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Supriya Soni
White अलग ही दुनियां का रिबाज चल रहा हैं हर कोई शान शौकत में मोम की तरह पिघल रहा हैं ©Supriya Soni #milan_night हर कोई जल रहा है
#milan_night हर कोई जल रहा है
read morePrince uday Shukla
White मन के किवाड़ खोल दिल में उमंग भर धरती के श्रृंगार के पावन सिंदूर का छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... जलती धरा में गिरे धार बन के बह चली पेड़ो के पत्तियों को उजल धवल करती है जड़ों में गिरे पेड़ो के प्राण फलो में मिठास मानव और जीव को ह्रदय प्रिय लगती है काहे बंद छतरी में घूमते हो आप सब छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... बड़ी दूर से हैं आई अपनो को छोड़ आई तेरे पाप धोने को धरा पर आई है करो श्रृंगार अपनी घरणी और मात का लगाओ पेड़ और सजाओ इस धरा को जीवन का आधार है जो धरा पेड़ बाग वन जल बिन नही कल मानो इस बात को व्यर्थ न बहाओ जल सहेजो हर बूंदों का छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... ©Prince uday Shukla #cg_forest #वर्षा #जल #पेड़
#cg_forest #वर्षा #जल #पेड़ #कविता
read moreनाथाराम नाथाराम चौधरी
White समय से पहले और के बाद जिसको जो जो मिलना है वो मिलता ही है ©नाथाराम नाथाराम चौधरी #life_quotes समय-समय की किमत
#life_quotes समय-समय की किमत #शायरी
read moreAnand Dadhich
White महकते नयना देखकर, मौन जल ग़ज़ल हो चला, उदासी से हो उन्मुक्त, वो प्रसन्न प्रबल हो चला। मोहक मुस्कान देखकर, अचल जल चंचल हो चला, संशय से होकर विमुक्त, वो मगन मंगल हो चला। मधुर नरम अधर देखकर, निष्ठुर जल सरल हो चला, विरह वेदना से हो मुक्त, वो रुचिर कोमल हो चला। भव्य विभूषित मुख देखकर, निर्मल जल सफल हो चला, अथाह व्यथा से हो मुक्त, वो मस्त मृदुल हो चला...। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #जल #environment #Nature #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia
ShaiL Yadav
*विचारणीय* नदी से पानी नहीं, रेत चाहिए. पहाड़ से ओषधि नहीं, पत्थर चाहिए. वृक्ष से छाया नहीं, लकड़ी चाहिए. खेत से अन्न नहीं, नक़द फ़सल चाहिए. रेत से पक्की सड़क, मकान बनाकर, नक्काशीदार दरवाजे सजाकर, अब भटक रहे हैं। उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर, काट दिए वृक्ष, तहस-नहस कर दी मेड़ें; अब भटक रही सभ्यता !!! सूखे कुओं में झाँकते, खाली नदियाँ ताकते, झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में, बिना छाया ही हो जाती सुबह से शामें....!!! बूँद-बूँद बिक रही जल की। साँस लेने हवा भी बिकेगी, कल्पना करें उस कल की! ©शैलेन्द्र यादव #जल#पानी#पेड़#प्रकृति
कलम की दुनिया
मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे प्रत्येक बुंद से तुम्हारा आस मेरे कण कण में तुम्हारा श्वास मै देव नहीं लेकिन कण कण में व्याप्त हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे होने से तुम्हारा कल था आज है कल होगा मैं तुम्हारा अस्तित्व हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं शुद्ध मुझे अशुद्ध तुमने किया मैं अमर मुझे मर(खत्म होने के कगार पर) तुमने किया मैं कण कण में जन जन के लिए मुझे कुछ जन के लिए बोतलों में व्याप्त तुमने किया मैं प्रत्येक जीव का श्वास हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ तुम्हारे कल के लिए तुमसे कह रहा हूँ मुझे बर्बाद करोगे खुद को नष्ट करोगे एक के जगह हजार बुंद प्रयोग करोगे कल एक बुंद को तरसोगे मेरी संरक्षण करोगे खुद को जीवनदान दोगे मैं तुम्हारे कल के लिए तुमसे ये सब कह रहा हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ ©कलम की दुनिया #जल
ANSARI ANSARI
White समय समय की होती है बात। इनंसा समय से ही होता बलवान। चाहे राजा हो या रंक दुखिया हो । या सुखवान। समय ने सबको समय समय। पर दी है मात। समय समय की होती है बात। ©ANSARI ANSARI समय समय की बात
समय समय की बात #विचार
read moreAnuj Ray
White इक वक्त के बिछड़े दिलों की दास्तान के पन्ने, न जाने कब से बर्फ की परत में ढके थे। बह बह के आंसुओं का जम गया था समंदर, खुली हवा में, आहिस्ता आहिस्ता पिघल रहे हैं। टूटा है पहाड़ गलत फहमी का, मुद्दत के बाद आज फिर से, पुरानी यादों के अलाव जल रहे हैं। ©Anuj Ray # यादों के अलाव जल रहे हैं"
# यादों के अलाव जल रहे हैं" #शायरी
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