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Dr O L Daksh

#india#Hindustan##

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Dil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य

पंचतत्व से काया बनी 
स्वस्थ शरीर सबसे धनी 
सत्य सनातन एक धर्म है 
इसका संरक्षण अपना कर्म है

©Dil_ki.dastaan #sanatandharm #Hindu #bharat #dharm #Desh #hindustan

Neeraj Neel

poem

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Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी ,
आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी

खिड़कियों में धूप सजती होगी, 
घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी।

अब दूर कहीं नहीं चलना होगा ,
एक सिर पर छत अपना होगा।

हम खुशियां सारी बटोर लाएगे,
हम घर में अपने सपने सजाएंगे।

हम घर में रोज दीप जलाएंगे ,
घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे।

अब चेहरे में एक आराम होगा ,
मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा।  
हा अपना नाम होगा।

✍️ नीरज नील

©Neeraj Neel poem

Kamlesh Kandpal

#hindustan

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मेरी पूजा, मेरी इबादत, मेरा मजहब, मेरा ईमान. 
हैं मेरा अजीज  मुल्क, नाम जिसका हिंदुस्तान।

©Kamlesh Kandpal #hindustan

vivekanand

poem

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vivekanand

poem

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Asima Jamal

kavi Abhishek Pathak

#poem

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रात भर एक चाँद का साया रहा,
दिल में कोई खामोश उजाला रहा।
तारों ने कहानियाँ बुन दी कई,
पर मेरी आँखों में बस वो ही चेहरा रहा।

चुपके से हवाओं ने कुछ कहा,
जैसे कोई राज़ धीरे से बयां किया।
दिल की किताब में एक पन्ना खुला,
और उसमें तेरा नाम ही लिखा रहा।

©kavi Abhishek Pathak #poem

diya the poetter

#poem

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White नई सुबह 

एक नई सुबह एक नया एहसाह करा देती है 
जीवन के पथ पर चलने की राह दिखाती है 
सूर्य सिर पे चढ़ता है ।
मानव नित नए आयाम रचता है
महकती फूलों की क्यारियों में तितलियां बैठती है 
भंवरे गीत सुनाते है।
नई सुबह नए गीत गुनगुनाती है।
मां की रसोई महकती है 
दादी के भजन से घर उमंग में डूबा जाता है 
नन्हे नन्हे भाई बहन आंगन में भागे जाते है 
घर उजाले में डूब जाता है नई रोशनी हमे मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है 
नई सुबह एक नया एहसाह करा देती हैं।
     दिया आर्या (दक्षिता)

©diya the poetter  #poem

swary dhungel

poem

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निम्तो

थोरै न्यानो माया धेरै आशीर्वादको खाचो छ मलाई 
मेरो नयाँ जीवनको शोभायात्राको निम्ति 
हजुरहरुको उपस्तितिको चाहना छ मलाई 
हजारौं रंगीन स्वप्ना कोर्न जाँदैछु नयाँ शहर
मनमा उर्लिएका हजारौं रहरलाई
दिनुछ अब एउटा मिठो ठहर 
दुई कथाको एक हुने महाउत्सव हुदैछ 
आउनुहोस् है हजुरहरू मेरो र उनको मिलन हुँदैछ

©swary dhungel poem
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