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Rajputana royalty
Dekho hkm hmare hkm toh Sant mhola me bhi babal lgte Hai or gusse me bhi kmal lgte Hai Deepu Banna sa Rathore बन्नी सा के लाडले बन्ना कुंवर दीपेन्द्र सिंह राठौड़ 🙏
bharmalchoudhary7
अज्ञात
AK__Alfaaz..
हृदय के मकान मे, इक दिन, उम्मीद की खिड़की से, आशा की इक, नवजात किरण, तुलसी के आँगन मे, उसके आँचल तले, गोद मे उसकी, सर रख...मुस्काने लगी, ममता से तुलसी ने, माथा चूमा, और..अपनी पवित्रता, अपने नेहाश्रुओं संग, उसे थमा दी, हृदय के मकान मे, इक दिन, उम्मीद की खिड़की से, आशा की इक, नवजात किरण, तुलसी के आँगन मे, उसके आँचल तले, गोद मे उसकी,
AK__Alfaaz..
आज दिल के घाट पर, प्रेम का मेला लगा था, मौनी अमावस्या का...संगम स्नान जो था, नैनों की नदियों का जल, छलक रहा था...भीगोने को तन प्रीत का, आज सभी इकठ्ठा थें, पर...सभी मौन थें, और..... एक दूसरे को देखकर... अपने-अपने, पश्चाताप के नैनों की नदी से, निकलने वाले पवित्र जल मे, मौन हो स्नान कर रहें थें... आज अहंकार का मैल...मन से छूटकर, आत्मा को साफ कर रहा था... क्योंकि...इस काली अमावस्या के बाद, खुशियों का सूरज... दुःख के दक्षिणायन से, सुख के उत्तरायण मे जो आने वाला था...।। भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प
Dilip Singh Harpreet
राजस्थानी रंग हरप्रीत शशांक के संग 👇👇👇👇👇 ...... "राजस्थानी गीत/ गाणा"...... मूं राजस्थानी बोलूं छू, वां हिंदी मं बोले छ दोन्यूं क ना बै'ठ संपट मूं कांई बोलूं ... वां कांई बोले
AK__Alfaaz..
मेरी गली ने, जब तेरी आहट सुनी, हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी, सूरज की किरणों ने, पगडंडियाँ बुहार दीं, बादलों ने बरस कर पैर पखारे, आसमान ने, सितारों के सिक्के भरकर हथेलियों में, न्यौछावर कर दी नदियों पे, दिल के देवालय में, एक मूरत स्थापित हुयी, प्रीत की जोगन ने, अपनी वत्सलता के दुग्ध-दही से, समर्पण की शहद-मिश्री से दिवास्नान कराया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #तू_जोगन_मै_वैरागी... मेरी गली ने, जब तेरी आहट सुनी, हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी, सूरज की किरणों ने,
Shalini Sharma
चुनर बोले रे बोले.. क्यों बहके हवाओं से हौले रे होले... जेठ जी देख लेंगे.. ससुर जी देख लेंगे.. लाज आए मोहे.. अंजाना ... कोई मुझे ना तोह ले...!! फिर भी घुँघट प्रेम मे वो सबको मोह ले!! झाँझर शोर करें... खनक खनक ये कंगन... दिल चित चोर करें... ये माँग- सिंदूर.. माथे टीका.. और वो छोटी सी बिंदिया... अरे! समझा लो कोई... ये सीसा भी कैद करना चाहे.. वो बन्नी नित जब श्रृंगार करें...!! उसकी वो साड़ी का पल्लू.. ना जाने क्यों.. धरा का दुलार करें... उसके दामन की खुशिया.. जी! जी! जी! बस इसमें सिमट सत्कार से दिल मे प्रेम की बरसात करें..!! तेरा वो चुप रह.. रिश्ते बचाना... गलती को छुपा सब सही है कह जाना किसी पूजा से परे.. दिल से तेरा सजदा.. दिल मे तेरा बसेरा रे.. ओह नखराली बन्नो तेरा क्या कहना रे..!! तेरे हाथो का स्वाद.. तेरी बातों का प्यार.. तेरे वो रूठे गुस्से मे सुर्ख गाल... एक हिस्से मे दिल के फिर भी प्यार बेशुमार.. सबकुछ पीछे छोड़.. कैसी तू रीत निभाए .. वो साथ निभाने की कसम.. सबका साथ सँजोय.. ओ प्यारी बन्नी तू हमारी हम तेरे हुए रे..!! ©Shalini Pandit मेरे घर की सबसे सुंदर बन्नी मेरी माँ 😍.... हाँ एक घर को कैसे संजो के रखना है वो बखूबी जानती है..... मुझे नहीं पता जब मम्मी पहली बार पापा संग