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Radhe Radhe
चलो कुछ दिन खिलखिला ले काटों में रहकर भी मुस्कुराले क्योकि हम जानते है विदा ही लेना है सामाज के जंजीरो से बंधे क्यूं अधिकार नही तुम्हे मुझे और मुझे तुम्हे चयन का जय श्री राधे ©Radhe Radhe चयन का,,,
चयन का,,,
read moreshalini jha
White भावों का जीवन को वरण कर जीवंत रह दुःख से सुख की यात्रा जीवन की शाखाओं पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता का स्पर्श नदी बन सागर के खारेपन में घुल जाना मिठास का छांव बन छिप जाना शीतलता को कुछ क्षण प्रकाश का दिव्यता बोध से भरे सकारकता के कई कई प्रमाण हैं ©shalini jha # भावों का जीवन को वरण कर जीवंत हो सुख दुख को बांटना जीवन की शाख पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता
# भावों का जीवन को वरण कर जीवंत हो सुख दुख को बांटना जीवन की शाख पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता
read moreParasram Arora
White खाई थीं कसम सागर ने कि इक दिन वो रेगिस्तान मे भी फुल खिला दे गा अपनी कसम पूरी करने के लिए भेजा था उसने एक नदी को रेगिस्तानको सीचने के लिए पर वो नदी रेगिस्तान क़ी तपी रेत मे लुप्त हो जायेगी और लौट नही पाएगी ऐसा न उस सागर ने सोचा था न उस बदनसीब नदी ने ©Parasram Arora बदनसीब नदी
बदनसीब नदी
read moreShreyansh Gaurav
"नदी का पुराना पुल" कभी तुम गये हो गांव में नदी के किनारे बहुत सुकून मिलता है.! पहले मैं गांव रहता था, दोस्तों का ज़मावड़ा, मज़मा लगता था.! नदी पर पहले इक़ पुल था जो अंग्रेजो के वक़्त का बना है.! गया था मैं गांव कुछ साल पहले देखा अब बदल गया है.! उस पुल के बगल इक़ नया पुल बन गया है, पुराने पे अब सन्नाटा है सुना किसी ने बोला अब यहाँ कोई नहीं आता है.! पूछा क्यूँ कुछ हुआ था क्या इक़ ने कहा भैया, यहाँ कोई मर गया था.! इसलिये अब सब डरते है इधर कोई नहीं आता है.! हमनें देखा बहुत सन्नाटा छाया था जहाँ पहले लोंगो को सुकून मिलता था वही से लोग अब डरने लगे है.! क्या तुम भी लोंगो की तरह बुज़ुर्गो को छोड़कर नये ढूढने लगे हो.! मैं गया वहाँ अकेले ही मुझे कोई डर नहीं फ़िर वही सुकून, मुझे गांव लें गया.! यें "नदी का पुराना पुल " मुझे अब भी याद है, मुझे सुकून सन्नाटा दें गया.!! ©Shreyansh Gaurav #नदी का पुराना पुल #poerty
Parasram Arora
White समुन्दर नदियों को बहला फुसला कर उनके तरल ख़ज़ाने लूटता रहा और वे बदनसीब नदिया अपने वजूद का इंतकाल होते देख आंसू बहाती रहीं ©Parasram Arora समुन्दर और नदी
समुन्दर और नदी
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White ख्वाबों का मासूम सा सवाल कुछ उम्मीद है बाकी या फ़िर टूट जाएं हम ©हिमांशु Kulshreshtha ख्वाबों का...
ख्वाबों का...
read moreAnand Kumar Jha
'मृत्यु का तमाशा देखो' पंच दिवस की ज़िंदगी में, पंच रत्न बन जाता हूँ , जब जीवित रहूँ, तो कौन पूछे मृत्यु हो, तो सब पूछे । स्वार्थ यदि समाया हो सब में , तो क्रूर सभी बन जाएंगे । मैंने देखा है उस राजपाट को , जो मैं शीघ्र ही छोड़ जाऊँगा । जो क्षणभंगुर है, वही सत्य है । माया के बंधन तोड़कर ही जीवन का सार मिलेगा , और आत्मा को शांति का द्वार मिलेगा ।। ©आनन्द कुमार झा #achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂
#achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂
read morevish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read moreAnjali Jain
आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
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