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संजय जालिम " आज़मगढी"
White चेहरे पर मुस्कान है दिल तेरा परेशान है खामोशी देख रही है "जालिम" तु मेरी पहचान है प्यार तेरा मेरी जान है ©संजय जालिम " आज़मगढी" # मेरी जान#
# मेरी जान#
read moreParasram Arora
White धड़कनो ने धडकते हुए मेरे ह्रदय को हमेशा आबाद और ताज़ा बनाये रखा है लेकिन कोई भी नहीं जानता इस रहस्य को कि मुझमे जान तो थीं पर जिंदगी ने मुझसे आज तक दुरी बना क़र रखी है ©Parasram Arora जान और जिंदगी
जान और जिंदगी
read moreNarinder Jog
White ये चली हैं जो अंधियां, फ्रैबों की तेरे अंदर। आंधियों का रुख बदलने का हुनर है मेरे अंदर। ये मत सोच लेना के मैं चुप करके बैठ गया, अभी है चिंगारी सच्चाई की मेरे अंदर। नरेंद्र जोग ©Narinder Jog #sad_quotes #Shayari #Love #ग़ज़ल #शायरी
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read moreChanchal Chaturvedi
green-leaves सुनो मुझे तुम से पूछना है की.... तुमने बीज़ रूपी अधूरे नज़्मों की जो फ़सल अपने मन के काग़ज़ पर बोई हैं.... क्या मुझे मेरी परवाह के पानी, भरोसे की खाद और चाहतों की रौशनी से सींच कर हरी—भरी पूरी ग़ज़ल बनाने का हक़ दोगे क्या? ©Chanchal Chaturvedi #ग़ज़ल #Chanchal_mann #Dream #Shayari #Love #GreenLeaves
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read moreprashant farrukhabadi
White इश्क़ मुक़म्मल हो मैं ये वादा नहीं करता हद से ज्यादा मैं खुद से इरादा नहीं करता । तू तो मुझको अपनी जान समझती है किस मुंह से कह दूं कि नाता नहीं रखता। बड़ी फरेबी है दुनिया सारी खुद को समझा ले इश्क़ में रहकर कोइ शादी का वादा नहीं करता। ©prashant farrukhabadi #sad_shayari #SAD ##ग़ज़ल
sad_shayari SAD #ग़ज़ल
read moreदास्तान-ए-जज़्बात
मैं तुम्हारी तरफ देखूं तो तुम्हे चांद कह दूं, क्या खास है आज कहो तो सरेआम कह दूं? तुम बालों को खोल दो आज मैं सुबह को शाम कह दूं। बुरा ना मानो तुम अगर... तो आज तुम्हे कह दूं।। ©दास्तान-ए-जज़्बात जान shayari attitude
जान shayari attitude
read moreसत्यव्रत
White पहले बनिए किसी की जान फिर जाइए उसको जान फिर साथ नहीं छूटेगा जब तक रहेगी जान ©सत्यव्रत #sad_quotes #जान
Lalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
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