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Poet Kuldeep Singh Ruhela
#चार पंक्तियों को लेकर महफिल में आया हूं शब्दो की में आज टोली बनाकर लाया हूं मुमकिन हो तो कबूल कर लेना मेरा तोहफा यारो आज फिर में अपनी बीवी से लड़कर आया हूं ! गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #City #चार पंक्तियों को लेकर महफिल में आया हूं शब्दो की में आज टोली बनाकर लाया हूं मुमकिन हो तो कबूल कर लेना मेरा तोहफा यारो आज फिर में
Poet Kuldeep Singh Ruhela
#कयामत हो गई आज फिर से देखो अहसास दिल के नजर आए खूबसूरती पर लिखने बैठा था गजल आपकी पर मेरी आंखों में प्याज काटने से आंसू आय ! कवि कुलदीप सिंह रुहेला गुमनाम शायर Poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #कयामत हो गई आज फिर से देखो अहसास दिल के नजर आए खूबसूरती पर लिखने बैठा था गजल आपकी पर मेरी आंखों में प्याज काटने से आंसू आय ! कवि कुलदीप
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते रहे के केसे तेरे करीब आय गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते
#love_shayari दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते #शायरी
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White ये गुमनाम जंगल भी घने पेड़ों से घिरे हैं बदलो के बीच में चांद तारे भी छिपे हैं गुम हो गई हैं सारी काईनात भी यहां देखो यह शहरों में भी केसे किस्से मिले हैं poet of saharanpur गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #lonely_quotes ये गुमनाम जंगल भी घने पेड़ों से घिरे हैं बदलो के बीच में चांद तारे भी छिपे हैं गुम हो गई हैं सारी काईनात भी यहां देखो यह श
#lonely_quotes ये गुमनाम जंगल भी घने पेड़ों से घिरे हैं बदलो के बीच में चांद तारे भी छिपे हैं गुम हो गई हैं सारी काईनात भी यहां देखो यह श #शायरी
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बहुत खूबसूरत लगते है तराने तुम्हारे सारे बैठे हैं ईश्क के दीवाने तुम्हारे ज़रा चेहरे को नकाब से ढक कर रखना बैठे हैं बीमार महफिल आज सारे! poet of saharanpur गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #aaina बहुत खूबसूरत लगते है तराने तुम्हारे सारे बैठे हैं ईश्क के दीवाने तुम्हारे ज़रा चेहरे को नकाब से ढक कर रखना बैठे हैं बीमार महफिल आज
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White इस जलती हुई आग में हमको भी स्वाह हो जाना है कोई गरीब हो या अमीर सबको ही राख हो जाना है गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #nightthoughts इस जलती हुई आग में हमको भी स्वाह हो जाना है कोई गरीब हो या अमीर सबको ही राख हो जाना है गुमनाम शायर poet of saharanpur
#nightthoughts इस जलती हुई आग में हमको भी स्वाह हो जाना है कोई गरीब हो या अमीर सबको ही राख हो जाना है गुमनाम शायर poet of saharanpur #शायरी
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White बड़ी खामोश हैं ये रात भी आज शायद इसको भी किसी ने बहुत तड़पाया है गम के बादल भी आज बरसने को बैठे है शायद आज इनको भी किसी ने रुलाया है गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #SAD बड़ी खामोश हैं ये रात भी आज शायद इसको भी किसी ने बहुत तड़पाया है गम के बादल भी आज बरसने को बैठे है शायद आज इनको भी किसी ने रुलाया है
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफादारी का ! poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Hope #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफ
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White #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफादारी का ! poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #election_2024 #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनक
#election_2024 #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनक #चुनाव
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