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Stories related to रस्ता रस्ता चलती बनासा

Rameshkumar Mehra Mehra

# किसी के साथ इतना,दूर भी ना जाओ,कि आते बकत,रस्ता पूछ-पूछ कर आओ.....

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Jayesh gulati

तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं । यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।। करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में

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Unsplash 

करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा ।
मेरे ख्वाबों में, तेरी ये तस्वीर भी चलती हैं  ।।

पढ़ता हूँ मैं तस्बीह¹, हर रोज़ तेरे नाम की ।
सुना हैं, यह दुनियां खुदा के नाम से चलती हैं ।।

(read full in caption)

©Jayesh gulati तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं ।
यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।।

करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा ।
मेरे ख्वाबों में

Praveen Jain "पल्लव"

#Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है

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पल्लव की डायरी
वातावरण दूषित,
व्यबस्था मन को कसौटती है
आपाधापी मची है जीवन मे
खुराक मिलावटी और जहरीली मिलती है
खिले है व्यसन के द्वार
इनकी लतो से जीडीपी सरकारों की बढ़ती है
डिप्रेशन और निराशा के अधीन जीवन
जो रोगो को आमंत्रण देती है
स्वस्थ रहना अब दूर की कौड़ी हो गया
बीमारियों से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है

Bharat Bhushan pathak

poetry lovers poetry in hindi hindi poetry on life hindi poetry poetry मकड़ जाल जीवन सखे,इसमें कितने जाल। फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बद

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मकड़ जाल जीवन सखे, कितने इसमें जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।।
मनुज यहाँ बदहाल,ढूँढ रहा यहाँ रस्ता।
 मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।।
शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल।
निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।।

©Bharat Bhushan pathak  poetry lovers poetry in hindi hindi poetry on life hindi poetry poetry
मकड़ जाल जीवन सखे,इसमें कितने जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बद

Vinod Mishra

"सद्कर्म की खुशबू कर्ता के साथ साथ चलती है.कर्ता के बाद भी चलती है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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Sunita Singh

हरी - भरी वसुधा लगे, हरियाली हर छोर। झुक- झुक चलती रेल की, मनभावन यह शोर।।

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