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Ashok Mishra
आज है पर्व दौज भैया का, बहन की याद दिलाता है। बहनें करती सम्मान जहाँ, वो नतमस्तक हो जता है।। मिष्ठान खिलाती भैया को, वो मूक ही कसमें खाता है। दीर्घायु रहो बहना मेरी, रक्षार्थ खड़ा ये भ्राता है।। भैया दौज भाई बहनों के परस्पर प्यार व सम्मान का प्रतीक है।
NASAR
आकर्षण से प्रस्फुटित परस्पर प्रेम 'क्षणभंगुर आकर्षण' के समाप्त होने से समाप्त हो जाता है, परन्तु परस्पर आत्मिक प्रेम 'अच्छाई-बुराई से परे' जन्म-जन्मांतर आपके साथ-साथ चलता है! आकर्षण से प्रस्फुटित परस्पर प्रेम 'क्षणभंगुर आकर्षण' के समाप्त होने से समाप्त हो जाता है, परन्तु परस्पर आत्मिक प्रेम 'अच्छे-बुरे से परे' ज
Suyash
आपसे बातें तो हो ही जाती है परस्पर , काश मुलाक़ातें भी हो जाती यूं अक्सर !!💞 #cinemagraph आपसे बातें तो हो ही जाती है परस्पर , काश मुलाक़ातें भी हो जाती यूं अक्सर !!💞 #suyashlovequotes #love #lovequotes #suyashthough
Ashish Ravi
मेरे हबीब तू रकीब का ही रह, मेरे मांजी मुज्तरिब ना कर मुझे, मयस्सर थे,अब जुस्तुजू भी नहीं, कसक भी नहीं,उम्मीद भी नहीं, तवक्को भी नहीं,रंजीदा भी नहीं। (हबीब-माशूक़,रकीब-किसी स्त्री से प्रेम करने वाले दो परस्पर व्यक्ति,मुज्तरिब-बेचैन,मयस्सर-मौजूद,रंजीदा-दुखी)#love #yqbaba #yqdada #yqdidi #fol
Mantra Mahima Neeraj Shukla
Akshit Ojha
Eliminate everything that gives you conflicted feelings Embrace the thing that resonate with your soul . वह सब कुछ हटा दें जो आपको परस्पर विरोधी भावनाएँ देता है, उस चीज़ को अपनाएँ जो आपकी आत्मा के साथ प्रतिध्वनित होती है #aksh #copied_but_modi
vishnu prabhakar singh
दिन फूलों के बीत रहे हैं फसल सीना तान रहा है युवा वसंत लचकता रहा आम अंदर से कड़ा बना वायु गति से निकल गयी सुवास से एकआश बंधी मेघ गरज कर शांत पड़ा प्यासी धरती से पेट भरा प्रकृति फल पका रहा है लोकगीत गुनगुना रहा है दिन फूलों के बीत रहे हैं नियामक फूल छिपाये है वायुमण्डल से परस्पर सामंजस्य का गुलाब!! अबके बसंत यूँ बीत गया प्यार का मौसम रीत गया। #दिनफूलोंके #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collabo
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 व्यक्तिगत संग्रह से उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा परस्पर इस प्रतियोगिता की भावना से ईर्ष्या उत्पन्न होती है जो सभी झगड़ो की जड़ है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 व्यक्तिगत संग्रह से उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा परस्पर इस प्रतियोगिता की भावना से ईर्ष्या उत्पन्न होती है जो सभी झगड़ो की