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Aakriti Mishra
चौरी-चौरा कांड ( अविस्म्यी घटना ) आओ सुनाऊं! तुम्हे एक दौर की ऐसी घटना चल रहा था आंदोलन असहयोग- था उद्देश्य जिसका नहीं है लड़ना ।। ये बात है कुछ सन १९२२ फ़रवरी चार की चौरी चौरा नामक ग्राम के अविस्म्यी मृत्यू २३ थानेदार की ।। गांधीवाद के चलते सत्याग्रही थे तय्यार जुलूस निकालने को रख रहे थे चाह थाने में क़ैद सहकर्मियों को स्वतंत्र कराने की नहीं दी इजाज़त थानेदारों ने, समझकर फिजूल लश्कर के प्रयत्नों को ।। क्रोधित हुआ जुलूस तब भीड़ बढ़ी अत्यंत अपार होने लगी थानेदारों पर ईंटे-पत्थर की बौछार ।। थानेदारों ने कर दी तब खुली गोलीबारी की बरसात आज़ादी पाने के इंतज़ार के समय की अवधी लंबी होने की हो गई थी शुरुआत ।। पड़ी टूट थाने पर अनगिनत संख्या प्रदर्शनकारियों की और हुई मौत ३ विध्वंसकारिययों की ।। चोट खाए बैठे पहले से ही अब और हो गया घात समझ गए थे क्रांतिकारी इस तरह तो नहीं बनेगी बात , तब लगाई आग थाने में अब न दिखे दूसरा मार्ग ।। किये प्रयास थानेदारों ने बच भाग निकलने के हज़ार एक-एक को झोंका अग्नि की प्रचंड लपटों में किया था अविस्म्यी प्रहार ।। पता चला जब बापू को चौरी चौरा का यह कांड बन्द हुआ कुछ सन १९२२ फ़रवरी १२ को असहयोग अभियान ।। अंत हुआ कुछ ऐसे___मिली सज़ा उन सबको जैसे किये थे पाप लहू की एक-एक बूंद का देना पड़ा था हिसाब ।। चलिए अब आपको एक और बात बताऊं!!! इतिहास की_ किया था गोरखपुर लोगों ने चौरी चौरा स्मारक समिति का गठन सन उन्नीस सौ इकहत्तर में तब हुआ जन्म १२.२ मीटर ऊंची एक मीनार गोरखपुर समिति द्वारा सन उन्नीस सौ तिहत्तर में ।। रखी थी बतौर प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने नींव जिसकी वहीं किया था बतौर प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव ने शिलात्व उसकी ।। _आकृति मिश्रा चौरी चौरा कांड #Gandhi
Anjani Upadhyay
kuchpanktiyan
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में चौरी-चौरा जनाक्रोश एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों का विरोध कर रहे देशवासियों के संघर्ष को नई दिशा दी।चौरी-चौरा कांड की वर्षगांठ पर अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों को कोटि-कोटि नमन...। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 ✍️Vibhor vashishtha vs— % & Meri Diary #Vs❤❤ भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में चौरी-चौरा जनाक्रोश एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों का विरो
Nisheeth pandey
6अमर क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्म दिवस पर शत् शत् नमन ----------------------------------------------------------------------- अमर देशभक्त चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पंडित सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के घर में हुआ था! वाराणसी में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे 1920 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए असहयोग आन्दोलन से जुड़ गए! 1922 में चौरी-चौरा में 22 पुलिसकर्मियों के क़त्ल के बाद गांधीजी द्वारा आन्दोलन वापिस लेने के कारण उन्हें भारी दुःख हुआ, क्यूंकि उनके मन पर जलियांवाला बाग़ हत्याकांड ने अमिट छाप छोड़ी थी! उनका मानना था कि एक सच्चे ब्राह्मण का धर्म दूसरों के लिए लड़ना है, एक बार पुलिस द्वारा जज के सामने पेश करने पर जब पंडित जी से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद बताया और अपने पिता का नाम सवतंत्र बताया, जबकि घर का बताया जेल बताया तो जज ने भन्ना कर उन्हें 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई! क्रांतिकारी दलों से प्रभावित होकर आजाद हिंदुस्तान सोसिलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गए और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिरी और जतिन दास आदि के साथ मिलकर उन्होंने क्रांति की एक नयी इबारत लिखी! चंद्रशेखर आजाद 1925 के काकोरी ट्रेन लूटकांड के सबसे बड़े सूत्रधार थे तो, 1926 में वायसराय की ट्रेन उड़ाने का पर्यास भी उनका ही था! लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए उन्होंने 1928 में लाहौर में अपने साथियों के साथ मिल कर सांडरस का वध कर दिया! 24 साल के अपने छोटे से जीवनकाल में आजाद ने ज्यादातर गतिविधियों का सञ्चालन यूपी के सह्जहानपुर से किया, वे नौजवान भारत सभा और कीर्ति किसान सभा से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे! 27 फरवरी 1931 को अपने दो साथियों से मिलने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क पहुंचे आजाद को उनके ही एक साथी ने दगा दे दिया, आजाद को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया और गोलियों की बरसात के बीच आत्मस्मर्पण करने को कहा! मगर पंडित जी खूब दिलेरी के साथ लडे और जब गोलियां ख़त्म हो गयी तो आखिरी गोली से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली! क्यूंकि उनका मानना था कि : “दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं और आजाद ही रहें ©Nisheeth pandey अमर क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्म दिवस पर शत् शत् नमन ----------------------------------------------------------------------- अमर द
Deep Kush
'संघर्ष' Chapter-2 - द जर्नी बिगिंस मै "दीपक" एक छोटे से गांव का रहने वाला लड़का अपनी 8वी तक की शिक्षा अपने गांव से पूरी की है, उसके बाद ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई घर से दूर हॉस्टल
Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🇮🇳पं• चंद्रशेखर आजाद🇮🇳 🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता
GoluBabu