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Vrishali G
अमृत महोत्सवी स्वातंत्र्य वर्ष 🇳🇪🎉 ये देश हैं वीर जवानो का फिल्म नया दौर रफी साब का गीत संगीत ओ पी नय्यर साब मेरी एक कोशिश,,,,🙏 #शायरी
read moreBabli Gurjar
पानी है जहां वहां प्यास नहीं होती सुख सुविधाएं ही खुशी की बिसात नहीं होती मटकों में ढ़ोते हुए अमृत का मोल जानते हैं साधन सुलभ अमृत को ही नहीं पहचानते हैं इस अमृत की कमी में मरूभूमि सोना नहीं उगलती सखी रात में लगे ठण्डी रेत दिन में रहे तेज जलती बबली गुर्जर ©Babli Gurjar अमृत
अमृत #शायरी
read moreParasram Arora
बहुत बाँट चुके हो अपने हिस्से का अमृत तुम वजी अमृत अब विष बनकर लौटा हैं थोड़ा चख कर देखो तों ©Parasram Arora अमृत
अमृत #कविता
read moreBharat
देश आजादी का अमर्त महोत्व हे... है देश आजादी का पाबंदी महोत्सव भी मनारहा हे... है दारू× सिगरेट× गांजा× तंबाकू× सरस× मास× ©Bharat आजादी अमृत महोत्सव#
आजादी अमृत महोत्सव# #समाज
read moreSuresh Kumar Chaturvedi
जब अंग्रेजी सत्ता ने, भारत में जड़ें जमा लीं थीं गुलाम हुए भारत वासी, में भारत माता थी कैद हुआ था आसमान,हर ओर फिजाएं काली थीं अत्याचारों का दौर था वो, सत्ता मद में मतवाली थी जब सारे झंडे पस्त हुए,राज सभी के ध्वस्त हुए कैद हुई सोने की चिड़िया, अंग्रेज लूट में मस्त हुए तब तिरंगा सामने आया था,सोया स्वाभिमान जगाया था मातृभूमि की आजादी को,जन जन में जोश जगाया था थाम तिरंगा वंदे मातरम,कफन बांध कर गाया था मातृभूमि के लिए समर्पित, सीने पर गोलियां खाते थे नहीं तिरंगा झुकने देते थे,चाहे जान गंवाते थे ढेरों यातनाएं सहकर भी, वंदेमातरम गाते थे सन १८५७ से १९४७ तक, लगातार संघर्ष चले मातृभूमि की वलिवेदी पर, असंख्य वीरों के शीश चढ़े आखिर जन जन का प्यारा तिरंगा,लाल किले पर लहराया खत्म हुआ गुलामी का साया,देश ने जस्न मनाया आओ मिलकर मातृभूमि के, चरणों में शीश झुकाएं श्रद्धा से अपने घर पर,आज तिरंगा फहराएं आजादी के अमृत महोत्सव पर, शहीदों को शीश नवाएं जय हिन्द 🙏 ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #समाज
read moreSuresh Kumar Chaturvedi
जब अंग्रेजी सत्ता ने, भारत में जड़ें जमा लीं थीं गुलाम हुए भारत वासी, में भारत माता थी कैद हुआ था आसमान,हर ओर फिजाएं काली थीं अत्याचारों का दौर था वो, सत्ता मद में मतवाली थी जब सारे झंडे पस्त हुए,राज सभी के ध्वस्त हुए कैद हुई सोने की चिड़िया, अंग्रेज लूट में मस्त हुए तब तिरंगा सामने आया था,सोया स्वाभिमान जगाया था मातृभूमि की आजादी को,जन जन में जोश जगाया था थाम तिरंगा वंदे मातरम,कफन बांध कर गाया था मातृभूमि के लिए समर्पित, सीने पर गोलियां खाते थे नहीं तिरंगा झुकने देते थे,चाहे जान गंवाते थे ढेरों यातनाएं सहकर भी, वंदेमातरम गाते थे सन १८५७ से १९४७ तक, लगातार संघर्ष चले मातृभूमि की वलिवेदी पर, असंख्य वीरों के शीश चढ़े आखिर जन जन का प्यारा तिरंगा,लाल किले पर लहराया खत्म हुआ गुलामी का साया,देश ने जस्न मनाया आओ मिलकर मातृभूमि के, चरणों में शीश झुकाएं श्रद्धा से अपने घर पर,आज तिरंगा फहराएं आजादी के अमृत महोत्सव पर, शहीदों को शीश नवाएं जय हिन्द 🙏 ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #समाज
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