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Nir@j
अपने सीनियर्स के साथ बहुत कुछ सहना पड़ता है। कभी कभी तो यार मुँह बंद करके रहना पड़ता है।। लेक़िन मैं सहने वाले में से नहीं हूं, हां अगर सीमा दायरे में हो तो चलता है और ये बात सिर्फ़ कॉलेज के सीनियर्स के लिए बोल रहा हूँ जो मदद कम और
Mahima Jain
•| क्योंकि मैं एक पुरुष हूं |• क्या अंकल की गोदी में बैठना गलत था मेरा, या गलत था उनका मुझे उस तरह छूना? रोने की भी अनुमति नहीं मुझे, क्यों? क्योंकि मैं एक पुरुष हूं? क्या उनकी बात ना मानना गलत था मेरा, या गलत था गलत के लिए आवाज़ उठाना? रैगिंग की मार भी चुपचाप सही, क्यों? क्योंकि मैं एक पुरुष हूं? क्या प्यार करना गलत था उसको, या गलत था अपना हमदर्द समझना? इस्तेमाल किया उसने भी मेरा, क्यों? क्योंकि मैं एक पुरुष हूं? क्या दहेज के लिए ना करना गलत था मेरा, या गलत था उसकी नाजायज मांग को ठुकराना? दहेज उत्पीड़न के लिए जेल हुई मुझे, क्यों? क्योंकि मैं एक पुरुष हूं? क्या निर्भया का बलात्कार मैंने किया, या किया तुममें से किसी को भी परेशान? हर नज़र मुझे डर या घृणा से है देखती, क्यों? क्योंकि मैं एक पुरुष हूं? क्यों समाज की मैं मार सहूं? क्यों मैं सब पुरुषों का ठेका उठाऊं? आख़िर मुझे भी तो समानता से जीने का हक है, क्यों? क्योंकि मैं एक इन्सान हूं।। •| क्योंकि मैं एक पुरुष हूं |• क्या अंकल की गोदी में बैठना गलत था मेरा, या गलत था उनका मुझे उस तरह छूना? रोना की भी अनुमति नहीं मुझे, क्यों
subodh kumar
यादें जो गुजर रहीं हैं.......(Hostel Days) --------------------------------------------- यादें जो गुजर रहीं हैं.......(Hostel Days) --------------------------------------------- जो बीते सालों में है बीत गयी वो किस्सा मै सुनाता
JALAJ KUMAR RATHOUR
सम्मान हमेशा "सभी लोग अपने राइट सीधे लाइन में खड़े हो जाओ वार्डन सर आ रहे हैं और चुप हो जाओ।" हॉस्टल के सीनियर ने कहा।मेरे और मेरे जैसे नए बच्चों ,जिन्हे फ्रेशर या जूनियर के नाम से बुलाया जाता था सभी सतर्क खड़े हो गए।तभी हमारे पीछे से होते हुए एक मुस्कान के साथ कुर्ते और पजामे में ,गोल ग्लासों वाला चश्मा लगाए हुए एक व्यक्ति का आगमन हुआ।जिन्हे देख कर सभी सीनियरों ने "राधास्वामी सर" बोलकर संबोधित किया।उनके पीछे से हम जूनियरों ने भी।उन्होंने उस दिन बताया कि उनका नाम हंसराज है और वो इस हॉस्टल के रेजिडेंस वार्डन व यूनिवर्सिटी की एंटी रैगिंग कमेटी के मेंबर।उन्होंने बताया कि एक वक्त वो भी इसी हॉस्टल के कमरा नंबर 6 में हमारी तरह रहते थे।उन्होंने हम सभी का हॉस्टल में स्वागत किया और किसी भी प्रकार की समस्या के लिए हमारे हॉस्टल के कैप्टन नेत्रपाल सर से संपर्क करने के लिए कहा।वो हंसराज सर से पहली मुलाकात थी और हमारी फेयरवेल के दिन आखिरी।आखिरी दिन उन्होंने कहा था की जीवन में कभी भी अपने मां, पापा, इस यूनिवर्सिटी और हॉस्टल का नाम मत झुकने देना।वो दिन अलग ही था।हम सब की आंखों में आंसू थे जिन्हे देख कर हम एक दूसरे पर हंस रहे थे।कुछ दिनों बात पता चला था की हंसराज सर को इंजीनियरिंग फैकल्टी का डीन बना दिया गया है।हम सब लोगों ने उन्हें बधाइयां दी थीं। आज सुबह नींद खुलने के साथ जब सर के निधन की खबर सुनी तो मन को विश्वास नहीं हुआ पर कुछ बातों को मानना पड़ता है। सर से जुड़ी बहुत सी यादें हैं जो अब सिर्फ मेरे ह्रदय में हीं रहेंगी।सर में उन दो सालों में हमे अपने बच्चों की तरह प्रेम दिया था और किसी भी वक्त हमारे लिए हाजिर होते थे।पता नही अब जब भी हॉस्टल के सामने से गुजरने पर आपके घर की तरफ नजर जाएंगी तो खुद को कैसे संभाल पाऊंगा।आप सभी से निवेदन है अपना और अपनो का ख्याल रखे इस वक्त जीना नहीं जिंदा रहना जरूरी हैं।क्युकी आप पर अपनो की जिम्मेदारियां हैं।मास्क का प्रयोग करिए और घरेलू नुस्खों का प्रयोग करिए।किसी को खोने का मतलब जीने की एक और आशा का काम होना होता है। ...#जलज कुमार (EX-Hostler ©JALAJ KUMAR RATHOUR "सभी लोग अपने राइट सीधे लाइन में खड़े हो जाओ वार्डन सर आ रहे हैं और चुप हो जाओ।" हॉस्टल के सीनियर ने कहा।मेरे और मेरे जैसे नए बच्चों ,जिन्हे