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तपी.
Baisa_Raj_Neha_Pandya
कोई ने जाना ही नहीं हमारे दिल की तपीस को, हम खुद ही उस आग में तिल-तिल कर सुलगते रहे।🙂 #तपीस
Ankur Mishra
तपिश इतनी है मुझमें छू के ज़माने को खाक कर दूं तुफान लिए रहता हूँ पल भर में सब तबाह कर दूं मुझसे ज़रा दूर ही रहना ज़माने का ठुकराया हुआ हूँ मैं एक चिंगारी बस और मैं दुनियाँ का नामों निशान मिटा दूँ ©Ankur Mishra #तपीश #Hopeless
Kavita jayesh Panot
बह रही थी आग जैसे , पानी बन आँखों से। नजाने कौन सी परत हिल गई , जिसे जमा कर रखा था, दिल के सलाखों में । रुकती नही दरिया सा उफान लिए, न जाने कौन सा अन्दर ये अपने तूफ़ान लिए। खामोशियो की आड़ में, बेचैनियाँ बढ़ा रही थी। ये कौन सा कतरा दिल के कोने से निकल, फिर चुभन दे रहा था। वक्त की आंधियों में जो, दीवार रिश्तों की गिरी थी। बड़ी मुद्दतों से टुकड़े टुकड़े फिर, इकठ्ठा कर जुड़ी थी। गुरुर हुआ था खुद की काबिलियत पर, के मर कर भी फिर एक बार मैने स्वांस ली थी। लेकिन वक्त की कुछ परतों ने उसे ऐसे ढक दिया था, मानो जख्म के दाग पर कोई नई परत । न जाने फिर अचानक से एक झोखा, उड़ा कर ले आया ऐसे पवन के वेग को। जिसने सारी परतों को , टहस महस कर डाला। और न जाने अकस्मात ही मन के मौन में, एक तूफान खड़ा कर दिया। अब चुप्पियों में खोज रही हूँ, इस कोलाहल की वजह । बस अब शान्त हूँ , लेकिन शोर है भीतर । उसी शोर को सुनने की एक , कोशिश में ..... (कुछ अनकही भावनाएं) ©Kavita jayesh Panot #कुछ अनकहे एहसास#दिल#तूफ़ान#तपीश
Hasanand Chhatwani
लोग अकसर ,, नरम लहजे से कितनी सख्त बात कह जाते हैं के उनके लफजों की तपीश भुलने में एक उम्र लग जाती है लोग अकसर नरम लहजे से कितनी सख्त बात कह जाते हैं के उनके लफजों की तपीश भुलने में एक उम्र लग जाती है
Nagvendra Sharma( Raghu)
कौन कहता है तेरी तपीश मुझ तक पहुँचती नहीं है, तेरी तपीश से मैं पिघलता हुँ हर घढी, .....पर ये बात तु समझती नहीं है। ये ना कहना कि हम सुलगते नही है, वो बात अलग है कि तपिश तुझ तक नही पहुचती।। कौन कहता है तेरी तपीश मुझ तक पहुँचती नहीं है, तेरी तपीश से मैं पिघ
Mohanbhai आनंद
आई बरखा लिए , पैगाम ए हुश्न रुहानी, चहुं ओर बरसती, लगती है वोह सुहानी; मीटाकर तपीश,प्यास दिल की है बुझाई, अश्कोकी अंजुमन भी, दिखती है सुहानी; आई बरखा लिए , पैगाम ए हुश्न रुहानी, चहुं ओर बरसती, लगती है वोह सुहानी; मीटाकर तपीश,प्यास दिल की है बुझाई, अश्कोकी अंजुमन भी, दिखती है सुह
Mohanbhai आनंद
ना जाने क्यूं, बांध लेता लफ्ज में, यह हुनर ए इश्क , दिल शायराना; कहां तपीश, कहां है रंजोअलम, कहां यादों में, रहे दिल बीरहाना; ना जाने क्यूं, बांध लेता लफ्ज में, यह हुनर ए इश्क , दिल शायराना; कहां तपीश, कहां है रंजोअलम, कहां यादों में, रहे दिल बीरहाना; writer
Bhupendra Rawat
कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में लेकिन कुछ क्षण मौन रह तुझे देखना चाहता हूँ,मैं थक सा गया हूँ,रोशन आफताब की तपीश में तेरी ज़ुल्फ़ों के साये तले रहना चाहता हूँ,मैं भूपेंद्र रावत 24।05।2020 #कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में लेकिन कुछ क्षण मौन रह तुझे देखना चाहता हूँ,मैं थक सा गया हूँ,रोशन आफताब की तपीश में तेरी ज़ुल्फ़ों क
Mohanbhai आनंद
गज़ब है उलझन ,हम सुलझाएं कैसे? हाल ए दिल रूहानी को,पहेचाने कैसे? दरारें नहीं दायरा है ,जिंदगी -मौत बीच, आब ए हयात याराना को पहचाने कैसे? क्या पाना और, क्या खोना है जिंदगी, राज़ ए दिल तिलस्मी को पहचाने कैसे? ग़म ए जिंदगी इश्क, मयखाने की तरह, हाल ए दिल कैफियत को,पहचाने कैसे? लज़ीज़ है वोह दर्द ए ग़म एहसास भी तपीश दिल दिलदारी को पहचाने कैसे? बड़ा शौक है, यहां खेल इश्कबाजी का, दिल ओ जान नवाजी को ,पहचाने कैसे? #Dullness गज़ब है उलझन ,हम सुलझाएं कैसे? हाल ए दिल रूहानी को,पहेचाने कैसे? दरारें नहीं दायरा है ,जिंदगी -मौत बीच, आब ए हयात याराना को पहच
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तुम हो *** " तुम हो भी की नहीं किसकी की बात करते , ख्यालों का जिक्र लाजमी हैं , हर एहसास में तेरी मौजूदगी का पता चलता है , रोक लूं सम्भाल लूं खुद को जरा ऐसे में , तेरी मुहब्बत भरी बेरुखी का पता चलता है , तुम हो भी की नहीं , ये किसकी बात लेकर बैठ जाते हैं , सर्द हवाओं में तेरी तपीश का एहसास उमरता हैं , सम्भाल लिया जाता है वेगैरत एहसासो को , कोई नाम रख लिया जाये ना गुमनाम ही जिक्र अच्छा है , तुम हो भी की नहीं , अंदाजे मुहब्बत में फिर किस का नाम सुमार किया जाये ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** *** तुम हो *** " तुम हो भी की नहीं किसकी की बात करते , ख्यालों का जिक्र लाजमी हैं , हर एहसास में तेरी मौजूदगी का पता चलता है