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RK SHUKLA
बचपन और गर्मी की छुट्टियाँ ना पाने कि ख्वाहिश ना खोने का गम बड़ा खुशनुमा था मेरा पचपन लगे चोट लाखों हुए ठीक सारे ना कोई दवा ना कोई मरहम prk पचपन
Shailendra Lunia
जब हो जाते है पचपन के , तो याद आते है इश्क़ के लम्हे बचपन के ! ©Shailendra Lunia #पचपन #बचपन❤️
यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
अगर कोई पाठक या मित्र गण इच्छुक हो सामाजिक उपन्यास 'शुकंजय की हवेली' पढने के लिए तो अपना पता पिन कोड सहित भेजने की कृपा करें। आपके पते पर पब्लिशर द्वारा पुस्तक पहुंचे जाएगी। अगर उपन्यास अच्छा लगे तब पब्लिशर को उपन्यास की कीमत भेजिएगा। अब तक यह पुस्तक अपनी क्षमताओं पर खरी उतरी है। सनातन् संस्कृति और अध्यात्म पर आधारित यह पुस्तक प्रत्येक साहित्य प्रेमी को पढने के लिए प्रेरित कर रही है। 🙏जय श्री राधेकृष्ण जी🙏 ©यशवंत राय 'श्रेष्ठ' उपन्यास
SHOBHA GAHLOT
हमको मत भूलो हम भी तुम्हारे दोस्त हैं बचपन में तुमने हमपर लिखना सीखा जवानी में हमारी आड़ में जज़्बात छुपाये बुढ़ापे में हम पर टिक कर आराम किया हर उम्र में हमने तुम्हारा साथ दिया ©Shobha Gahlot #दीवारें
Nilam Agarwalla
दीवारें खड़ी हैं घरों में, भाई भाई के बीच दीवारें खड़ी है समाज में मनुष्यों के बीच ऊंच नीच, छूआछूत, जाती वाद की । दिवारें खड़ी है व्यर्थ की रूढ़ियों की, जो स्त्रियों की प्रगति में बाधक है। तोड़ देनी है हमें ये दिवारे जो हमारे देश के विकास में बाधक है। हर व्यक्ति की राह में अवरोध पैदा करती है। ©Nilam Agarwalla #दीवारें
Shweta Duhan Deshwal
बेजुबान नहीं ये दीवारें, राज कई दबाए बैठी हैं।। ऐतिहासिक धरोहर हैं हमारी, इतिहास छुपाए बैठी हैं।। श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश ©Sweta Duhan Deshwal #दीवारें
Jha Pallavi Jha
दीवारें तो बहुत मिले हैं जिंदगी में कोई किनारा ना मिला कुछ पल चलने के लिए साथी तो मिले हैं पर उम्र भर साथ निभाने के लिए कोई हमसफ़र ना मिला रास्ते अब भी डगमगा रहे हैं पर हौसले को बुलंद करने के लिए किसी का सहारा ना मिल ©Jha Pallavi Jha #दीवारें
Girraj Mehra
कि होश हकीकत में उनसे हमारी नजरें मिल गई थी 2 उनके पास पहुंची तो पहले से ही दिवारी जल गई थी। कोसते रहे हम हमारे नसीब को मगर वह तो पहले से ही किसी और की हो चुकी थी। ©Girraj Mehra दीवारें