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AJAY@meena
आशिक़ इश्क में फना हों जाता हैं ओर हम IPC,CRPC ओर EVIDENCE में उलझ कर रह गए ©AJAY@meena आईपीसी #writing
Dr.J.Kavitha
#354 poem My last birthday Remembered me the day when My mother gave me. #354
kartik chadha
विकास इंग्लिश में कहें तो Development जो दिखती है पर कभी समझ में नही आती, जो बिकती है लेकिन ख़रीदारी समझ मे नही आती, जो बढ़ती तो है पर बढ़ती नजर नही आती। हज़ारों फिरते है इसी develoment की आस में, पर development के नाम पे एक गुल्लक मिलती है। जिसकी चाबी तो है, लेकिन खुलती नही है। Development के नाम पर, पेड़ों से ज्यादा आज गाड़ियां दिखती है। हर चौराहे पे हुडनगियों की सेना दिखती है। सोच के बजाए हर गली मोहल्ले के poster में बिकती है। Solution के बजाय question raising में दिखती है। आज घरों के बजाय केवल ईमारतें दिखती है। सफलता सिर्फ BP डिप्रेशन में मिलती है। आज शादियाँ पैसा ख़र्च करके होती है। करप्शन की कमाई में लोगों की खूब आस होती है। माँ बाप से ज्यादा उस पराई लड़की की चलती है। आस्था एक गन के रूप में USE होती है। समाचार में भी रेप गुंडागर्दी की गप चार मिलती है। दिखती है पर समझ में नही आती, बिकती है पर औकात नजर नही आती, ये विकास की धारा बढती तो है, पर बढ़ती नजर नही आती। ©®roasted___life™ विकास की धारा
Sonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा
@tul maurya(IT)
love is just a word until someone special gives it a meaning #nojoto#354
Sonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा