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Hisamuddeen Khan 'hisam'
तेरे बिना मेरी पहचान क्या, तेरे बिना दिल का अरमान क्या। काशी यहीं थी मक्का यहीं था, तेरे साथ था तो मैं वहशी नहीं था। तेरे बिना मेरा ईमान क्या, तेरे बिना मेरी पहचान क्या। मेरी इबादत की सूरत थे तुम, दिल मेरा मंदिर मूरत थे तुम। तेरे बिना मेरा भगवान क्या, तेरे बिना मेरी पहचान क्या। हिसाम Hisam Khan Lyricist....... all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
तेरा ग़म मुझे सालता रहा ज़िन्दगी भर, दर्द ए दिल मैं पालता रहा ज़िन्दगी भर। इक तेरे दीदार का ही मुंतजिर था, मेरी उल्फत से नज़रें चुरा लेने वाले। हिसाम Hisam Khan Lyricist....... all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
ये दिल वफ़ा की जानिब जब से हुआ है गम है, कहते हैं बेवफ़ा ही ख़ुश रहते हैं जहां में। अब दर्द भी नहीं है तुम दवा भी दो तो क्या है, है वस्ल की निगाहें दर्द ए जिगर हमारा। हिसाम Hisam Khan Lyricist....... all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
कौन साथ ले के लौटा है दौलत जहां से, अकेले आए थे अकेले ही जाना है जहां से। तुम मुझको बुलाओगे रो रो तड़प कर, तुम आवाज़ दोगे न मैं फिर मिलूंगा। हिसाम Hisam Khan Lyricist......... all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
तेरे सीने में दिल ना हो ऐसा तो नहीं है, तुझे मुझसे नफरत हो लगता तो नहीं है। तू ज़मीर की आवाज़ को ना सुने ये बात और है, तेरे इश्क़ में अब और तड़पू दिल करता तो नहीं है। हिसाम Hisam Khan Lyricist....... all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
मुझे अपनी ज़ुल्फों का सहारा दे दो, डूबते इंसान को फिर से किनारा दे दो। नींदें हुई तुम्हारी भूख गई है सारी, अब तो इन हाथों में हाथ खुदारा दे दो। हिसाम Hisam Khan Lyricist........ all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
रग ए जां में बसने वाले हैं, हम तेरी निगाह के उजाले हैं। ज़िन्दगी ने भले ठुकरा दिया हो हमको, मौत के सायों में पलने वाले हैं। हिसाम Hisam Khan Lyricist 9680050042 all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
ज़िन्दगी गुज़र रही है कुछ इस तरह से तेरे शहर में, अब तो कोई अपना पता भी पूछता नहीं। हिसाम ©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' Hisam Khan Lyricist 9680050042 all rights reserved
Hisamuddeen Khan 'hisam'
सोचता हूं के दिल को कहीं रख दूं निकाल कर, बड़ा कीमती है फिर से कहीं टूट ना जाए। गम ये नहीं है के फिर से ये जुड़ ना सकेगा, फ़िक्र है के टूटा तो ज़ख़्म तुम्हें भी मिलेगा। हिसाम ©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' Hisam Khan Lyricist 9680050042 all rights reserved