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Yashpal singh gusain badal'
"जैसे आपके विचार वही आप बनते हैं " हर व्यक्ति जानता है यह ब्रह्मांड और इसमें निहित हर कार्य ,हर घटना,ऊर्जा से सम्पन्न होती है ।इंसान के शरीर और दिमाग को चलाने के लिए भी इसी ऊर्जा की भूमिका होती है। ऊर्जा स्वयं स्फूर्त होता है ।जहाँ ऊर्जा है वहां कंपन है। कंपन ही फ्रीक्वेंसी में परिवर्तित होती हैं। कंपन ही फ्रीक्वेंसी का आधार हैं। फ्रीक्वेंसी ही संचार का माध्यम हैं।मोबाइल, रेडियो,टेलीविजन, सब अलग-अलग फ्रीक्वेंसी के माध्यम से अलग-अलग व्यक्ति से संपर्क तथा अलग-अलग चैनल का संचालन होता है ।वे सब अलग -अलग फ्रीक्वेंसी पर चलते हैं ।जिस फ्रीक्वेंसी का चैनल आप चलाते हैं वही चैनल चलने लगता है ।इस तरह आप अलग-अलग प्रोग्राम देख और सुन पाते हो। इसी प्रकार हमारा मन भी अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करता है ।मन की जैसी फ्रीक्वेंसी होती है उसी तरह की फ्रीक्वेंसी से कार्य करने वाली शक्तियों ,घटनाओं, विचारों,को हमारा मन अपनी ओर खींचता है।हमारे विचार भी विद्युतीय प्रवाह से भरे होते हैं ।वे ऊर्जावान होते हैं और हमारी भावनाएं और फीलिंग्स चुम्बकीय होती हैं । हर विचार से उसकी फीलिंग्स भी जुड़ी होती है और जब भी कोई विचार प्रकट होता है तब विद्युतीय आवेश पैदा होता है। और उन विचारों की वजह से जो भावनायें पैदा हुई वहां चुम्बकीय आवेश जन्म लेता है और जब हमारे विचार और भावनाओं में कंपन होता है तो एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनता है और इससे आपकी फ्रीक्वेंसी का पता चलता है । जब हम नकारात्मक विचारों के गिरफ्त में होते हैं तब सभी नकारात्मक फ्रीक्वेंसी हमारे नकारात्मक तरंगों के साथ खुद ही जुड़ जाती हैं और अधिक नकारात्मकता को हमारी ओर भेजने लगती हैं। परोपकार, दया,क्षमा, प्रेम की फ्रीक्वेंसी में रहने वाले लोग उन्हीं से मिलती जुलती फ्रीक्वेंसी को आकर्षित करते हैं ।इसलिए हम जिंदगी में जैसे लोग और घटनाओं चाहते हैं तो हमको उसी फ्रीक्वेंसी में खुद को बनाये रखना चाहिए। अथार्थ हमारे विचार और भावनायें भी उसी के अनुरूप होने चाहिए। ©Yashpal singh gusain badal' #yogaday हर व्यक्ति जानता है यह ब्रह्मांड और इसमें निहित हर कार्य ,हर घटना,ऊर्जा से सम्पन्न होती है ।इंसान के शरीर और दिमाग को चलाने के लिए
Parasram Arora
असल मे मरघट और महल का फासला उनके लीए ही है जिनके मन मे महल की आकांशा है मरघट और महल मे कोई फासला नही है फासला हमारी आकांक्षाओं मे है हम महल चाहते हैँ... मरघट हम नही चाहते इसीलिए फासला है. जहा महल खड़े हैँ वहा मरघट बहुत बार बन चुके जहाँ.मरघट बने हैँ वहा बहुतपहले महल बन कर गिर चुके हैँ और सब महल अंततः मरघट बन जाते है और सब मरघटोपर महल खडे हौ जाते हैँ फर्क क्या है? फासला क्या है? ©Parasram Arora फर्क क्या है? फासला क्या है?
Deepak Namdev
बस देखते जाओ..... क्या - क्या होता है | #gif क्या क्या होता है
Mr.Duke
गुलाब, ख़्वाब, दवा, जहर,जाम,क्या~क्या है। मैं आ गया हूं महफ़िल में,बस बता ©Mr.Duck~AK Shayar क्या क्या है????? #ShahRukhKhan
Deepak Pandit
मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है ©Deepak Pandit मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है
Vickram
काफी लम्बे अरसे से खुद को समझाते आया हुं मैं । कल जो समझ जाता था आज वो मानता ही नहीं । कौन सा राज है जो मुझे मे ही समझ नहीं आ सका । लगता है कि मैं खुद को कभी समझ पाया ही नहीं । ©Vickram बात क्या है,,, और दुनिया क्या है,,,
Sen Sahab Manish ji
वैसे तो रोज होती है नई सुबह उसमे नया क्या... वहीं रंगत है वहीं संगत है...... उसमें नया क्या है... गोधूलि भी वहीं है और सवेरा भी वहीं उसमे नया क्या है... पर....😏 रोज जिंदगी जीते आंसुओ को भी पीते है हटकर और उठकर जो जिया है एक एक पल वही तो असली जीवन है और जीवन का उद्घार करो फिर भी कुछ अच्छा न हो तो... उसमे नया क्या है... नया क्या है.. शुरुआत है भी नया क्या है...